डेरा प्रमुख संबंधी आने वाले फैसले की ओर हैं सब की नज़रें


छत्रपति हत्याकांड में डेरा प्रमुख बारे सीबीआई कोर्ट के 11 को संभावित फैसले पर लगी लोगों की नजरें
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। डेरा प्रमुख के खिलाफ चल रहे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में बहस मुकम्मल होने के बाद अब इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 जनवरी को डेरा प्रमुख को पंचकूला स्थित सीबीआई कोर्ट में निजी तौर पर पेश करने के आदेश दिए। इसीके चलते अब पूरे प्रदेश में चौकसी व सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। सरकार ने सुरक्षा संबंधी ज़रूरतों के दृष्टिगत डेरा प्रमुख की पेशी सलारिया जेल से वीडियो कान्फ्रैंसिंग से कराने का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार कर लिया गया है। गुरमीत राम रहीम साध्वियों से यौन शोषण के मामले में पहले ही अगस्त 2017 से रोहतक स्थित सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है। 
गुरमीत राम रहीम साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है। जिसदिन कोर्ट ने यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख को दोषी करार दिया था उस दिन पंचकूला व सिरसा में घटी हिंसक घटनाओं में 40 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हिंसा व आगजनी में करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था। अब 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई के दृष्टिगत पंचकूला, रोहतक व सिरसा सहित पूरे प्रदेश में चौकसी बढ़ा दी गई है और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। डेरा प्रमुख के खिलाफ पत्रकार रामचंद्र छत्रपति व डेरा प्रबंधक रहे रणजीत सिंह की हत्या के मामले की पिछले काफी समय से निरंतर सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। अब छत्रपति हत्याकांड की सुनवाई मुकम्मल होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि 11 जनवरी को इस मामले में कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। इधर, डेरा प्रबंधक रहे रणजीत सिंह हत्याकांड की सुनवाई भी अंतिम चरण पर है और किसी भी समय मुकम्मल हो सकती है। इसके अलावा डेरा के 400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले की सुनवाई भी सीबीआई कोर्ट में लगातार चल रही है। अब सबकी नजरें सीबीआई कोर्ट द्वारा 11 जनवरी को सुनाए जाने वाले संभावित फैसले की तरफ लगी हुई हैं।
अकाली विधायक का दुष्यंत चौटाला को समर्थन
अकाली दल के हरियाणा से इकलौते विधायक बलकौर सिंह ने डॉ. अजय चौटाला व सांसद दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। बलकौर सिंह 2014 में कालांवाली से अकाली दल की टिकट पर इनेलो के सहयोग से विधायक चुने गए थे। उस समय हरियाणा में अकाली दल व इनेलो का गठबंधन था और गठबंधन के तहत अकाली दल को कालांवाली व अम्बाला शहर दो विधानसभा सीटें मिली थीं। अकाली दल ने गठबंधन के तहत 2009 में भी कालांवाली की सीट जीती थी और दोनों बार पार्टी अम्बाला सीट हारती रही। अब अकाली दल और इनेलो का हरियाणा में गठबंधन टूट चुका है और अकाली दल ने प्रदेश में अपने बलबूते अलग से चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। इधर, इनेलो का बसपा से गठंधन हो चुका है लेकिन इनेलो में आपसी टूट के चलते डॉ. अजय चौटाला व सांसद दुष्यंत चौटाला को इनेलो से निष्कासित किए जाने के बाद उन्होंने अलग से जननायक जनता दल नाम से अपनी पार्टी बना ली है। इनेलो के अनेक प्रमुख नेता खुलकर जननायक जनता दल में शामिल हो गए हैं। अब बलकौर सिंह के जजपा में जाने से जहां जजपा को बल मिला है, वहीं विधानसभा में अकाली दल के एकाकी विधायक के पार्टी छोड़ जाने से बड़ा धक्का लगा है। बलकौर सिंह की छवि एक ईमानदार, शरीफ, मिलनसार व धार्मिक प्रवृति के राजनेता की रही है और जजपा को पंजाब के साथ लगती हरियाणा की सिख बैल्ट में इसका सीधा लाभ मिलने के आसार हैं। परन्तु अब बलकौर सिंह ने अपने एक ताज़ा बयान में कहा है कि वह अभी जजपा में शामिल नहीं हुए हैं, अपितु उन्होंने इस पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है। सम्भव है, मौजूदा तौर पर उन्होंने अपनी सीट बचाने के लिए यह बयान दिया हो।
जींद उप-चुनाव
जींद विधानसभा उपचुनाव के नतीजे प्रदेश की राजनीति को निश्चित तौर पर एक नई दिशा देंगे।  10 जनवरी तक नामांकन पत्र दाखिल होंगे, लेकिन सभी दल अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित करने की बजाय दूसरे दलों की ओर से घोषित किए जाने वाले उम्मीदवारों पर नजरें लगाए हुए हैं। पिछले दो चुनावों से इनेलो प्रत्याशी डॉ. हरिचंद मिड्ढा इस सीट पर जीत हासिल करते रहे हैं। उनके निधन से यह सीट खाली हुई है। इस सीट को बचाए रखना इनेलो के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। आमतौर पर उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी ही जीत हासिल किया करती है। प्रदेश में हुए नगर निगम के चुनावों में सभी मेयर पदों पर जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा जींद सीट जीतकर अगले चुनाव के लिए अपने पक्ष में माहौल बनाना चाहती है। 
इसी के चलते भाजपा जींद सीट जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। गुटबाजी में बंटी हुई कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत दर्ज करना एक चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी का गठन करने वाले डॉ. अजय चौटाला व सांसद दुष्यंत चौटाला के लिए भी जींद सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जींद उप-चुनाव के नतीजे जो भी रहें, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन इन नतीजों का प्रदेश की राजनीति पर निश्चित तौर पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।   
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