कटघरे में सरकार


पिछले दिनों ज़ीरा के युवा कांग्रेस विधायक कुलबीर सिंह ज़ीरा ने भरी सभा में नशीले पदार्थों के व्यापारियों एवं पुलिस के बीच सांठ-गांठ होने का आरोप लगाकर सरकार को दुविधापूर्ण स्थिति में डाल दिया है। समाचारों के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने इस विधायक पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर उसे स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है, परंतु विधायक ज़ीरा अपनी बात पर अटल प्रतीत होता है। यहीं बस नहीं, उसने यह भी घोषणा की है कि वह पंजाब भर में नशे के विरुद्ध अभियान शुरू करेगा। दूसरी ओर 
इस विधायक पर भी कई पक्षों ने भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगाए हैं।
जहां तक नशे के प्रचलन का संबंध है, पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार की भी इस दृष्टिकोण से बड़ी बदनामी हुई थी। उस पर आरोप लगे थे कि उसके कार्यकाल के दौरान प्रदेश में बड़े स्तर पर नशीले पदार्थों का कारोबार बढ़ा था तथा इस कारण युवा बड़े स्तर पर सिंथेटिक नशीले पदार्थों के जाल में फंस गए। उस पर ये भी आरोप लगे थे कि उसने इस गम्भीर मामले के संबंध में कोई प्रभावपूर्ण एवं संजीदा कार्रवाई नहीं की। उस समय चाहे मुख्यमंत्री सहित प्राय: मंत्रियों एवं प्रमुख दायित्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों ने निरंतर नशे पर नियंत्रण पाने के बयान दिए थे परन्तु निचले धरातल पर राजनीतिज्ञों, अफसरों एवं पुलिस की मिलीभुगत के कारण पंजाब के यौवन को नष्ट करने का यह सिलसिला जारी रहा। कुछेक नशा छुड़ाओ केन्द्र खोलकर ऐसा धंधा करने वाले छोटे-मोटे कारोबारियों एवं नशेड़ियों को जेलों में बंद करके समय व्यतीत करने का यत्न अवश्य किया गया था परन्तु इसके लिए कोई गम्भीर योजनाबंदी नहीं की गई। सरकार में बैठे बड़े नेताओं पर इस धंधे को प्रोत्साहित करने के लिए निरन्तर उंगलियां उठती रहीं। 
वर्ष 2017 में सम्पन्न हुए पंजाब विधानसभा के चुनावों के समय भी नशे का मुद्दा पूरी तरह उभर कर सामने आया था। इस रुझान पर काबू पाने के लिए उस समय के कांग्रेसी नेताओं एवं विशेष तौर पर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बड़े-बड़े वायदे एवं दावे किए थे। कैप्टन साहब तो एक चुनावी रैली में बोलते हुए इस सीमा तक भावुक हो गए थे कि उन्होंने गुटका साहिब हाथ में लेकर यह शपथ ली थी कि उनका शासन आने पर वह चार सप्ताह के भीतर-भीतर नशे की बुराई को समाप्त कर देंगे। इस महामारी को फैलाने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए अपनी सरकार बनने के कुछ मास बाद तक तो वह इस कार्य के लिए बड़े उत्साहित रहे। कुछ पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई थी परन्तु अंतत: कुछ प्रत्यक्ष एवं कुछ परोक्ष कारणों के दृष्टिगत सरकार का यह उत्साह ठण्डा पड़ना शुरू हो गया तथा गाड़ी फिर उसी पथ पर आ गई। आज भी यह समूचा सिलसिला पूर्व की भांति जारी है। पंजाब के युवाओं का एक बड़ा भाग नशे में आकण्ठ डूब कर रह गया है। अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार के समय तो इस पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ लीपापोती एवं कार्रवाई भी की जाती रही थी, परन्तु अब तो ऐसी कोई कार्रवाई भी एक प्रकार से बंद हो गई प्रतीत होती है। सभी स्तरों के अधिकारी पहले वाले स्थान पर आ गए हैं। पहले यदि उनकी कोई बात सुनी भी जाती थी तो अब वह भी नदारद हो गई प्रतीत होती है। 
नई सरकार को गठित हुए पौने दो वर्ष का समय हो गया है। मौजूदा कार्यकाल की शुरुआत में सरकार की ओर से किए गए अनेक वायदे व़फा नहीं हो सके, जबकि समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। सरकार की गाड़ी के पहिये ढिसकूं-ढिसकूं करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में अब सरकार के अपने प्रतिनिधियों के सब्र का बांध भी टूटता जा रहा है। सरकार की स्थिति यह बन गई है कि उसके अपने ही विधायक ने यदि नशीले पदार्थों के तस्करों एवं प्रशासन के बीच मिलीभुगत का आरोप भरी सभा में लगाया है तो उसे सत्ताधारी पार्टी की ओर से कारण बताओ नोटिस दे दिया गया है। दूसरी ओर इन आरोपों के कारण दबाव में आई पंजाब पुलिस ने फिरोज़पुर रेंज के जिस वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर विधायक ने दोष लगाये थे, उसके संबंध में जांच दो अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सौंप दी है। तथापि, देखने वाली बात यह होगी कि विधायक के आरोपों के संबंध में किस सीमा तक संजीदगी के साथ जांच होती है तथा इसमें से क्या कुछ सामने आता है। अपनी छवि को साफ-सुथरा रखने के लिए तथा नशे के रुझान को रोकने के लिए सरकार को अपनी नीयत एवं नीति में बड़े स्तर पर परिवर्तन करना पड़ेगा, तभी प्रदेश के लोगों को सुख का कोई सांस दिलाया जा सकेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द