श्री हरिमंदिर साहिब परिक्रमा में सुशोभित ऐतिहासिक बेरियां बनीं श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र

अमृतसर, 11 मार्च (हरमिंदर सिंह): रूहानीयत के केन्द्र श्री हरिमंदिर साहिब में सुशोभित सदियों पुरानी तीन ऐतिहासिक बेरियां फलों से लबालब भरी होने के कारण जहां अपना अलग रूप पेश कर रही हैं वहीं देश-विदेश से नतमस्तक होने के लिए आए श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। इन बेरियों में बेर बाबा बुड्ढा साहिब व लाची बेर साहिब व दुख भंजनी बेरियां वृद्ध व लाख के कीड़े सहित कई बीमारियों की चपेट में आने से इनकी हालत बेहद खराब हो गई थी जिस कारण इन बेरियों पर फल नाममात्र ही लगता था और इन बेरियों की टहणियां सूख रही थीं परंतु 2006 में शिरोमणि कमेटी द्वारा कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के विशेषज्ञों के साथ सम्पर्क किया गया और उस समय से इन बेरियों की देखभाल का काम शुरू हो गया और अब यह बेरियां कुछ वर्षों से फलों से लबालब होने के कारण श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बनती हैं और इन बेरियों के फलों का स्वाद चखने के लिए बेरियों से गिरने वाले बेर को प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु काफी समय तक इंतज़ार करते रहते हैं। इन बेरियों की देखभाल कृषि विश्वविद्यालय के 35 सदस्यों की टीम द्वारा किया जा रहा और समय-समय पर इन बेरियों की कांट-छांट की जाती और इन बेरियों को कुदरती खाद व दवाई का छिड़काव किया जाता है। आज यह बेरियां पूरी तरह तंदुरुस्त हो रही हैं और इन पर खूब फल लग रहा है। इस संबंध में शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव डा. रूप सिंह के साथ इस संबंधी बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पहले इन ऐतिहासिक बेरियों की हालत बहुत खराब हो गई थी विशेष तौर पर बेरी बाबा बुड्ढा साहिब जी और दुख भजनी बेरी की हालत तो बहुत दयनीय थी। इन पर फल लगना बंद हो गया था और इनकी टहणियां सूख रही थीं। उन्होंने बताया कि इन बेरियों की सम्भाल के लिए प्रयास करते हुए कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के विशेषज्ञाें के साथ सम्पर्क किया गया जिनकी राय व प्रयासों से इन बेरियों पर अब पहले से भी ज्यादा फल देने लगी हैं जोकि श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बन रही हैं।