महामारी एवं चुनाव

लोकतांत्रिक प्रणाली को बनाए रखने के लिए जहां समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक धरातल पर चुनाव कराने आवश्यक हैं, वहीं लगभग विगत दो वर्ष से कोरोना महामारी ने होने वाले चुनावों पर भय का साया डाले रखा। इसके साथ ही ज़िन्दगी की अन्य गतिविधियों को भी सीमित किये रखा। एक समय ऐसा भी आया कि भय के ये बादल अत्यधिक गहरे हो गये थे। लोगों को घरों में रहने के लिए विवश होना पड़ा था। सभी प्रकार का कार्य-व्यापार थम गया था। लोग अत्यधिक दुविधा में ग्रस्त हो गये थे। समय-समय पर लगने वाली तालाबंदियों ने जीवन को पूर्णतया दूभर बना कर रख दिया था। बेरोज़गारी एवं त्रुटियों ने भारी त्रासदी उत्पन्न कर दी थी। देश की डावांडोल आर्थिकता अभी तक भी स्थिर नहीं हो सकी। इस समय के दौरान बढ़ी बेरोज़गारी ने पूर्व के आंकड़ों में इस पक्ष से और वृद्धि कर दी थी। 
इन दुश्वारियों के चलते हुए तथा अनेक सीमाओं के होते हुए केन्द्र सरकार की ओर से टीकाकरण की प्रक्रिया में अब तक भारी सफलता अर्जित कर ली गई है जिसने इस महामारी की उग्रता को बड़ी सीमा तक घटाने में मदद की है। इसी कारण कोरोना की तीसरी लहर उतना घातक सिद्ध नहीं हुई जितना कि पूर्व की दो लहरों ने लोगों को प्रभावित किया था। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस समय तक लगभग सवा 4 करोड़ से अधिक लोग इसके घेरे में आये थे तथा 5 लाख से अधिक मौतें भी हो गई हैं। अब तक भी इस संबंध में बहस जारी है कि मौतों की संख्या रिकार्ड में लिखे गये आंकड़ों से कहीं अधिक है। जिस समय 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा की गई थी, उस समय भी इस बीमारी के बादल छंटे नहीं थे परन्तु इसके बावजूद चुनाव आयोग ने इनके लिए निर्धारित कार्यक्रम की घोषणा कर दी थी। पहले चरण के चुनावों के लिए भारी सावधानी बरतने के निर्देश भी जारी किये गये थे। मत केन्द्रों में भी वृद्धि की गई थी। मतदान का समय भी बढ़ाया गया तथा अन्य प्रत्येक प्रकार की सावधानी बरतने के लिए भी कहा गया था। सात चरणों में से अब तक दो चरणों का मतदान हो चुका है। तीसरे चरण के तहत पंजाब में मतदान 20 फरवरी को होने जा रहा है। इसी दौरान इस महामारी के संबंध में सन्तोषजनक समाचार भी मिल रहे हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस बीमारी के कम होने के समाचार प्राप्त हुये हैं। प्रवक्ता के अनुसार 21 फरवरी के बाद इस बीमारी के मामलों में और भी कमी आ सकती है। 
इसके दृष्टिगत ही उसकी ओर से अब नये निर्देश जारी किये गये हैं। स्कूल एवं अन्य शिक्षण संस्थान खोलने की इजाज़त दे दी गई है। बहुत-से राज्यों की ओर से अपनी सीमाओं के बाहर से आने वाले वाहनों एवं अन्य लोगों अथवा यात्रियों को जांच-पड़ताल के बाद ही अपने प्रदेश में दाखिल होने दिया जाता था। हवाई अड्डों पर भी कई प्रकार की पाबन्दियां लागू की गई थीं परन्तु अब हालात को देखते हुये मंत्रालय की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि लगाई गई ऐसी बाधाओं को हटा देना चाहिए ताकि ज़िन्दगी की सक्रियता पूर्व की भांति शुरू हो सके। आगामी चरणों के चुनावों पर भी इनका प्रभाव देखा जा सकेगा। नये हालात के दृष्टिगत अब केन्द्र एवं प्रदेश सरकारों का यह कर्त्तव्य बन जाता है कि वे प्रत्येक ढंग से कम हुई अथवा धीमी हुई गतिविधियों को गतिशीलता में लाने का यत्न करें ताकि जन-जीवन में आई जड़ता को पुन: धड़कन में बदला जा सके तथा सभी प्रकार के आर्थिक जीवन को गति दी जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द