किसी भी सरकार को अपनी आलोचना पसंद नहीं

दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ  पोस्टर लगाने वालों पर एफआईआर दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने का विवाद चल रहा है। सारी विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाते हुए कहा है कि यह तानाशाही है। लेकिन हकीकत यह है कि अगर भाजपा और उसकी सरकारों को प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना बर्दाशत नहीं है तो उसी तरह किसी प्रादेशिक पार्टी के नेता को भी अपनी आलोचना पसंद नहीं है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से लेकर तमिलनाडु में एम.के. स्टालिन तक की आलोचना करने वालों के खिलाफ  मुकद्दमे हुए और उनको जेल में डाला गया। लोकतंत्र को खतरे में बताने वाली पार्टियां भी भाजपा की तरह बरताव कर रही हैं। 
ताज़ा मामला तमिलनाडु का है जहां प्रदीप नामक 23 साल के एक युवक को सिर्फ  इसलिए गिरफ्तार कर 15 दिन के लिए जेल भेज दिया गया क्योंकि उसने तमिलनाडु सरकार के बजट की आलोचना वाला एक वीडियो शेयर किया था। ममता बनर्जी के बारे में कार्टून शेयर करने पर एक प्रोफेसर की गिरफ्तारी सबको पता है। पिछले दिनों ममता बनर्जी की पुलिस ने कांग्रेस नेता कौस्तुभ बनर्जी को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने ममता की आलोचना की थी। नितीश कुमार अब तो राजद के साथ आ गए हैं लेकिन कुछ समय पहले जब वह भाजपा के साथ थे तो उनकी शराब नीति की आलोचना करने वाले एक राजद नेता को गिरफ्तार कर लिया गया था। कुछ महीने पहले दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की आलोचना करने वाले भाजपा और कांग्रेस के नेताओं पर पंजाब पुलिस ने मुकद्दमे दर्ज किए थे।
पंजाब में पुलिस कार्रवाई पर सवाल
पंजाब में खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के नेता अमृतपाल सिंह के खिलाफ  पुलिस की कार्रवाई की टाइमिंग हैरान करने वाली है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अमृतपाल को गिरफ्तार करने पर चर्चा की थी। इसके लिए उन्होंने अर्धसैनिक बलों की ज़रूरत भी बताई थी। उस मुलाकात में तय हुआ था कि अमृतसर में होने वाली जी-20 देशों की बैठक समाप्त होने के बाद कार्रवाई होगी। लेकिन अमृतसर में जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर के प्रतिनिधियों का पहुंचना शुरू हुआ और उधर दो राज्यों की पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ  अभियान छेड़ दिया! अमृतसर में जी-20 से संबंधित पहला कार्यक्रम शिक्षा पर 15 से 17 मार्च तक चला। इसके बाद 19 और 20 मार्च को श्रम से संबधित कार्यक्रम हुआ। जिस दिन यह बैठक शुरू होनी थी उससे एक दिन पहले 18 मार्च को जालन्धर और मोगा की पुलिस ने अमृतपाल की गिरफ्तार के लिए अभियान शुरू कर दिया। दोपहर 12 बजे मोबाइल, इंटरनेट और एसएमएस सेवा 24 घंटे के लिए बंद कर दी गई। कई शहरों में धारा 144 लागू हो गई। पुलिस ने अमृतपाल के समर्थकों को गिरफ्तार किया और राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गए। हैरानी की बात है कि इतना बड़ा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल राज्य में था और चारों तरफ  पुलिस की कार्रवाई और लोगों का उग्र प्रदर्शन चल रहा था। ऐसे में सवाल है कि राज्य की पुलिस ने खुद ऐसा किया या केंद्र के साथ तालमेल करके किया गया।
जश्नों की तैयारी में जुटी मोदी सरकार
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जश्न मनाने के लिए मशहूर है। वह अपनी कथित उपलब्धियों का ही नहीं बल्कि किसी त्रासदी और देश की तबाही का जश्न मनाने से भी नहीं चूकती है। ऐसे में उसके लिए अपनी सालगिरह का जश्न मनाना तो लाज़िमी ही है। मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने जा रहे है। इस सरकार दूसरे कार्यकाल की चौथी सालगिरह मई के अंत में है और उस मौके पर बड़ा जश्न मनाने की तैयारी शुरू हो गई है। यह भी कह सकते हैं कि जश्न शुरू हो गया है। नरेंद्र मोदी का ‘मुझे चलते जाना है’ शीर्षक से जारी नया एनिमेटेड वीडियो इसकी मिसाल है। इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर अब तक की उनकी यात्रा का विवरण है और संकल्प है कि समाज के हर वर्ग के लिए काम करते हुए वह देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। यह एक तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी का पहला कदम है। इसी तरह अलग-अलग थीम पर और भी प्रचार सामग्री जारी होती रहेगी। अगले साल होने वाले चुनाव से पहले यह जश्न आखिरी मौका होगा। इसलिए प्रचार की बेहिसाब सामग्री तैयार होगी। लगातार तीसरी बार जनादेश लेने के मकसद से भाजपा बताएगी कि दो कार्यकाल में उसने देश को कितना बदल दिया है। प्रधानमंत्री के कई कार्यक्रम होंगे। पार्टी के सारे प्रवक्ता और सरकार के मंत्री देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर प्रेस कांफ्रैंस करेंगे। पहले एनिमेटेड वीडियो से पार्टी ने यह भी बता दिया है कि मोदी पर विपक्ष के हमलों को केंद्र में रखा जाएगा। 
भगत सिंह को भूल गए केजरीवाल
एक साल पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी की सरकारों के दफ्तरों में अब सिर्फ  शहीद भगत सिंह और बाबा साहेब अम्बेडकर की तस्वीरें लगेंगी। उन्होंने महात्मा गांधी की तस्वीरें हटवा कर उनके स्थान पर शहीद भगत सिंह और डा. अम्बेडकर की तस्वीरें लगवा दी थीं, लेकिन इस साल 23 मार्च को स. भगत सिंह के बलिदान दिवस पर उन्हें उनकी याद नहीं आई। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी, दिल्ली सरकार के बजट और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों का मोर्चा बनाने में लगे केजरीवाल शहीद-ए-आज़म को भूल गए। उनकी सरकार का विज्ञापन का बजट 568 करोड़ रुपया हो गया है, जो शीला दीक्षित के कार्यकाल के आखिरी पूर्ण साल यानी 2012-13 में सिर्फ  15 करोड़ रुपये का था, लेकिन केजरीवाल की सरकार ने 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस के मौके पर कोई विज्ञापन नहीं दिया। 
आमतौर पर दिल्ली के अखबार दिल्ली सरकार के विज्ञापनों से भरे रहते हैं लेकिन स. भगत सिंह के बलिदान दिवस पर कोई विज्ञापन नहीं छपा। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है, जिसके विज्ञापन दिल्ली से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक तक के अखबारों में छपते रहते हैं, लेकिन पंजाब सरकार का विज्ञापन भी स. भगत सिंह के बलिदान दिवस पर दिल्ली के अखबारों में नहीं छपा। दिल्ली के अखबारों में एक विज्ञापन हरियाणा सरकार का दिखा और दूसरा मध्य प्रदेश सरकार का। न तो केंद्र सरकार ने विज्ञापन दिया और न दिल्ली व पंजाब सरकार का विज्ञापन आया।