परत दर परत

परत दर परत

(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)

झूठा है वो। चाकू तो उसने चुभाया था।
-खैर, जब वह अंधेरे में आ गई तो बदतमीजी उसने की या तूने?
-उसने साहब। उसने।
-और गला किसने दबाया।
-उसने। मैं तो पीछे खड़ा रहा।
-पर तुमने विभा को बचाने की कोशिश नहीं की?
गबरू ने सिर नीचे झुका लिया। उसे पहली बार अहसास हुआ कि उसने पुलिसकर्मियों के सामने बहुत कुछ कबूल लिया था।
पुलिस गबरू को हथकड़ी लगाकर ले गई। अभी वीरू को तो उन्हें खोजना था।
मनीष जब जेल से छूटकर आया तो अपने घर जाने से भी पहले प्रतिभा और मधुसूदन के पास आया। उनके चरण स्पर्श किए।
-सर, मुझे पता नहीं कि किन शब्दों में आपको धन्यवाद करूं। मैं आपका अहसान निंदगी भर नहीं भूलूंगा।
-अरे इसमें अहसान क्या है, मनीष। दरअसल एक वकील को इससे अधिक संतोष कभी नहीं मिलता जब वह किसी दोषी व्यक्ति को सजा दिलवा सके और तुम्हारे जैसे नेक इंसान को बचाने पर यह संतोष और भी बढ़ जाता है।
इतने में खबर मिलते ही सुनीता दौड़ी चली आई और सब संकोच त्यागकर मनीष से लिपट गई। प्रतिभा ने मधुसूदन को इशारा किया कि अब इन दोनों को कुछ समय अकेले ही छोड़ दिया जाए।
कई दिन बीत गए। सामान्य जीवन बीत रहा था। तभी एक दिन टीवी पर खबरें देखते हुए मधुसूदन अचानक चौकन्ने हो गए। टीवी पर बताया जा रहा था कि पैराडाईज होटल के मैनेजर की हत्या हो गई है।
-अरे यह कही वही होटल तो नहीं जहां के बार में गबरू बस्ती की लड़कियों को भेजता था।
-हां वही है, तभी तुम्हें बताया, वही लोकेशन है।
इसके कुछ समय बाद यह खबर भी आई कि इसी होटल की एक मुख्य डांसर को गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया है।
खैर, अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच मधुसूदन और प्रतिभा के पास इन खबरों के लिए अधिक समय नहीं था। पर उस समय स्थिति बदल गई जब शाम को आसिफ अली मधुसूदन को मिलने आए।
-सर मैं होटल पैराडाईस का डिप्टी जनरल मैनेजर आसिफ अली हूँ। आपने हमारे होटल के मैनेजर के मर्डर के बारे में सुना होगा। इस मामले में होटल की मुख्य डांसर बबीना गिरफ्तार भी हो चुकी है व उसके खिलाफ  आरोपों को पुलिस बहुत पक्का बता रही है।
-सर! मुझे होटल के स्टाफ  एसोसिएशन की ओर से आपके पास भेजा गया है। सारे स्टाफ  को पूरा विश्वास है कि बबीना निर्दोष है। मैं यह कह नहीं सकता हूँ कि हमारे होटल में कोई गलत काम नहीं होते हैं, पर बबीना होटल व मैनेजर के प्रति बहुत लॉयल थी। उसके द्वारा हत्या करने की बात कोई सोच भी नहीं सकता है।
-पर पुलिस ने कहा है कि मैनेजर से अंतिम मुलाकात बबीना की ही थी। वह उन्हें काफी नशे की हालत में ऊपर लेकर गयी जिससे हत्या करना सरल भी होता। उसके बाद कोई और मैनेजर से मिला इसका कोई रिकार्ड नहीं है। हर रात को अंतिम बार वेटर वेंकट उनसे उनकी ज़रूरत पूछने जाता था। उस दिन वह गया तो उसने मैनेजर को मृत पाया व जांच से पता चला कि गला घोट कर हत्या की गई है।
-यह सब ठीक है सर। फिर भी बबीना को हत्यारा मानने के लिए होटल में कोई तैयार नहीं है।
-तो आप मुझसे क्या मदद चाहते हैं?
-हम चाहते हैं, हम से मतलब स्टाफ  एसोसिएशन के लोग चाहते हैं कि आप बबीना का डिफेंस करें। हमने आपकी बहुत ख्याति सुनी है। विभा मर्डर केस में भी आपने निर्दोष को कितनी कठिन परिस्थितियों के बावजूद बचाया था।
मधुसूदन को याद आया कि मनीष के निर्दोष सिद्ध होने पर उन्हें कितना अच्छा लगा था, उन्होंने यह केस लेना भी मंजूर कर लिया।
बबीना जेल में बहुत तनाव में थी, पर भी उसका सौंदर्य छलक पड़ता था। मधुसूदन ने अपने को संतुलित करते हुए कहा, ‘बबीना आप मुझे हत्या के दिन की घटनाओं को बिल्कुल ठीक-ठीक बताना। मुझसे कुछ न छिपाना तभी मैं तुम्हारी मदद भली-भांति ठीक से करूंगा। प्लीज बुरा मत मानिएगा, पर पहले तो आपको यह बताना होगा कि मैनेजर साहब से आपका क्या रिश्ता था।
बबीना ने सिर नीचे कर लिया- आप कह सकते हैं कि मैं उनकी सबसे चहेती डांसर थी। उन्हें पीने की आदत तो थी ही तो रात के समय ठीक समय पर मैं होटल के कमरे में पहुंचाती थी। कभी मैं भी वहां रुक जाती थी, कभी घर लौट जाती थी।
-अब बताईए कि हत्या वाले दिन क्या हुआ?
नौ बजे के करीब डांस वगैरह से फ्री हुए, फिर खाना-पीना चला। हम तीन जने थे - मैनेजर साहब, मैं और मोंटू उस्ताद।
फिर 10 बजे करीब हम खा-पीकर कैबिन से बाहर आए। मोंटू उस्ताद होटल से अपने घर चला गया और गेट से हमने उसे बॉय कहा।
-यह मोंटू उस्ताद है कौन?
-अब सर आप से क्या छिपाना। होटल में बार डांसर आदि की उपलब्धि की व्यवस्था वही करना है।
 कहां से?
-इस शहर से भी। दूर-दूर के गांवों से भी। विभा मर्डर केस में जो गबरू और वीरू पकड़े गए वे उसके छोटे एजेंट थे।
-ओह!
-उसके बाद मैं मैनेजर साहब को उनके कमरे में ले गई जहां मैंने उनके सोने का इंतजाम किया, जैसा कि मैं प्राय: करती थी। मैंने पहले ही उन्हें समझा दिया कि आज मुझे घर जाता है। अत: एक बार वे सैटल हो गए तो मैं बॉय कहकर होटल से अपने घर की ओर चल पड़ी, करीब साढ़े दस बजे। 

(क्रमश:)