अन्तर्राष्ट्रीय संदेश

विगत 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद समूचा घटनाक्रम बहुत तेज़ी से चला है। इस हमले में हुईं 26 मौतों के बाद कश्मीर घाटी के लोगों की मानसिकता में बड़ा बदलाव आया है। इसलिए भी कि इस घटनाक्रम ने कश्मीर घाटी की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां एक तरह से ठप्प कर दी हैं। इससे पहले वहां के लोगों के भीतर भारी उम्मीद पैदा हुई थी। उन्हें अपना भविष्य अच्छा दिखाई देने लगा था, परन्तु इस घटना के बाद फैले सन्नाटे ने वहां के भविष्य पर एक बार फिर प्रश्न-चिन्ह लगा दिया है।  इसके बाद भारत द्वारा उठाए गए कदम बहुत प्रभावशाली थे। इसलिए भी कि यह समय आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई का बन चुका है। 
विगत 36 वर्ष से जिस तरह बार-बार पाकिस्तान में पोषित हो रहे आतंकवादी संगठनों ने भारत को रक्त-रंजित किया है। जिस तरह इन्होंने देश की प्रभुसत्ता पर चोट मारी है, उससे यह अहसास ज़रूर पैदा हुआ है कि एक बार निर्णायक लड़ाई लड़ने की ज़रूरत होगी। यह भी कि पाकिस्तान जो सैन्य शासकों का गढ़ है, की आंतरिक हालत बेहद नाज़ुक हो गई है। उसके भीतर ऐसी ब़गावतें पैदा हुई हैं, जिन्होंने इस देश के भविष्य को ही ़खतरे में डाल दिया है। यह दिवालियापन के किनारे पर भी पहुंच चुका है। सेना ने दशकों तक लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है, परन्तु इसके बावजूद पाकिस्तान की सरकारें जो हमेशा सैन्य जरनैलों के अधीन रही हैं, भारत को रक्त-रंजित करने की अपनी सेना की नीति में कोई बदलाव नहीं ला सकीं। इसी क्रम में भारत के पाकिस्तान के प्रति सख्त हो गए रवैये, खास तौर पर सरकार द्वारा सिंधु जल समझौता रद्द करने को देखा जा सकता है। यह पाकिस्तान के लिए एक ऐसी बड़ी चोट है, जिसे उसके लिए सहन करना मुश्किल है। दोनों देशों की चार दिनों की आपसी लड़ाई के बाद पाकिस्तान प्रत्येक पक्ष से बचाव की नीति पर आ खड़ा हुआ है। चाहे चीन खुल कर उसकी सहायता करने ज़रूर आया है परन्तु विश्व भर के ज्यादातर देश स्पष्ट रूप में भारत का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं।
आतंकवाद के प्रति अपनी ओर से अपनाई गई सख्त नीति के संबंध में विश्व भर के देशों को बताने के लिए, जो योजना भारत द्वारा बनाई गई है, वह देश के परिपक्व दृष्टिकोण का प्रकटावा करती है। भिन्न-भिन्न राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के अतिरिक्त अलग-अलग क्षेत्रों की प्रभावशाली शख्सियतें और सभी वर्गों के प्रतिनिधियों की बनाई गई समितियां, जिनमें 59 प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है, वे भिन्न-भिन्न तौर पर 33 देशों का दौरा कर रही हैं। इनमें शामिल भारतीय प्रतिनिधि आतंकवाद के प्रति भारत की पहुंच संबंधी जानकारी देने के साथ-साथ द्विपक्षीय सहयोग के लिए विस्तारपूर्वक बातचीत भी करेंगे। इसी तरह से पाकिस्तान द्वारा चार दशकों से अपनाई गई नकारात्मक नीति को भी प्रत्येक स्थान पर उजागर किया जा सकेगा। चाहे इन समितियों में शामिल भिन्न-भिन्न पार्टियों के राजनीतिक नेताओं संबंधी कुछ किन्तु-परन्तु ज़रूर हुए हैं परन्तु इनके बावजूद एक सांझी भावना से किए जा रहे ये दौरे बड़े प्रभावशाली सिद्ध हो सकते हैं।
हम यह महसूस करते हैं कि इस समय केन्द्र सरकार की यह बड़ी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह हर स्थिति में इस मामले पर एक सांझी राय कायम करने का यत्न करे। उसे अन्य पार्टियों के साथ इस संबंध में मुकाबलेबाज़ी में नहीं पड़ना चाहिए, अपितु भिन्न-भिन्न विचारों को समझ कर सभी को एक मार्ग पर चलने के यत्नों को अधिमान देना चाहिए। इससे जहां देश की प्रतिष्ठा में भारी वृद्धि होगी, वहीं देश को दरपेश चुनौतियों से निपटने के लिए भी सरकार को बड़ी शक्ति और हौसला मिलेगा। इस तरह यदि भारत हर कदम आपसी सहयोग और परिपक्वता से उठाता है, तो विश्व में भी इसका रुतबा बढ़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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