दूरियां कम करने में माहिर हैं पोप लियो

अपने पहले रविवार सम्बोधन में अमरीका में जन्मे, नये पोप लियो 14 ने विश्व में शांति के लिए अपील की है, विशेषकर गाज़ा व यूक्रेन की जंगों का उल्लेख करते हुए और उन्होंने भारत व पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का स्वागत किया है। कार्डिनल रोबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट का 8 मई, 2025 को 267वें पोप के रूप में चयन हुआ। वह इस उच्च पद पर पहुंचने वाले पहले अमरीकी नागरिक हैं और शायद इस कारण से उनकी नागरिकता को अधिक सुर्खियों में रखा गया है। यह ऐतिहासिक पदोन्नति तेज़ी से आयोजित कॉन्क्लेव में की गई, जिसमें कार्डिनल्स ने मात्र चार बैलट्स में नये पोप का चयन कर लिया, जो 1.4 बिलियन कैथोलिक के नेता होंगे। शिकागो में जन्म 69 वर्षीय प्रेवोस्ट को पोप लियो 14 नाम दिया गया गया है।
कॉन्क्लेव में प्रवेश करते हुए कार्डिनल प्रेवोस्ट को हर कोई ‘डार्क हॉर्स’ प्रत्याशी समझ रहा था और जनता का अनुमान अन्य पापाबिली (वह कार्डिनल्स जो पोप बनने के लिए सशक्त उम्मीदवार समझे जाते हैं) के पक्ष में था, जिससे यही पुरानी रोमन कहावत सही साबित हुई कि ‘जो कॉन्क्लेव में पोप बनने का दावा करते हुए प्रवेश करता है, वह कार्डिनल के रूप में ही बाहर आता है’। कार्डिनल प्रेवोस्ट का पोप के रूप में चयन पापल चुनावों की अप्रत्याशित प्रवृत्ति को ही साबित करता है। 
सेंट पीटर बसीलिका के केंद्रीय बरामदे में दर्शन देते हुए पोप लियो 14 ने परम्परागत लाल मोज्ज़ेट्टा (छोटा केप) और स्टॉले (ओढ़नी) पहना हुआ था, जिन्हें पोप फ्रांसिस ने त्याग दिया था। वहां एकत्र भीड़ को उन्होंने पहली बार संबोधित किया। उन्होंने अपने संदेशी की शुरुआत इतालवी अभिवादन ‘पेस अ वोई’ (तुम पर सलामती हो) से की और फिर स्पेनिश में बोलते हुए पेरू में अपनी प्रिय डायसिस (सूबा) चिक्लायो को शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में उन्होंने शांति, डायलॉग पर बल दिया और मिशनरी चर्च से कहा कि वह पीड़ितों की सेवा करने के लिए समर्पित रहे। अब जब एक अमरीकी पोप बन गये हैं तो उनकी तुलना पोप जॉन पॉल 2 से होना लाज़िमी सी है। पोप जॉन पॉल 2 ने अपने कार्यकाल में पोलैंड में सॉलिडेरिटी आंदोलन को प्रेरित किया था और पूर्वी यूरोप में राज्य के नास्तिक होने के वामपंथी विचार के विरुद्ध चुनौती में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अमरीका की अति दक्षिणपंथी नेता लौरा लूमर ने पोप लियो को ‘फ्रांसिस से खराब’, ‘ट्रम्प विरोधी’ व ‘मार्क्सवादी’ कहा है। 
चिक्लायो के बिशप के तौर पर सेवा करते हुए रोबर्ट प्रेवोस्ट ने 2015 में पेरू की नागरिकता ग्रहण कर ली थी। वहां लगभग दो दशक का मिशनरी कार्य करते हुए उन्हें स्थानीय लोगों का भरपूर प्यार मिला था और लोग उन्हें ‘उत्तर का संत’ कहने लगे पोप फ्रांसिस ने रोबर्ट प्रेवोस्ट को जनवरी 2023 में डिकास्टेरी फॉर बिशप्स (वैटिकन का वह विभाग जो बिशपों की नियुक्तियों के संदर्भ में सुझाव देता है) का प्रमुख नियुक्त किया था। फ्रांसिस के विचारों को आगे ले जाने के लिए यह प्रमुख भूमिका थी। लेकिन 2012 में अगस्टिनियन आर्डर के नेता के रूप में प्रेवोस्ट ने ‘समलैंगिक जीवनशैली’ व ‘वैकल्पिक परिवारों’ की आलोचना की थी और बाद में पेरू में बिशप रहते हुए उन्होंने स्कूलों में सरकारी ‘लैंगिक विचारधारा’ का विरोध किया था। पोप लियो जानबूझकर चुना गया नाम है जिसका पोप लियो 13 से संदर्भ है, जिन्होंने 1891 के अपने खुले पत्र ‘रेरुम नोवारुम’ में श्रमिकों के अधिकारों को संबोधित करते हुए आधुनिक कैथोलिक चर्च की सामाजिक शिक्षा के लिए बुनयादी टेक्स्ट स्थापित किया था। 
रोबर्ट प्रेवोस्ट ने गणित में बीएससी की डिग्री 1977 में विल्लानोवा यूनिवर्सिटी से हासिल की, बाद में उन्होंने रोम के एंजेलिकम से कैनन लॉ में डाक्टरेट की डीग्री हासिल की। उनकी थीसिस का विषय था ‘द रोल ऑ़फद लोकल प्रायर इन द आर्डर ऑफ़ सेंट गस्टीन’। सीधे कार्य करने के लिए उनकी तारीफ हुई, जैसे पेरू के गरीब जिले त्रुजिलो में उन्होंने सेंट रीटा के लिए नया पैरिश (एक धार्मिक ज़िला जिसका अपना चर्च व पादरीगण हों)स्थापित किया और चिक्लायो में बाढ़ पीड़ितों को स्वयं राहत वितरित की। 
जब वह 1999-2001 में शिकागो में अगस्टिनियन प्रोविंशियल प्रायर थे, तो उन्होंने स्कूल के निकट जेल में रह रहे शोषण के आरोपी जेम्स रे को बतौर पादरी मंज़ूरी दी थी, जिसकी आलोचना शिकागो के कार्डिनल ब्लेज़ कपिच ने की थी। प्रेवोस्ट जब 2022 में चिक्लायो, पेरू में थे तो पादरियों के खिलाफ शिकायतों के कारण पीड़ितों के वकील समूह ‘स्नेप’ द्वारा हाथापाई करने के आरोप लगे थे, बावजूद डायोसिस के इस दावे के कि प्रोटोकॉल्स का पालन किया गया था और बाद में वैटिकन के अधिकारिक वक्तव्य में कहा गया था कि कोई कवर अप नहीं हुआ था। पोप लियो ने ऐसे समय में कार्यभार संभाला है जब कैथोलिक चर्च, विशेषकर अमरीका में गहरे अंदरूनी विभाजन का अनुभव कर रही है। इस जटिल संसार में उनके समक्ष चुनौतियां ही चुनौतियां हैं, लेकिन वह पुल निर्मित करने वाले पोप हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#दूरियां कम करने में माहिर हैं पोप लियो