भारत का सर्वोच्च् नागरिक सम्मान भारत रत्न

‘भारत रत्न’ भारत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। पहले यह पुरस्कार कला, साहित्य, विज्ञान और सार्वजनिक सेवाओं में निभाई उच्च सेवाओं के बदले दिया जाता था। अब ‘भारत रत्न’ के लिए जाति, व्यवसाय पद या लिंग के भेदभाव के बिना कोई भी व्यक्ति योग्य होता है। यह सम्मान ‘मानवीय कोशिशों के किसी भी क्षेत्र’ में उच्च क्रम की बेमिसाल/कारगुजारी के सम्मान में दिया जाता है।
‘भारत रत्न’ की स्थापना 2 जनवरी 1954 को हुई थी। देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न की 2 जनवरी 1964 को राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने शुरुआत की। सम्मान में कोई नकद राशि नहीं होती सिर्फ भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला र्स्टीफिकेट और पीपल के पत्ते के आकार का मैडल ही दिया जाता है। पीके एक तरफ सूर्य का चित्र और ‘भारत रत्न’ लिखा होता है और दूसरी तरफ ‘सत्यमेव जयते’।
सम्मान के लिए सिफारिश स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है। प्रत्येक वर्ष अधिक से अधिक तीन नामज़द व्यक्तियों को भारत रत्न के साथ सम्मानित किया जाता है।
पहली बार 1995 में आज़ाद भारत के पहले गवर्नर-जनरल और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी. राजागोपालचारी, भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उप-राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और नोबल पुरस्कार विजेता भौतिक वैज्ञानिक डा. सी.वी. रमन को ‘भारत रत्न’ के साथ सम्मानित किया गया। मूल कानूनों में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ की व्यवस्था नहीं थी। जनवरी 1955 में संशोधन करके इसकी अनुमति दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे।
देश के प्रसिद्ध खिलाड़ियों के लिए यह सम्मान सबसे पहले सन् 2014 में शुरू किया गया। पहली बार यह सम्मान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को मिला। इस प्रकार वह सबसे कम आयु (40 वर्ष) में ‘भारत रत्न’ प्राप्त करने वाले व्यक्ति बन गये हैं। क्रिकेट के लिए डाले विलक्षण योगदान के कारण उनको ‘भारत रत्न’ दिया गया। खान अब्दुल गफ्फार खान (1987) और नेल्सन मंडेला (1990) ‘भारत रत्न’ के साथ सम्मानित होने वाले पहले दो ़गैर-भारतीय थे।
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