किसानों की हैसियत का स्वाद बदल देता है सेब का पेड़
भारत में सेब अभिजात्य फलों में से है। आजकल ये हर मौसम में मिलता है और इसे हर कोई खाना चाहता है ये अलग बात है कि सेब का खाना सबकी हैसियत में नहीं होता। पर चूंकि सेब हेल्थ के नज़रिये से इतना महत्वपूर्ण फल है कि डॉक्टर तो हर किसी को, हर रोज़ एक सेब खाने की हिदायत देते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति रोज एक सेब खाता है, उसे कभी डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। बहरहाल सेब इतना महत्वपूर्ण फल है कि इसकी हर जगह, हर मौके पर खूब मांग रहती है। यही कारण है कि सेब हर समय कम से कम 100 रुपये के आसपास बिकता है। जाहिर है सेब का पेड़ आर्थिक दृष्टि से किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में सेब का पेड़ मुख्यत: पर्वतीय और ठंडी जलवायु वाले इलाकों में पाया जाता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और कृषि क्षेत्र में हुए तमाम तकनीकी उन्नति के कारण अब सेब पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे मैदानी राज्यों में भी किसानों द्वारा उगाया जा रहा है और इससे उनकी आर्थिक हैसियत बदल रही है।
भारत में कहां-कहां होती है सेब की खेती
पारंपरिक रूप से सेब का उत्पादन देश में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम जैसे राज्यों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सदियों से होता रहा है। लेकिन जैसा कि हमने कहा उन्नत कृषि तकनीक के कारण अब हिमालय से सटे मैदानी राज्यों जैसे- पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कुछ ज़िलों में भी ‘लाचलिंग’ वैरायटी के सेब उगाये जा रहे हैं। पारंपरिक रूप से हिमाचल प्रदेश के शिमला, किन्नौर, कुल्लू, मंडी और चंबा ज़िले में सेब उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। जबकि जम्मू-कश्मीर के शोपियां, बारामुला, पुलवामा और अनंतनाग ज़िले सेब उत्पादन के गढ़ हैं, तो उत्तराखंड में अल्मोड़ा, नैनीताल, चमोली और उत्तरकाशी जैसे ज़िलों में भी सेब की खेती होती है।
किसानों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है सेब
सेब की खेती न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है बल्कि इससे जुड़े अनेक सामाजिक व पारिस्थितिकी लाभ भी हैं। मसलन :-
* सेब एक नकदी फसल है। इसका बाज़ार मूल्य अधिक होता है। खासकर अच्छी गुणवत्ता वाले सेब का। इसलिए सेब की फसल से अच्छी खासी कमाई होती है।
* सेब का पेड़ सिर्फ किसान के लिए ही आर्थिक सहायता नहीं पहुंचाता बल्कि आम कृषि मजदूरों के लिए भी रोज़गार के अवसर पैदा करता है। कहते हैं सेब का एक पेड़ कम से कम पांच लोगों को रोज़गार देता है। सेब की बागवानी में पौधा रोपण से लेकर उसकी कटाई, छटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग और परिवहन तक कम से कम 5 लोगों को रोज़गार मिलता है।
* भारत से सेब दुनिया के अनेक देशों को निर्यात किया जाता है, जिससे अच्छी खासी विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। जो देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
सेब के पेड़ से अनुमानित आमदनी
सेब के एक पेड़ से एक किसान को हर साल 100 से 200 किलो फल मिल जाते हैं। एक हैक्टेयर में लगाया गया सेब का बगीचा 5 से 7 साल में फल देना शुरु कर देता है और औसतन एक हैक्टेयर सेब का बगीचा हर साल 15 टन उपज देता है, जिससे कि किसान को 10 से 15 लाख रुपये के सारे खर्च निकालकर फायदा हो जाता है। लेकिन हर साल 10 से 15 लाख रुपये की आमदनी पाने के लिए पहले किसान को हर साल सेब के बागीचे में 4 से 5 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बहरहाल सबकुछ के बावजूद चाहे जितना बाज़ार डाउन हो, लेकिन सेब का पेड़ कभी किसान को निराश नहीं करता। हर हाल में उसे फायदा पहुंचाता है। आमतौर पर सेब का एक हैक्टेयर का बागीचा रखने वाला हर किसान साल के अंत में 10 से 15 लाख रुपये का फायदा हासिल करता है।
लेकिन चुनौतियां भी हैं
सेब के पेड़ से आमदनी तो साफ-साफ दिखती हैं, पर सेब की बागवानी के समक्ष कई तरह की चुनौतियां भी हैं। मसलन-
* ग्लोबलवार्मिंग के कारण इन दिनों सेब की फसल में कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। मसलन तापमान बढ़ने के कारण कई बार सेब के पेड़ में जरूरी फूल नहीं आते और कई बार तापमान ज्यादा होने के कारण आये हुए फूल कुम्हला जाते हैं। जिस कारण फलों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
* बारिश और ओला से भी आजकल सेब की फसल को अकसर नुकसान हो जाते हैं, लेकिन इससे भी बड़ा संकट सेब के कारोबार में बिचौलियों का बढ़ता दखल है। कई बार बिचौलिए एक हो जाते हैं और उससे किसानों को सस्ती दर पर सेब की फसल बेंचने को मजबूर कर देते हैं।
* सेब के कारोबार में एक संकट सेब के भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की सीमित क्षमता भी है।
कैसे पाएं उन्नत फसल
* बहरहाल हर तरह की समस्याओं के प्रति सावधान रहते हुए सेब किसानों को डेपरिकेशन और मंचिंग जैसी आधुनिक तकनीकों से सेब की बेहतर फसल उगायी जाती है। सेब किसानों को हाईडेंटिसिटी प्लांटेशन को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा फसल पायी जा सके।
* किसान संगठनों को मिलकर सेबों के वितरण को संभालना चाहिए, जिससे बिचौलिए उन्हें ब्लैकमेल न कर सकें। ..और हां, इसके साथ सरकार द्वारा की जाने वाली सेब की खेती के लिए कई तरह की सब्सिडी और बीमा योजना का भी फायदा उठाना चाहिए।
* अगर इन सभी मामलों में किसान सचेत रहते हैं तो हर किसान सेब की खेती से अपनी आर्थिक हैसियत को बढ़ा सकता है। शायद इस हकीकत को किसान बेहतर तरीके से जानते हैं, यही वजह है कि भारत में सेब की खेती हर गुजरते साल में बढ़ती जा रही है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर