दुनिया में आग उगलने वाले भयावह रेगिस्तान
आजकल पड़ रही भीषण गर्मी से हर कोई परेशान है, लेकिन हकीकत ये है कि दुनिया के कुछ इलाकों में पड़ने वाली गर्मी के सामने ये गर्मी कुछ भी नहीं है। अपने देश में फिलहाल अधिकतम तापमान 47 डिग्री के आसपास है, लेकिन दुनिया में ऐसी जगह भी है जहां अधिकतम तापमान 70.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है। इस तापमान पर इंसानों की बात छोड़ दें जीव-जंतुओं का रहना भी नामुमकिन है। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग तरीके से अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किए गए हैं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि ये सभी जगह दुनिया के सबसे तपते गर्मिस्तान है।
दश्त-ए लुट डेजर्ट, ईरान
ईरान का यह रेगिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। जैसे पानी का समंदर होता है, बिल्कुल वैसे ही इसे रेत का समंदर समझो। पहले तो इसके नाम का मतलब जाने। बजरी या रेत की कड़ी परत को दश्त कहते हैं और बिना जल या वनस्पति के क्षेत्रों को लुट कहते हैं। इन दोनों शब्दों के मेल से इसका नाम दश्त-ए लुट रखा गया। मतलब यहां दूर-दूर तक बस रेत ही रेत है। पानी और पौधे क्या, जीवन का भी कोई निशान यहां मिलने से रहा। इसके कुछ हिस्से काले ज्वालामुखी के लावा से ढके हुए हैं, जो सूर्य की तीखी किरणों को अवशोषित कर लेते हैं। पूर्वी हिस्सा नमक का पठार है, साथ में घाटियां भी हैं, जबकि दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में ऊंचे-ऊंचे रेत के टीले देखने को मिल जाते हैं। एक बैक्टीरिया तक यहां नहीं पाया जाता। 2004 और 2005 में इस रेगिस्तान में रिकॉर्ड 70 डिग्री सेल्सियस तापमान था।
अल अजीजिया, लीबिया
यहां 13 सितंबर 1922 को अधिकतम तापमान 57.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस रिकॉर्ड ब्रेकिंग तापमान के बाद काफी लंबे समय तक लीबिया का यह रेगिस्तान पृथ्वी का सबसे गरम स्थान माना जाता था। इतना गरम होने के बावजूद यह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र है। इसके करीब बसा शहर त्रिपोली 3,00,000 लोगों से आबाद है। यही एक ऐसी जगह है, जहां इतनी गर्मी के बावजूद बड़ी जनसंख्या यहां रहती है। इस शहर में काफी कम बारिश होती है।
तिरत तवी, इज़रायल
इज़रायल के तिरत तवी में साल का अधिकतम तापमान 54 डिग्री तक जा पहुंचता है। तिरत तवी का अब तक का सबसे ज्यादा तापमान 22 जून, 1942 में रिकॉर्ड हुआ था। जॉर्डन नदी के पास बसा यह शहर पूरे साल तपता रहता है। पर यहां के निवासियों के लिए यह नदी थोड़ी राहत लाती है। यहां थोड़ी सी बारिश भी होती है।
डेथ वैली, अमेरिका
डेथ वैली नाम से पता चलता है कि कितनी खतरनाक जगह होगी। शुरू-शुरू में अमरीका आने वाले लोगों को यह घाटी पार करके ही आना पड़ता था। यहां के तापमान और सूखेपन के कारण बहुत से लोग घाटी को पार करने में ही मर जाते थे। कैलिफोर्निया के आसपास के क्षेत्रों में सोने के भंडारों का पता लगाने के लिए जाने वाले बहुत से लोग इस घाटी को पार करते समय मारे गए। बस इसके बाद से ही इसे ‘डेथ वैली’ यानी ‘मौत की घाटी’ का नाम दिया गया। 1933 में इस वैली को अमरीका का नेशनल मोन्यूमेंट भी घोषित कर दिया गया। विश्वास नहीं होगा पर, इसकी विचित्रता के कारण हर साल चार-पांच लाख लोग यहां जाते हैं। हालांकि यह घाटी रेगिस्तान है, लेकिन फिर भी यहां खरगोश, गिलहरी आदि बहुत से जानवर मिलते हैं। जुलाई 1913 में अब तक का सबसे अधिक तापमान यहां रिकॉर्ड किया गया, जो 56.7 डिग्री सेल्सियस था। ये सचमुच मौत की घाटी है। यहां जिंदगी पर हर वक्त मौत का साया मंडराता रहता है जहां इमारतें तो हैं लेकिन रहने वाला कोई नहीं है। डेथ वैली में साल में औसत वर्षा केवल 5 सेमी. के लगभग होती है।
दनाकिल रेगिस्तान (इथोपिया)
यहां पूरे साल औसत तापमान 48 से 50 डिग्री से. रहता है। धरती पर नरक की आग का अहसास कराने वाला दनाकिल रेगिस्तान, अफ्रीका के इथोपिया में है। दनाकिल में बारहों महीने, सातों दिन, 24 घंटे तापमान 48 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहता है। यहां जिंदगी का दूसरा नाम मौत है। यहां के गरम तलाबों में चौबीसों घंटे पानी उबलता रहता है। सल्फर वाले ये तालाब जब सूख जाते हैं तो जमीन पपड़ी ही पपड़ी दिखती है। ये दुनिया का ऐसा रेगिस्तान है जहां ज्वालामुखी का लावा भी अठखेलियां करता है। ये नजारा इतना अजीब होता है कि साल 2011 से वॉल्क नो-डिसक्वरी नाम की फर्म हजारों डॉलर लेकर सैलानियों को इस गर्मिस्तान का दर्शन कराने के लिए लाती है।
क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया)
क्वींसलैंड का अधिकतम तापमान 69.3 डिग्री सै. रहता है। धरती के सबसे शुष्क महाद्वीप ऑस्ट्रेलिया का ये क्वींसलैंड है। साल 2003 में यहां भयंकर सूखा पड़ा तब नासा के एक्वा सैटेलाइट ने यहां का अधिकतम तापमान 69.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया था। क्वींसलैंड में आमतौर पर पानी बहुत कम बरसता है, इसलिए इसे बैडलैंड भी कहा जाता है। लेकिन इसका एक हिस्सा हराभरा भी है। जहां अमीर ऑस्ट्रेलिया का पर्यटन उद्योग फलता-फूलता है।
तुरपन (चीन)
गर्मी और जीवन के मुश्किल हालात के मामले में भी ये डेथ वैली से मुकाबला करती हुई नज़र आती है। साल 2008 में तुरपन में अधिकतम तापमान 66.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। पहाड़ों को देख कर ये यकीन करना मुश्किल है कि यहां तापमान इतना ज्यादा कैसे हो जाता होगा। लेकिन ये लाल पहाड़ बलुआ पत्थरों से बने हुए हैं, जो दोपहर होते-होते तपते तंदूर में बदल जाते हैं। तुरपन घाटी चीन के प्राचीन सिल्क रूट का हिस्सा रहा है। लिहाजा रास्ते में कई जगह आपको प्राचीन गुफाएं भी दिखाई पड़ती हैं। इसके बावजूद इस गर्मिस्तान में जिंदगी के निशान ना के बराबर हैं।
टिंबकटू (माली)
सहारा के रेगिस्तान के मुहाने पर बसा टिंबकटू भी दुनिया का ऐसा गरम नरक है, जहां जिंदगी बहुत मुश्किल नज़र आती है। हालांकि टिंबकटू नाइजर नदी के पास बसा हुआ है। लेकिन सहारा के रेगिस्तान की वजह से शहर की गलियों और सड़कों पर रेत ही रेत नज़र आती है। टिंबकटू में सबसे ज्यादा तापमान 54.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है। एक जमाने में टिंबकटू हराभरा दिखता था। लेकिन 70 के दशक में पड़े भयंकर अकाल के बाद ये इलाका सूख गया। टिंबकटू एक प्राचीन शहर है।
केबिली (ट्यूनीशिया)
ये केबिली का रेगिस्तान है। जहां रेत के ऊपर जिंदगी नहीं दिखती। लेकिन रेत के भीतर छुपी होती है मौत। ये अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया का रेगिस्तान है। जिसके बगल में है केबिली। हालांकि रेगिस्तान में पड़ोस का केबिली शहर भी बसा हुआ है जहां 55 डिग्री तापमान में लाखों लोग जीवन बसर करते है।
वादी हाइफा (सूडान)
सूडान की हाइफा वादी भी दुनिया का तपता गर्मिस्तान है। खासतौर से मई से सितंबर के बीच हाइफा वादी जलती भट्टी में तब्दील हो जाती है। यहां तापमान 53 डिग्री तक पहुंच जाता है।
हमारे देश भारत में भी कई राज्यों के शहर ऐसे गर्मिस्तान हैं, जिससे मानव जीवन त्रस्त रहता है। देश के दस सबसे गर्म शहर है जहां तापमान ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर रखे हैं। इन गर्म शहरों में राजधानी दिल्ली है जहां लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है। मध्य भारत के छतरपुर ज़िले में नौगांग कस्बा दशकों से सबसे गर्म स्थानों में से एक है। झारखंड राज्य में डाल्टनगंज पलामू ज़िले का वह शहर है जहां सूर्य उगते ही तापमान सिर आसमान में उठा लेता है। मध्य प्रदेश में ग्वालियर व शिवपुरी में भी जानलेवा गर्मी पड़ती है तो इसी प्रदेश का खजुराहों भी गर्मी में आग उगलता है। महाराष्ट्र में विदर्भ की राजधानी नागपुर भी अपवाद नहीं है यहां झुलसाने वाली गर्म हवाएं जन जीवन झकझोर कर रख देती हैं। यूं तो समूचा विदर्भ ही नपता है, लेकिन चन्द्रपुर ज़िला भीषण गर्म स्थानों में माना जाता है। यहां का वर्धा ज़िला देश के गर्म इलाकों में शुमार है, यहां बारह महीने ही तापमान की त्यौरियां चढ़ी रहती हैं। राजस्थान में चुरु, जैसलमेर-बाड़मेर जहां रेगिस्तान से उठने वाली बेहद गर्म हवाएं जीना मुश्किल कर देती हैं।
कहने को दक्षिण भारत में मानसून सबसे पहले दस्तक देता हैं, लेकिन यहां भी गर्मी किसी को नहीं बख्शती है। तेलंगाना के खम्मन शहर में पूरे देश में रिकॉर्ड गर्मी पड़ती है। भारत के इन सभी शहरों में 48 डिग्री सेल्सियस से 50 डिग्री तक तापमान छूने को लालायित रहता है। यही वजह हैं कि भीषण गर्मी से न केवल भारत बल्कि विश्व के कई देशों में मौत का तांडव देखने को मिलता है। (सुमन सागर)