किसान मेलों तथा शिविरों में आकर्षण का केन्द्र बनते हैं बीज
रखड़ा में पंजाब यंग फार्मर्स एसोसिएशन द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.ए.आर.सी.) तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था (आई.ए.आर.आई.) के सहयोग से कोलैबोरेटिव आऊटस्टेशन रिसर्च सैंटर रखड़ा में किसान शिविर आयोजित हुआ, जिसमें किसानों को गेंहू की नई विकसित किस्मों के बीज उपलब्ध थे। शिविर में किसानों ने भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित दूसरी किस्मों से अधिक उत्पादन देने वाली एच.डी.-3385, एच.डी.-3386 गेहूं के बीज खरीदे।
सितम्बर माह किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसी माह किसान रबी की मुख्य फसल गेहूं की बिजाई की योजनाबंदी करते हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू ) लुधियाना भी किसान मेले इसी माह आयोजित करता है। मुख्य मेला पी.ए.यू परिसर लुधियाना में 26 तथा 27 सितम्बर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें 24 क्विंटल का औसत उत्पादन देने वाली पी.बी.डब्ल्यू-826 किस्म का बीज किसानों को वितरित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त पी.बी.डब्ल्यू-869, पी.बी.डब्ल्यू-824, पी.बी.डब्ल्यू-803, पी.बी.डब्ल्यू उन्नत-550 तथा विश्वविद्यालय द्वारा विकसित अन्य किस्मों के बीज भी किसानों में वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा डी.बी.डब्ल्यू-222, डी.बी.डब्ल्यू-187 किस्म के बीज भी किसान खरीद सकेंगे। अधिक उत्पादन तथा अगेती बिजाई के लिए डी.बी.डब्ल्यू-327, डी.बी.डब्ल्यू-332, डी.बी.डब्ल्यू-303 किस्में सिफारिश की गई हैं।
आज का युग नई तकनीक से परिणाम हासिल करने का है। प्रत्येक चुनौती से लड़ने कि लिए तैयार-बर-तैयार रहना पड़ेगा, जिसके लिए प्रत्येक किसान का अनुसंधान संस्थाओं तथा कृषि विश्वविद्यालयों से जुड़े रहना आवश्यक है। यह किसान मेले तथा शिविर किसानों तक प्रत्येक कृषि तकनीक पहुंचाने का साधन हैं और किसानों को प्रत्येक वर्ष सितम्बर या मार्च में रबी तथा खरीफ की फसलों की जानकारी तथा प्रशिक्षण देने के लिए बुलाते हैं। सितम्बर माह किसानों के लिए बहुत अहम है। विगत कुछ वर्षों में किसान मेले राजनीति का केन्द्र बन गए हैं। किसानों की बजाय राजनीतिक प्रवक्ताओं के प्रबंधन की ओर आयोजकों का ध्यान अधिक रहता है। उम्मीद है कि पी.ए.यू. में 26 तथा 27 सितम्बर को लगने वाला किसान मेला अधिक राजनीतिक प्रभाव वाला नहीं होगा। किसानों को इस समय बाढ़ के कारण बहुत नुकासन उठाना पड़ा है। इसलिए उन्हें इन मेलों और शिविरों का वास्तविक लाभ होना चाहिए, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो और नुकसान की भरपाई हो सके। ये किसान मेले तथा शिविर कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान का स्रोत बनने चाहिएं।
गेहूं की अगले माह बिजाई शुरू होने से किसानों को यूरिया तथा डी.ए.पी. की ज़रूरत होगी। इन्हें ज़रूरत के अनुसार उपलब्ध करने का सरकार द्वारा प्रबंध किया जाना चाहिए ताकि बाढ़ से हुआ खरीफ की फसलों का नुकसान किसान रबी की भरपूर फसल लेकर पूरा कर सकें। उत्पादन बढ़ाने के लिए शुद्ध तथा गुणवत्ता वाले बीजों की ज़रूरत है। चाहे पंजाब का गेहूं का उत्पादन दूसरे कई राज्यों से अधिक है, परन्तु किसानों के उत्साह, मेहनत तथा लागत को देखते हुए इसे बढ़ाने की गुंजाइश है। यह सब कुछ तभी कारगर सिद्ध होगा, यदि किसानों को इन शिविरों तथा मेलों में ज्ञान तथा तकनीकी जानकारी मिलेगी और शुद्ध बीज हासिल करने की व्यवस्था होगी। मंडी में बहुत मिलावटी तथा बीमारी वाले बीज मिलते हैं, जिनका उत्पादन अवश्य कम होगा। किसान मेलों तथा शिविरों, अनुसंधान संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों से इन समारोहों तथा प्रत्येक रबी-खरीफ के मौसम में उपलब्ध करवाए जा रहे बीज ही इस समस्या का सही समाधान हो सकते है।
बीजों की मंडी बड़ी पेचीदा हो गई है, जहां गैर-प्रमाणित किस्मों के बीज आम बेचे जाते हैं। इस कमी को दूर करने के लिए किसान मेलों तथा शिविरों में किसानों को बीज उपलब्ध करवाना ही एकमात्र समाधान है, परन्तु समस्या यह है कि छोटे किसानों को इन मेलों तथा शिविरों में आकर बीज खरीदने का मौका ही नहीं मिलता, क्योंकि उनके पास उस समय खरीफ की कमाई नहीं आई होती। सुझाव दिया जाता है कि ये मेले तथा शिविर अक्तूबर या अप्रैल में आयोजित किए जाएं ताकि प्रत्येक छोटा किसान इनसे लाभ ले सके। ज्ञान-विज्ञान का स्रोत हैं ये किसान मेले तथा शिविर। प्रत्येक किसान को इनसे लाभ उठाने का अवसर मिलान चाहिए।