अपनों का ही घाण

पाकिस्तान की वायु सेना द्वारा अपने ही नागरिकों पर बमबारी करके 30 से भी अधिक लोगों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, को मार देने और उनके घर को तबाह कर देने की घटना ने इस देश के पहले ही अशांत माहौल में और भी गड़बड़ पैदा कर दी है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के एक हिस्से के अतिरिक्त इस देश के पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ़खैबर पख़्तूनख्वा चार बड़े प्रांत हैं। दशकों से बलोचिस्तान में बड़ी गड़बड़ फैल रही है। सेना ने वहां अब तक हज़ारों ही लोगों को गोलियों से भून दिया है। 
ब़ागी बलोचों द्वारा बनाई गई बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने देश के विरुद्ध जेहाद छेड़ रखा है। यहां तक कि बलोचिस्तान में बसे या वहां आते-जाते पंजाबी मूल के लोगों को चुन-चुन कर मार दिया जाता रहा है। इसके साथ ही ़खैबर पख़्तूनख्वा जो उत्तर-पश्चिमी प्रांत है, भी लम्बे समय से गड़बड़ ग्रस्त है। वहां बेहद सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक युद्ध जैसी स्थिति पैदा की हुई है। इस संगठन पर पाकिस्तान में प्रतिबन्ध लगा हुआ है। इस प्रांत की सीमा अ़फगानिस्तान के साथ लगती है। इस रास्ते द्वारा सदियों तक केन्द्रीय एशिया से विदेशी आक्रमणकारी आकर भारत को लूटते रहे थे। यहां के अशांत माहौल को लेकर भी पाकिस्तान बड़ी घबराहट में है।
इस प्रदेश में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ शासन चला रही है। यहां ज्यादातर पख्तून नस्ल के लोगों के भीतर केन्द्रीय शासन के विरुद्ध इसलिए भी भारी रोष है, क्योंकि इस पार्टी के वरिष्ठ नेता इमरान खान को पिछले 2 वर्षों से नज़रबंद किया हुआ है। उसकी पार्टी का इस प्रदेश में बड़ा प्रभाव है। वह सेना प्रमुख आसिम मुनीर के इसलिए कड़े विरोधी  हैं कि वह इमरान को नज़रबंद करने के भागीदार हैं। पाकिस्तान ने पुन: तालिबान को अ़फगानिस्तान की सत्ता दिलाने में बड़ी सहायता  की थी, परन्तु आज ये दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन बने दिखाई देते हैं। पाकिस्तान को शिकवा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के ज्यादातर लड़ाकों को तालिबान सरकार ने अ़फगानिस्तान में शरण दी  है। इस कारण भी पाकिस्तानी वायु सेना अक्सर अ़फगानिस्तान के सीमांत क्षेत्रों पर हमले करती रही है। इस सन्दर्भ में ही विगत दिवस यह ताज़ा हवाई हमला ़खैबर प़ख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी के एक गांव पर पाकिस्तान सेना द्वारा किया गया है। अब वहां की सेना यह आरोप लगाती है कि यह हमला उसने तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों के विरुद्ध किया था, परन्तु इसकी ज़द में गांव में रहने वाले मासूम लोग आ गए हैं। इस घटना के कारण वहां के बड़े अकाखेल समुदाय में और भी रोष भर गया है।
अब पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है और इस संबंध में निष्पक्ष जांच करवाने के लिए कहा है। दशकों से इस क्षेत्र के प़खतून भी अपने अलग देश की मांग करते आ रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान के समक्ष एक और बड़ी गम्भीर चुनौती खड़ी कर दी है, जिसके बाद वहां शीघ्र कहीं शांति होने की सम्भावना नहीं है। पाकिस्तान स्वयं ही अपने बुने जाल में फंसता दिखाई दे रहा है। वहां की बर्बाद हुई आर्थिकता और ़गरीबी ने जन-साधारण के नाक में दम किया हुआ है, जिस कारण हमेशा ही यहां के लोगों में बेचैनी पैदा होती रही है। इससे पाकिस्तान की सरकार को भी निरंतर ़खतरा बना रहता है। ऐसे घटनाक्रम के दृष्टिगत यह बात और भी स्पष्ट होनी शुरू हो गई है कि यह देश एक बार फिर सैन्य तानाशाही के शिकंजे में फंस सकता है, जो पाकिस्तान के लोगों के लिए बेहद बुरा सन्देश हो सकता है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#अपनों का ही घाण