आग का पर्वत मेरापी

मेरापीपर्वत एक शंक्वाकार ज्वालामुखी है और मध्य जावा और योग्यकार्ता (इंडोनेशिया) के बीच की सीमा पर स्थित है। मेरापी पर्वत को इंडोनेशियाई और जापानी भाषा में गुनुंग मेरापी कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ आग का पर्वत मेरु=पर्वत अपी=आग है। यह पृथ्वी के सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है और यह इंडोनेशिया का भी सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है। यह 1548 के बाद से नियमित रूप से फूट रहा है। यह योग्यकार्ता शहर के बहुत करीब है और हज़ारों लोग इस ज्वालामुखी की ढलानों पर रहते हैं। इन ढलानों के कुछ गांव तो समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।वर्ष में कम से कम 300 दिन मेरापी पर्वत से धुआं निकलता रहता है और इसमें होने वाले कई विस्फोट लोगों की मौत का कारण बनते हैं। 22 नवंबर, 1994 को हुए एक बड़े विस्फोट से निकली गर्म गैसें 27 लोगों की मृत्यु का कारण बनीं जिनमें से अधिकतर ज्वालामुखी के पश्चिम में स्थित मुंतिलान शहर के वासी थे। एक दूसरा बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट 2006 में, योग्यकार्ता भूकंप से ठीक पहले हुआ था। मेरापी पर्वत का इसके आसपास की आबादी वाले क्षेत्रों के लिए एक बड़ा खतरा होने के कारण इसे दशक का ज्वालामुखी के रूप में नामित किया गया है।25 अक्तूबर, 2010 को इन्डोनेशियाई सरकार ने माउंट मेरापी के लिए अपना उच्चतम स्तर का अलर्ट (सतर्क) जारी किया और संकटग्रस्त गांवों के नागरिकों को गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी।