सिख इतिहास में विशेष महत्त्व है पाक स्थित  गुरुद्वारा कंगणपुर व माणक  देके का

अमृतसर, 19 अक्तूबर (सुरिन्द्र कोछड़) : पाकिस्तान के ज़िला कसुर के गांव कंगणपुर में श्री गुरु नानक देव जी के साथ संबंधित यादगार गुरुद्वारा माल जी साहिब आज भी मौजूद है। ‘महान कोष’, सफा 354 के अनुसार, जब गुरु साहिब भाई मरदाने के साथ उक्त गांव में आए तो गांव वालों ने उनको यहां रहने नहीं दिया और ईंटें व पत्थर मारे। इससे गुरु साहिब ने उनको ‘बसदे रहो’ कह कर अगले गांव माणक देके में चले गए। जब उस गांव के निवासियों को गुरु जी के वहां पहुंचने का पता लगा तो गांव वालों ने उनका स्वागत किया और तहदिल से सत्कार किया।  श्री गुरु नानक देव जी ने उनको ‘उजड़ जाओ’ की अशीष दी। सिख इतिहास मुताबिक भाई मरदाना से यह सब देखा न गया और उन्होंने गुरु साहिब के आगे अरदास की कि हे सच्चे पातशाह, जिन्होंने सेवा नहीं की उनको बसदे रहो और जिन्होंने सेवा की उनके लिए वचन हुआ कि ‘उजड़ जाओ’ इस बारे विस्तार के साथ समझाने की कृपा करें। गुरु जी ने फरमाया कि गांव माणक देके के लोग जहां भी उजड़ के जाएंगे, उधर नेकी और भलाई ही बांटेंगे, पर गांव कंगणपुर के लोग जहां भी जाएंगे उधर नफरत और विरोध ही प्रकट करेंगे। इसलिए गांव कंगणपुर के वासियों को एक ही जगह बसदे रहें और गांव माणक देके के वासियों को उजड़ने की अशीष दी है। बताया जा रहा है कि गुरुद्वारा माल जी साहिब खुंडियां-कंगणपुर रोड पर मौजूद है। गुरुद्वारे के मौजूदा ईमारत सन् 1939 में तैयार की गई। देश की विभाजन के बाद इसमें भारत से गए शरणार्थी परिवार रह रहे हैं, पर रख-रखाव की कमी स्थान की हालत काफी खस्ता हो चुकी है। उक्त के अलावा गांव माणक देके के बाहर सरकारी प्राइमरी स्कूल वाली गली में गुरुद्वारा मंजी साहिब मौजूद है। इस स्थान की हालत भी बहुत खस्ता है और इसके अंदर देश के विभाजन के समय मेवाड़ से गए शरणार्थी परिवार रह रहे हैं। कंगणपुर गांव के मुलाजिम परिवारों का कहना है कि लोगों ने गुरु जी को पत्थर मारे हैं, उनके वंश में पैदा होने वाली लड़कियों के जबान होने पर उनको आज भी गिल्लड़ की बीमारी हो जाती है।