" मिलट्री लिटरेचर फैस्टीवल 2019" जलियांवाला बाग नरसंहार पर गोष्ठी आयोजित

चंडीगढ़, 14 दिसम्बर (अ.स.): जलियांवाला बाग नरसंहार ने भारत की आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी तथा इसके बाद भारत की आज़ादी की लड़ाई के नेताओं ने फैसला किया कि वह ब्रिटेन साम्राज्य की और ज्यादतियां बर्दाश्त नहीं करेंगे। मिलट्री लिटरेचर फैस्टीवल के दूसरे दिन जलियांवाला बाग नरसंहार संबंधी करवाई गोष्टी दौरान इन विचारों का प्रकटावा करते श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीश तिवाड़ी ने इस नरसंहार संबंधी और खोज किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।नरसंहार संबंधी अन्य खोज व नरसंहार में मारे गए लोगों की गिनती संबंधी अध्ययन करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मनीश तिवाड़ी ने कहा कि उस समय ब्रिटेन साम्राज्य की ज्यादतियां ऊंचाई पर थीं तथा लोगों की आवाज़ को दबाने के लिए हर प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि जब महात्मा गांधी भारत लौटे तो आज़ादी की लड़ाई देश व्यापी लहर बनी तथा ब्रिटेन साम्राज्य के लिए पंजाब बहुत संवेदनशील था। तिवाड़ी ने कहा कि जलियांवाला बाग नरसंहार कोई एकदम घटी घटना थी बल्कि यह ब्रिटेन राज्य द्वारा किए जा रहे ज़ुल्मों का हिस्सा थी। गोष्टी में भाग लेते हुए प्रो. सुखदेव सिंह सोहल ने इस नरसंहार के विभिन्न पक्षों को छुआ, जिनमें उस समय की भारतीय सेना की बनावट, ब्रिगेडियर-जनरल आर. डायर के पद व ज़िम्मेवारी शामिल थी। उन्होंने 1857 की घटनाओं बारे भी जानकारी साझी की। उन्होंने बताया कि जनरल डायर व लैफ्टीनैंट गवर्नर सर माइकल अडवायर दोनों आयरलैंड से संबंधित थे तथा दोनों की सोच भी काफी मिलती थी। उन्होंने ब्रिटेन द्वारा इस नरसंहार संबंधी काफी समय बहुत जानकारी नष्ट न होने देने के लिए अपनाए ढंगों बारे जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा होने के कारण बहुत समय इस नरसंहार बारे बहुत कुछ साझा नहीं हो सका। गोष्टी दौरान मनोज जोशी ने इस नरसंहार के बाद महात्मा गांधी द्वारा निभाई गई भूमिका बारे भी चर्चा की।

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