नशों का जाल

गत दिनों अमृतसर के सुल्तानविंड क्षेत्र के एक घर से भारी मात्रा में हैरोइन बरामद की गई। इसके अलावा वहां से अनेक नशीली दवाइयां और ऐसे रसायन भी मिले, जिनको हैरोइन में मिलाकर उसकी मात्रा बढ़ाई जानी थी। इस फैक्टरी के बारे में पता चलने से एक बार तो सभी की आंखें खुल गई हैं। पंजाब पुलिस की विशेष टीम द्वारा इसका पता लगाने के बाद जिस कद्र इस धंधे के तार देश के अन्य कई हिस्सों और विदेशों तक जुड़े पाये गए हैं उससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि नशों का यह व्यापार दुनिया भर में किस सीमा तक होता है। 
इस फैक्टरी को चलाने के लिए एक अफ़गान नागरिक को भी यहां रखा गया था, जोकि पकड़ा गया है। हैरानी की बात यह है कि जिस मकान में यह धंधा चल रहा था उसको एक अकाली नेता जो इसाई भाईचारे का प्रतिनिधित्व करता है, द्वारा किराये पर दिया हुआ था। यहां ऐसा धंधा करने वालों के तार पहले गुजरात में पकड़ी गई नशों की एक बड़ी खेप से भी जुड़े हुए थे। इस संबंध में सिमरनजीत सिंह नामक एक तस्कर का नाम लिया जा रहा है, जो इटली भाग गया था, जिसको वहां पकड़ लिया गया है। यही बस नहीं, इसके लिए एक कांग्रेसी पार्षद के बेटे का नाम भी लिया जा रहा है। जिसके घर में पहले हैरोइन लाई गई थी और बाद में इसको सुल्तानविंड भेजा गया था। पकड़े गए 6 अपराधी पुलिस हिरासत में हैं। पूछताछ के दौरान उनके द्वारा बड़े खुलासे किए जा रहे हैं। इस समूचे घटनाक्रम से यह अवश्य स्पष्ट हो गया है कि आज बहुत सारे असामाजिक तत्वों द्वारा राजनीतिक कार्यकर्ता बन कर पर्दे के पीछे ऐसे कृत्य किए जाते हैं। ताकि उनका चेहरा राजनीति की चादर में दिखाई भी न दे और वह ऐसे धंधे भी करते रहें। इसीलिए ही अक्सर राजनीतिक क्षेत्र में अनैतिक और असामाजिक रुचियों वाले लोग दाखिल हो जाते हैं। राजनीतिक पार्टियां उनका संरक्षण करती हैं। इसीलिए ही आज प्रत्येक स्तर पर बहुत सारे ऐसे लोग अलग-अलग पार्टियों में शामिल हैं, जो चुनाव भी लड़ते हैं और कई बार जीत भी जाते हैं। 
चुनाव आयोग ने अनेक बार यह बात पार्टियों तथा उनके नेताओं के ध्यान में लाई है, परन्तु इन पार्टियों पर इसका कोई असर हुआ दिखाई नहीं दिया। इसीलिए आज देश की संसद में और राज्यों की विधानसभाओं में सैकड़ों ही आपराधिक धंधों वाले व्यक्ति बैठे हैं, जिन पर ऐसे केस चल रहे हैं। यह भी एक कारण था कि पंजाब की तत्कालीन सरकार के सत्ता सम्भालने के कुछ समय बाद ही नशों की तस्करी के मामले में कुछ पुलिस अधिकारियों के नाम भी सामने आये थे। जिनका संरक्षण होने के कारण बाद में उन पर लगे आरोपों को तथा बनाये गए केसों को रफा-दफा कर दिया गया था। यही कारण  है कि समय-समय पर प्रशासन द्वारा की गई बड़ी कोशिशों के बावजूद और इस कार्य के लिए विशेष टीमें नियुक्त किए जाने के बावजूद नशीले पदार्थों का यह धंधा खत्म नहीं हुआ। जब भी कोई ऐसी बात सामने आती है तो इसमें किसी न किसी रूप में राजनीतिज्ञों का नाम भी जुड़ जाता है। राज्य की कांग्रेस सरकार बड़े स्तर पर होते रेत-बजरी के घोटाले को खत्म करने और नशीले पदार्थों को पंजाब से जड़ से उखाड़ने के नाम पर लोगों द्वारा दिए वोटों के आधार पर सत्ता में आई थी। रेत-बजरी अवैध धंधे को खत्म करने में यह बुरी तरह असफल साबित हुई है। क्योंकि प्रत्येक स्तर के छोटे-बड़े राजनीतिज्ञ और बहुत सारे पुलिस अधिकारी ऐसे धंधे से जुड़े रहे हैं, जिनको अनेक कारणों से काबू किया जाना समय की सरकार के बस में नहीं है। जहां तक नशीले पदार्थों का संबंध है कई बार बाहर से मिली सूचनाओं के आधार पर पुलिस इस धंधे में लगे बड़े अपराधियों को कुछ सीमा तक पकड़ने में सफल अवश्य हो जाती है, परन्तु यह धंधा आज भी बड़े स्तर पर चल रहा है। इसी कारण सरकार राज्य के युवाओं को लगी अनेक तरह के नशों की लत को खत्म करने या कम करने में सफल नहीं हो सकी, क्योंकि नशों की सप्लाई को पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। यही कारण है कि हमारे आज के युवाओं को इन नशों ने बुरी तरह घेर लिया है और वह इनके चंगुल से बाहर आने से असमर्थ हैं तथा पूरी तरह निर्जीव हुए दिखाई देते हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि आज राज्य का भविष्य धुंधला है जिसके लिए प्रत्येक बुद्धिजीवी मनुष्य पूरी तरह चिंतित हुआ दिखाई देता है। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द