अर्थ-व्यवस्था के हित में नहीं है सोने का संग्रह

भारत सहित पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यवस्था जबरदस्त मंदी का सामना कर रही है। बाज़ार में धन की तरलता कम हो जाने के कारण अधिकतर देशों की माली हालत लड़खड़ा गई है और बेरोजगारी बढ़ रही है। इसके बावजूद व्यक्तिगत स्तर पर सोने की खरीद में तेजी आई हुई है। इस खरीद की पृष्ठभूमि में बैंक में जमा धनराशि की ब्याज दरों में कमी, जमीन-जायदाद और शेयर बाज़ार का कारोबार लगभग ठप्प पड़ जाना है। इसलिए लोग ठोस सोने-चांदी की खरीदकर संग्रह करने में लगे हैं। सोने में पूंजी लगाना सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। इसीलिए बीते पांच दाश्कों में सोने में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। बीते एक साल में यह वृद्धि 40 प्रतिशत रही है। कुछ साल पहले रिज़र्व बैंक द्वारा सोने में आयात के नियमों में ढील देने के कारण सोने का आयात बढ़ा है, जो विदेशी मुद्रा डॉलर में होता है। सोने की तस्करी भी बड़ी मात्रा में हो रही है। केरल की एक महिला 230 किलो सोने की तस्करी मात्र बीते एक साल के भीतर कर चुकी है। इसकी कीमत 125 से 130 करोड़ बताई जा रही है। एनआईए ने खुलासा किया है कि इस मामले से जुड़े आरोपी केटी रमीज के आतंकियों से संबंध हैं और वह इस धन से आतंकवाद के वित्त पोषण में लगा है। इस बिना पढ़ी-लिखी महिला के तार केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर संयुक्त अरब अमीरात के महावाणिज्य दूतावास तक जुड़े हैं। जाहिर है, यदि इस अनुत्पादक और मृत संपदा में बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार खप जाएगा तो निकट भविष्य में देश को विदेशी मुद्रा के संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक समय भले ही भारत सोने की चिड़िया कहा जाता हो, लेकिन आज तो उसे अपनी ज़रूरतों के लिए 95 फीसदी सोना दूसरे देशों से खरीदना होता है। कच्चे तेल के बाद सोने के आयात में ही सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च होती है। ऐसे में मिलावटी सोना भी खूब बिक रहा है। कोरोना काल में सोने में बहुत तेजी देखने में आई है। सोना अब करीब 54 हज़ार रुपए से अधिक प्रति 10 ग्राम पहुंच गया है। इससे पहले सोने के दाम इतने कभी नहीं उछले। चांदी भी 64 हज़ार रुपए प्रति किलो पहुंच गई है। दुनिया में रफ्तार के पहिये थम जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि इन धातुओं के दामों में फिलहाल गिरावट आने वाली नहीं है। भारतवासियों को सोने का बड़ा आकर्षण और लालच है। सोना भारतीय परम्पराओं में धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा-पाठ से लेकर शादी में वर-वधु को सोने के गहने देना प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक है। जीवन में बुरे दिन आ जाने की आशंकाओं के चलते भी सोना सुरक्षित रखने की प्रवृत्ति आम आदमी में खूब रहती है। इसलिए जैसे ही सोना सस्ता होता है, इसकी खरीद बढ़ जाती है, जिसका अप्रत्यक्ष प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। सोना डॉलर में आयात किया जाता है। इस वजह से व्यापार घाटा खतरनाक तरीके से बढ़ जाता है। इस कारण रुपए की कीमत भी गिरने लगती है।2003 में जहां हम 3.8 अरब डॉलर सोने का आयात करते थे, वहीं देश के धनी लोगों की स्वर्ण-लिप्सा के चलते 2011-12 में यह आंकड़ा 57.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत सोने के आयात के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। 2016-17 में 771.2 टन और 2018-19 में 760.4 टन सोने का आयात किया गया। राजस्व गुप्तचर निदेशालय यानी डीआरआई की 2019 में रिपोर्ट के मुताबिक देश में सोने की तस्करी लगातार बढ़़ रही है। 2017-18 में कुल 974 करोड़ रुपए का सोना पकड़ा गया। इसके अलावा कस्टम विभाग ने भी लगभग इतने ही सोने की बरामदगी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों से की। डीआरआई का मानना है कि तस्करी के जरिए जितना सोना भारत में आता है, उसका मात्र 5 से 10 प्रतिशत ही सोना पकड़ में आ पाता है। इस हिसाब से डीआरआई का मानना है कि 10 हजार करोड़ रुपए का सोना देश में तस्करी के जरिए आया है। विश्व स्वर्ण परिषद् का मानना है कि सोने पर 2.5 प्रतिशत कर बढ़ा दिए जाने के कारण तस्करी में वृद्धि हुई है। सोने की वैध खरीद पर कुल 12.5 प्रतिशत कर लगता है। सोना और इसके आभूषणों पर 3 प्रतिशत जीएसटी लगती है। इसके अलावा सोने के व्यापारी और स्वर्णकार इस पर दो प्रतिशत अलग से शुल्क लेते हैं। मसलन कुल मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से सोने के भाव में अंतर 15.5 प्रतिशत तक होता है। इस कारण तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक समग्र स्वर्ण नीति बनाने की घोषणा की थी,  लेकिन उनकी मृत्यु के बाद इस पर अमल नहीं हुआ।  बृहत्तर भारत में सोने का भण्डार लगातार बड़ रहा है। यह सोना देश के स्वर्ण आभूषण विक्रेताओं, घरों, मंदिरों और  भारतीय रिज़र्व बैंक में जमा है। 2014-15 में ही 850 टन सोना आयात किया गया था। इतनी बड़ी मात्रा के बावजूद विश्व स्वर्ण परिषद् का मानना है कि भारत के सरकारी खजाने में सिर्फ  557.7 टन सोना है। सोने के सरकारी भंडार के मामले में भारत 11वें स्थान पर है। इसके इतर इसी परिषद् का अनुमान है कि भारत में 22 हज़ार टन सोना घरों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों एवं पूंजीपतियों के न्यासों के पास है। गुजरे ज़माने के सामंतों के पास भी अकूत सोना है। सोने की उपलब्धता की जानकारी देने वाली यह रपट ‘इंडिया हार्ट ऑफ  गोल्ड 2015’ शीर्षक से जारी की गई थी। यह रिपोर्ट विश्व के तमाम देशों में सोने की वस्तुस्थिति के सिलसिले में किए गए एक अध्ययन के रूप में सामने आई थी। अमरीका के पास 8133.5 टन सोने के भंडार हैं।    

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