ट्रम्प बनाम बाइडन

विश्व का शक्तिशाली देश अमरीका राष्ट्रपति चुनावों को लेकर चर्चा में है। आज 3 नवम्बर (भारतीय समयानुसार 4 नवम्बर) को वहां चुनाव हो रहे हैं। मुख्य मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प एवं डैमोक्रेटिक पार्टी के जोय बाइडन के मध्य है। इस संबंध में कोई दो मत नहीं कि अमरीका विश्व की एक महा-शक्ति है। इसका लिखित संविधान भी सैकड़ों वर्ष पुराना है, जिसमें लगभग 250 वर्ष पूर्व अमरीका में ब्रिटिश शासन के खिलाफ कड़ा संघर्ष करने वाले जनरलों, बुद्धिजीवियों एवं उत्तम समझे जाते नागरिकों ने अपना योगदान डाला था। भिन्न-भिन्न समय में इस संविधान में संशोधन भी किये जाते रहे हैं। इसे समय के समकक्ष बनाने के लिए भी बड़े यत्न एवं लामबंदियां हुईं। अमरीका को स्वतंत्रता मिलने के बाद यहां कई बार गृह युद्ध भी हुये। अनेक बार इसे आर्थिक मंदी का भी सामना करना पड़ा तथा इसकी संवैधानिक संरचना को लेकर भी प्राय: बड़े एवं गम्भीर मतभेद बने रहे। महा-शक्ति बने इस देश ने विश्व भर के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रत्येक ढंग-तरीके के साथ हस्तक्षेप भी किया एवं अपना प्रभाव बनाने का भी यत्न किया। इसी कारण इसे 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में अपने देश में तथा दूसरे देशों में भी कई युद्धों का सामना करना पड़ा। 
20वीं शताब्दी में अनेक चुनौतियों के बावजूद अमरीका विश्व की महा-शक्ति बना, जिसने दो विश्व युद्धों में शामिल होकर न सिर्फ अपने सहयोगी देशों को विजय दिलाई, अपितु अपने प्रभाव को और भी बड़ा एवं स्थायी बनाया। 1917 में रूस की क्रांति के बाद सोवियत यूनियन ही एक महा-शक्ति बनकर उभरा था। उसके बाद विश्व के अधिकतर देश वामपंथी एवं दक्षिणपंथी गुटों में बंट गये थे। उभरे इन दोनों गुटों ने एक-दूसरे को चुनौती दी एवं इससे बड़े स्तर पर हथियारों की दौड़ भी शुरू हो गई थी। इसी कारण आज हमारी यह दुनिया विनाशक परमाणु हथियारों के ढेर पर बैठे दिखाई दे रही है। इस पूरे सन्दर्भ में अब तक अमरीका के प्रभाव को दृष्टिविगत नहीं किया जा सकता। इसीलिए जब भी इस देश के राष्ट्रपति का चुनाव होता है तो विश्व भर के देश एवं लोग उसे बड़ी दिलचस्पी एवं गम्भीरता के साथ देखते हैं। आज अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव इस कारण भी अधिक दिलचस्प बन गया प्रतीत होता है, क्योंकि इसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प विगत 4 वर्षों से निरन्तर भारी चर्चा में रहे हैं। उनकी व्यापक स्तर पर प्रशंसा एवं तीव्र आलोचना भी होती रही है। 
हम यह महसूस करते हैं कि इस काल के दौरान ट्रम्प अपने देश एवं विश्व भर में जिस प्रकार विचरण करते रहे हैं, उससे भारी विवाद उत्पन्न होते रहे हैं। उनकी ओर से समय-समय पर दिये गये बयानों की चर्चा विश्व भर में होती रही है। उन्होंने प्राय: मध्य-पूर्व के कई देशों पर हमले करने की धमकियां भी दीं एवं क्रियात्मक रूप में भी ऐसा करने के यत्न किये। उनके बयानों से हथियारों की दौड़ कम होने की अपेक्षा और बढ़ी। कोरोना महामारी के संबंध में उन्होंने जहां निरन्तर चीन की आलोचना की, वहीं संयुक्त राष्ट्र की विश्व स्वास्थ्य संस्था के विरुद्ध भी बड़ा दुष्प्रचार किया। यहां तक कि उन्होंने उससे संबंध तोड़ने की घोषणा भी कर दी थी तथा उसे दी जाने वाली राशि भी रोक दी थी। डोनाल्ड ट्रम्प पर यह भी आरोप लगता रहा है कि उन्होंने कोरोना महामारी को उस प्रकार गम्भीरता से नहीं लिया जिस प्रकार क्रियात्मक रूप में उसे लिया जाना चाहिए था। कोरोना ने विश्व भर में सर्वाधिक नुकसान भी अमरीका का ही किया है। डोनाल्ड ट्रम्प पर  रंगभेदी नीतियों को प्रोत्साहित करने के आरोप भी लगते रहे हैं। इसीलिए वहां एक अश्वेत व्यक्ति जार्ज फ्लायड की पुलिस के हाथों हुई मृत्यु के कारण व्यापक स्तर पर दंगे भड़क उठे थे। इसी काल के दौरान उन्होंने विश्व के कई देशों के प्रति अपने स्पष्टवादी रवैये का भी प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति उन्होंने न केवल मैत्री का दम भरा, अपितु दोनों देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने में भी वह सहायक हुए। 
आज जब चीन जैसे देश की ओर से भारत के साथ-साथ दक्षिणी चीन सागर के दर्जन भर देशों को धमकाया जा रहा है, तो उस समय डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के साथ डट कर खड़े होने की नीति अपनाई तथा उसे हर प्रकार का सहयोग देने का ठोस वायदा भी किया। डोनाल्ड ट्रम्प का इसी प्रकार का व्यवहार विश्व भर के अपने दोस्त एवं विरोधी देशों के प्रति बना रहा है, परन्तु इसके साथ-साथ उनकी नीतियों को विश्व भर में परमाणु युद्ध का ़खतरा बढ़ाने वाली भी समझा जाता रहा है। राष्ट्रपति पद के लिए आज हो रहे चुनावों के परिणाम सप्ताह भर बाद आएंगे। आशा की जा रही है कि यह सम्पूर्ण प्रक्रिया सही ढंग से सम्पन्न होगी, क्योंकि इस बार कोविड महामारी के कारण लगभग 10 करोड़ लोगों ने अपने मतों का डाक के माध्यम से इस्तेमाल किया है। रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प ने जहां कड़े अमरीकी राष्ट्रवाद को अपना चुनावी मुद्दा बनाये रखा, वहीं डैमोक्रेटिक उम्मीदवार जोय बाइडन ने अपने देश की स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, पैरिस वातावरण समझौते पर हस्ताक्षर करने एवं अमीरों पर अधिक कर लगाने आदि की अपनी प्राथमिकताओं को गिनाया। नि:सन्देह इन चुनावों के परिणाम विश्व की राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित करने वाले होंगे। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द