अपाहिज होकर भी सफल किश्ती-चालक है नितिन कुमार चन्द्रा

अपाहिज होकर भी सफल तैराक है नितिन कुमार चन्द्रा जिसने अपनी हिम्मत और साहस के साथ किश्ती चालक के क्षेत्र में अपना विशेष स्थान बनाया है। नितिन कुमार चन्द्रा का जन्म 24 जून, 1990 को उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर प्रयागराज में पिता लाल चन्द और माता जैमाना देवी के घर हुआ।नितिन कुमार जन्म से ही 40 प्रतिशत अपाहज है और जहां उसकी बाएं हाथ की तीन अंगुलियां आपस में जुड़ी हुईं हैं वहीं उसके बाएं तरफ सीने की हड्डियां भी दबी हुई हैं परन्तु इसके बावजूद उसे खेलों के प्रति शुरू से ही लगाव था और प्रयागराज में बहती यमुना नदी के कारण उसे किश्ती चलाने का बहुत शौक था। वर्ष 2005 में उसकी मुलाकात कोच त्रिभुवन निसाद से हुई जो नितिन कुमार के मार्गदर्शक ही नहीं बने अपितु नितिन कुमार को इतना हौसला दिया कि वह किश्ती यानि कियाकिंग कैनोइंग में मुहारत हासिल कर गया। चाहे कि शरीर कमज़ोर होने के कारण उसे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा परन्तु उनके कोच त्रिभुवन निसाद ने उसका हौसला पस्त नहीं होने दिया और अपने कोच द्वारा मिले योग्य नेतृत्व के कारण आज वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर का किश्ती चालक खिलाड़ी है। वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2021 तक नैशनल चैम्पियनशिप में भाग लेता आ रहा है और उसने देश भर में कई पदक प्राप्त किये हैं। इसके साथ ही उसने तीन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में खेल कर भारत का नाम ऊंचा किया है। वर्ष 2012 में उसने  पोलैंड में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग लिया। वर्ष 2016 में जर्मनी में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग लिया और वर्ष 2017 में उसने चैक रिपब्लिक यूरोप में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। नितिन कुमार की इतनी उपलब्धियां होने के बावजूद वह सरकारी नौकरी को तरसते हुए सरकार के मुंह की ओर देख रहा है परन्तु अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार या केन्द्र सरकार ने उसकी नहीं सुनी और उसे नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। वह कहता है कि
अपाहिज खिलाड़ियों के लिए सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है जबकि अपाहिज खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ियों से अधिक मुश्किलों को सहन करते हुए देश के लिए खेलते हैं। नितिन कुमार की सरकार से मांग है कि उनकी आर्थिक मदद करने के साथ-साथ उसे सरकारी नौकरी भी दी जाए ताकि वह अपने गरीब परिवार का पेट भर सके।

-मो. 98551-14484