टोक्यो पैरालम्पिक में भारतीय एथलीटों की कारगुज़ारी

इन पैरालम्पिक खेलों का दूसरा स्वर्ण पदक पुरुषों के एफ-64 वर्ग के जैवलिन थ्रो में सोनीपत (हरियाणा) के 23 वर्षीय सुमीत एंटिल ने जीता। यह सम्मान उसने 68.55 मीटर दूरी से विश्व रिकार्ड बना कर हासिल किया। एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में अपनी बायीं टांग घुटने से नीचे गंवा चुके सुमीत ने 2017 से ट्रेनिंग शुरू करके अपने वर्ग में दो वर्ष के भीतर विश्व रिकार्ड तोड़ दिया था। भारत को जैवलिन थ्रो में दो और पदक प्राप्त हुए, जब पुरुषों के एफ-46 वर्ग के जैवलिन थ्रो में राजस्थान के दवेन्द्र झांजड़िया ने 64.35 मी. दूर नेजा फेंक कर रजत पदक प्राप्त किया। राजस्थान के ही 25 वर्षीय सुंदर सिंह गुजर ने इसी वर्ग में 64.01 मी. दूर जैवलिन फेंक कर कांस्य पदक प्राप्त किया। गुजर जैवलिन थ्रो के साथ शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में भी अंतर्राष्ट्रीय पदक जीत चुका है। एथलैटिक्स की ऊंची कूद में भारत की झोली में चार पदक पड़े। पहला पदक पुरुषों के टी-47 वर्ग में हिमाचल प्रदेश के 21 वर्षीय निशध कुमार ने अपने पहले ही पैरालम्पिक में 2.06 मी. ऊंची कूद से रजत पदक जीता। निशध कुमार का बचपन से ही एक दुर्घटना में दायां हाथ चला गया था। दूसरा पदक पुरुषों के टी-63 वर्ग में 26 वर्षीय तमिलनाडू के मरियप्पन थंगुवेलू ने 1.86 मीटर ऊंची कूद से रजत पदक जीता। तीसरा पदक भी टी-63 वर्ग में बिहार के 29 वर्षीय शरद कुमार ने 1.83 वर्ग मी. ऊंची कूद से कांस्य पदक प्राप्त किया। चौथा पदक पुरुषों के टी-64 वर्ग में नोयडा (यू.पी.) निवासी 18 वर्षीय प्रवीन कुमार ने 2.07 मी. ऊंची कूद से नया एशियाई रिकार्ड बना कर रजत पदक प्राप्त किया। पुरुषों के डिस्कस थ्रो के एफ-56 वर्ग में दिल्ली के रहने वाले 24 वर्षीय योगेश कथूनिया ने 44.38 मी. दूर डिस्कस थ्रो फेंक कर रजत पदक जीता। भारत के एथलैटिक्स में एक स्वर्ण, पांच रजत और दो कांस्य पदकों सहित कुल आठ पदक प्राप्त हुए। 

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