हाकी टूर्नामैंटों में दर्शकों की उपस्थिति ज़रूरी

राष्ट्रीय स्तर पर यदि देश में करवाये जाने वाले हाकी टूर्नामैंटों की बात करें तो संख्या के लिहाज़ से अधिक कमी दिखाई नहीं देती। सच्चाई तो यह है कि इस पक्ष से सब कुछ ठीक चल रहा है। चाहे टूर्नामैंट प्रबंधक हमेशा इस पक्ष से असफल रहते हैं कि मैदान की ओर अधिक से अधिक दर्शक आकर्षित कर सकें। यही हाल राज्य स्तरीय या अन्य छोटे-मोटे टूर्नामैंटों का है। कागज़ों में टूर्नामैंट करवाये, मीडिया में अपने नाम की चर्चा चलाई और अपनी प्रशंसा कर ली। ऐसे टूर्नामैंटों के आयोजन से हाकी का रोमांच कितना बढ़ता है, खिलाड़ियों को कितना उत्साह मिलता है, हाकी कितनी लोकप्रिय होती है? आखिर हाकी के ऐसे टूर्नामैंटों का आयोजन हम क्यों करते हैं? यह प्रश्न हमें अपने-आप से पूछने की आवश्यकता है। जो बात विचार करने वाली है और चिन्ता का विषय है, वह यह है कि हमारे भीतर ऐसे सकारात्मक जवाब तो उठते हैं परन्तु दूसरी तरफ हमारी खेल संस्कृति में हाकी अलोप ही होती गई, क्यो? यदि ज़रूरत है तो इस ओर ध्यान देने की तथा कोई कोई बड़ा प्रयास करने की। सच कहें तो यदि हमारे प्रयासों में दम होता तो हाकी का यह हाल कभी नहीं होता।  इस सब के लिए आवश्यकता है हाकी के प्रति हमारी श्रद्धा, वफादारी और लगन की। अपने देश के इस राष्ट्रीय खेल को हर कीमत पर बचाने की। हिन्दोस्तान के खेल जगत को जिस तरह हाकी ने रौशनाया है, पूरे राष्ट्र का धर्म सिर्फ हाकी होना चाहिए। इस देश की सरकारें ने हाकी की परवाह नहीं करतीं तो न करें। इस देश का मीडिया हाकी से दूर रहता है तो रहे, परन्तु कुछ मुट्ठी भर लोग यदि इस देश में हाकी को पूर्व की भांति लोकप्रिय बनाना चाहते हैं तो फिर जिस ढंग से टूर्नामैंट करवा रहे हैं, ऐसे बात नहीं बनेगी। यह ठीक है कि हमारे देश में हालैंड, जर्मनी, आस्ट्रेलिया जैसी हाकी सुविधाएं नहीं हैं। एस्ट्रोटर्फ मैदानों की कमी, फ्लड लाइटों की रोशनी वाला कोई मैदान देश में नहीं है ताकि रात के समय वाला हाकी कल्चर पैदा हो सके परन्तु फिर भी जो लोक हाकी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं, उन्हें चाहिए कि हालैंड वाला माहौल इस देश में पैदा हो सके, जहां हाकी प्रेमी अपने हाकी सितारों का मनोबल, उत्साह बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में मैदानों में मौजूद होते हैं परन्तु हमारे खिलाड़ी को इस उत्साह की कमी उनके खेल करियर के शुरू में होती है। हाकी के जितने टूर्नामैंट देश की धरती पर विशेषकर पंजाब में आयोजित किये जाते हैं, यह बड़ी खुशी और गर्व की बात है, काश इनका आयोजन किसी खूबसूरत ढंग से हो सके। आज जो लोग हाकी से टूट चुके हैं, उन्हें हाकी से जोड़ने की आवश्यकता है। हमारी युवा पीढ़ी को देश के राष्ट्रीय खेल हाकी की ओर आकर्षित करने के लिए टूर्नामैंट प्रबंधकों को मैदानों में अधिक से अधिक इनकी शमूलियत करने की आवश्यकता है। चाहिए तो यह है कि किसी हाकी कुमैंटेटर की आवाज़ हमारे स्टेडियम में गूंजती हो, लोगों की स्टेडियम में बाढ़ आई हो, खिलाड़ियों के खेल पर सब की आंखें जमी हों, इतने बड़े जन-सैलाब के सामने दोनों टीमों के जीत-हार जीवन-मौत का प्रश्न बनी हो। उच्चकोटि के अम्पायर अपने कर्त्तव्य को पूरी ईमानदारी से निभा रहे हों। 

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