हाकी के राष्ट्रीय खेल होने का अधूरा सत्य

हाकी को भारत की राष्ट्रीय खेल माना जाता है। भारत के स्कूलों, कालेजों व यूनिवर्सिटियों के पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय खेल कबड्डी हाकी को भारत की राष्ट्रीय खेल के रूप में पढ़ाया जाता है। वास्तव में राष्ट्रीय खेल का अर्थ उस खेल से होता है, जो उस देश में सबसे अधिक लोकप्रिय हो। आम तौर पर राष्ट्रीय खेल का चयन किसी संवैधानिक व्यवस्था से नहीं होता परन्तु कुछ देशों में खेलों को कानून के तौर पर राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया होता है, जैसे कनाडा में लैक्रोसे , तथा आइस हाकी कनाडा के राष्ट्रीय खेल हैं। बंगलादेश में कबड्डी तथा श्रीलंका में वालीबॉल सरकारी तौर पर घोषित हुए राष्ट्रीय खेल हैं। अमरीका में बेसबाल को राष्ट्रीय खेल माना जाता है परन्तु इसकी कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है। स्पेन में सबसे लोकप्रिय खेल फुटबाल है परन्तु बुलफाइटिंग को वहां का राष्ट्रीय खेल माना जाता है। जहां तक भारत का प्रश्न है तो भारत में भी हाकी को राष्ट्रीय खेल माना जाता है परन्तु वास्तविकता यह है कि हाकी को भारत में राष्ट्रीय खेल का दर्जा केन्द्र सरकार ने अभी तक नहीं दिया है। जनवरी 2020 में महाराष्ट्र के ज़िला धुले की तहसील सिंदखेड़ा में स्थित वी.के. पाटिल इंटरनैशनल स्कूल में अध्यापक म्यूरेश अग्रवाल ने भारत सरकार के खेल विभाग में आर. टी. आई. याचिका डाल कर पूछा था कि भारत में हाकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा कब दिया गया था तो इस जवाब में केन्द्र सरकार के खेल विभाग ने 15 जनवरी, 2020 को जानकारी दी कि ‘भारत सरकार द्वारा हाकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया गया है। वास्तव में भारत सरकार की ओर से अभी तक किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया गया है, क्योंकि भारत सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय खेल मुकाबलों को उत्साहित करना है।’1928 से लेकर 1964 तक भारत की हाकी टीम ने सचमुच सुनहरी इतिहास का सृजन किया था। इन वर्षों के दौरान ही हाकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाने लगा चाहे कि केन्द्र सरकार का एक मंत्री भारतीय संसद में यह स्पष्ट कर चुका है कि हाकी भारत का राष्ट्रीय खेल नहीं है और भारत का कोई भी राष्ट्रीय खेल नहीं है परन्तु फिर भी अभी तक हाकी को भारत का रष्ट्रीय खेल ही समझा जाता है। भारत के खेल मंत्री भी एक सार्वजनिक मंच पर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि हाकी भारत का राष्ट्रीय खेल नहीं है, उनका कहना है कि भारत का कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है। एक आर.टी.आई. के जवाब में 17 जनवरी, 2015 को भारत सरकार में उस समय के उच्च सचिव तथा सहायक मुख्य सूचना अधिकारी शिव प्रताप सिंह तोमर ने बताया था कि भारत में किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया गया है। 2 अप्रैल, 2013 को तत्कालीन भारत के खेल मंत्री जतिन्द्र सिंह ने स्पष्ट कहा था कि हाकी भारत का राष्ट्रीय खेल नहीं  है, यह तो लोगों का भ्रम ही है। ओलम्पियन असलम शेर खान का विचार था कि हाकी ने देश का गौरव बढ़ाया है, उसे राष्ट्रीय खेल का दर्जा मिलना चाहिए। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नवाब पटौदी ने कई वर्ष पहले बयान दिया था कि हाकी की जगह भारत का राष्ट्रीय खेल क्रिकेट को बनाना चाहिए। उनके इस बयान से विवाद ही पैदा हो गया था। भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान प्रगट सिंह का उस समय कहना था कि पटौदी के बयान में किसी भी तरह देश प्रेम नज़र नहीं आता। उस समय नवाब पटौदी के बयान के बाद मास्को ओलम्पिक खेलों में सबसे बड़े स्कोरर तथा पंजाब पुलिस के पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी ओलम्पियन सुरेन्द्र सिंह सोढी का कहना था कि विश्व में हाकी खेलने वाले देशों की संख्या 200 के करीब है, जबकि क्रिकेट विश्व के सिर्फ 12-13 देश ही खेलते हैं। राष्ट्रीय खेल क्रिकेट  को बना दिया जाए तो यह किसी को पसंद नहीं होगा। भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान ओलम्पियन बलजीत सिंह ढिल्लों ने उस समय कहा था कि क्रिकेट को हाकी की जगह राष्ट्रीय खेल बनाने की बात कहना निराधार है।  उक्त अनुभव के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि हाकी को अभी भारत सरकार ने राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया, वास्तव में भारत सरकार ने अभी तक किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया।        

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