कब, कहां व क्यों ज़रूरी है नियमित व्यायाम

प्राचीन काल में मनुष्य के स्वस्थ रहने का कारण व्यायाम को ही माना जाता है। उस समय व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों में से व्यायाम के लिए भी समय निकालते थे परन्तु आज की भागदौड़ की जिन्दगी में मानव की व्यस्तता इस कदर बढ़ गई है कि वह अपने शरीर पर पूर्ण ध्यान नहीं दे पाता है। जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदय रोग आदि अनेक बीमारियां उसे घेर लेती हैं। व्यायाम शरीर को ही स्वस्थ नहीं रखता बल्कि हमें मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखता है। व्यायाम से अनेक बीमारियां स्वत: दूर हो जाती हैं। निरोगी काया होने से मनुष्य का आत्मविश्वास भी बढ़ता है और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ता जाता है।
३व्यायाम करने से भूख बढ़ती है। 
व्यायाम से शरीर मजबूत,आकर्षक व सुडौल बनता हैं
३पाचन क्रि या को बढ़ाने में व्यायाम का विशेष योगदान है।
व्यायाम से चिन्ता, रक्तचाप, व दिल के रोगों आदि की संभावना नहीं रहती।
३व्यायाम से दिमाग के कार्य करने की शक्ति बढ़ जाती है।
जोड़ों, कमर, गर्दन व अन्य प्रकार के दर्द होने पर व्यायाम द्वारा मुक्ति पाई जा सकती है।
३ नियमित व्यायाम करने से किसी प्रकार के संक्र मण का भय नहीं रहता।
३व्यायाम शरीर को चुस्त बनाए रखता है।
३रक्त संचार को सुचारू रखने में व्यायाम का महत्वपूर्ण योगदान है।
३व्यायाम फेफड़ों, मांसपेशियों व हड्डियों को सुदृढ़ बनाता है।
३महिलाएं यदि नियमित व्यायाम करें तो उनके चेहरे की कांति बढ़ती है। व शरीर सुडौल व लचीला बनता है।
३व्यायाम करने से पूर्व यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि व्यायाम सही स्थान व सही समय पर ही करें वर्ना आपको लाभ की बजाय अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
३सदैव खुले व हवादार स्थान पर ही व्यायाम करें।
३खुले मैदान या पार्क में व्यायाम करना उचित है।
३गंदगी वाले स्थान पर व्यायाम कदापि न करें।
३ खुला मैदान या पार्क नजदीक न होने की स्थिति में खुले व हवादार कमरे में भी व्यायाम किया जा सकता है।
३सुबह खाली पेट व्यायाम करना ही उचित है। व्यायाम शौच के पश्चात् ही करें।
शाम को भी हल्का व्यायाम किया जा सकता है।
३अधिक समय तक व्यायाम करना अनुचित है अत: समय व शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्यायाम करें।
३तनावग्रस्त होने पर व्यायाम न करें।
अधिक थकान या रोगग्रस्त होने पर व्यायाम करना हानिकारक है। (स्वास्थ्य दर्पण)