कई बीमारियों को दूर करे जल

जल मनुष्य के लिए प्रकृति का उपहार है। यह मानव ही नहीं अपितु सृष्टि के संपूर्ण प्राणियों के साथ ही वनस्पतियों के जीवन के लिए भी वरदान है। प्राणी भोजन किए बिना तो  कुछ दिनों तक रह सकता है, परंतु जल पिए बिना कुछ दिनों तक रहना कतई संभव नहीं है। 
जल अपने कुछ विशेष गुणों के कारण जैविक शरीर के पोषण में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के निर्माण तथा पोषण में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण ही किसी भी स्थिति में जल पीना वर्जित नहीं है। कोई भी बीमारी ऐसी नहीं है जिसमें चिकित्सक जल पीने से परहेज कराते हों बल्कि बीमारी की अवस्था में जल पीने की अतिरिक्त मात्रा का उल्लेख किया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर सेलाइन के माध्यम से जल की आपूर्ति करायी जाती है। जल ही मूत्र द्वारा शरीर के क्लोराइड्स को बाहर निकालता है। पसीने द्वारा कई प्रकार के अम्ल बाहर निकलते हैं। जल द्वारा चमड़ी की सफाई हो जाती है। ताजे जल से स्नान करने पर शरीर निर्मल, सबल, कान्तिमय तथा स्फूर्तियुक्त होता है। आंखों पर जल का छींटा देते रहने से आंखों की ज्योति बढ़ती है, मस्तिष्क में ताजगी बनी रहती है और सुस्ती भाग जाती है। हमारे शरीर में 7० प्रतिशत जल का भाग होता है, शेष 3० प्रतिशत भाग अन्य तत्वों में होते हैं। सूर्योदय से पहले उठकर नियमित रूप से पानी पीने से कई जटिल बीमारियां दूर होती हैं क्योंकि इससे खुलकर शौच आता है और कब्ज की शिकायत दूर होती है। आयुर्वेद के नियमों के अनुसार सुबह उठकर कुल्ला करने के बाद सब से पहले कम से कम एक गिलास जल पीना ही चाहिए भले ही प्यास नहीं लगी हो। बहुत अधिक पानी नहीं पीना चाहिए और बहुत कम पानी भी नहीं पीना चाहिए। दोनों दशाओं में भोजन नहीं पचता। जठराग्नि को बढ़ाने अर्थात पाचनशक्ति को बढ़ाने के लिए भोजन के साथ घूंट-घूंट कर एक गिलास पानी पीना ही पर्याप्त होता है। भोजन करते समय अधिक जल पीने से पाचन शक्ति कमजोर होती है और पेट में दर्द भी पैदा हो सकता है।  प्यास लगने पर अधिक से अधिक एक गिलास पानी ही एक बार में पीना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती। फलत: निर्जलीकरण नहीं होता। शरीर में  निर्जलीकरण होने से हैजा अर्थात् कै, दस्त, डायरिया आदि का प्रकोप भी हो सकता है जबकि इन बीमारियों में भी शरीर का जल अधिक निकल जाता है और जान पर आ बनती है।  दिन-भर में कम से कम आठ गिलास पानी पीना हितकर है।  जुकाम, खांसी, पथरी, पीलिया, कब्ज, मोटापा, ब्लडप्रेशर, मूत्र संबंधी संक्र ामक रोग, निमोनिया, कुकुर खांसी,  के रोगियों को दिन भर में 15-20 गिलास तक जल पीना चाहिए। चाय, काफी आदि गर्म पेयों के पीने से पहले एक गिलास जल अवश्य पी लेना चाहिए।दिन में दो-तीन घंटे के अंतराल पर जल अवश्य पीना चाहिए क्योंकि इससे अंत:स्रावी ग्रंथियों का स्राव पर्याप्त मात्र में निकलता रहता है और यही स्राव शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। लू तथा गर्मी लग जाने पर ठंडा जल व सर्दी लग जाने पर सुसुम जल पीना चाहिए। इससे शरीर को राहत मिलती है। फ्रिज के ठंडे पानी की अपेक्षा सुराही का पानी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।

 (स्वास्थ्य दर्पण)