अपना घर सुधारे पंजाब पुलिस


पंजाब में अमन-कानून की स्थिति को नियन्त्रण में करने, नशा-तस्करी को रोकने तथा गैंगस्टरों का सामना करने के लिए पंजाब पुलिस को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चाहे पंजाब पुलिस इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी ओर से पूरा ज़ोर लगा रही है परन्तु अभी भी अलग-अलग उपरोक्त क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं जो पुलिस की कारगुज़ारी तथा सामर्थ्य पर प्रश्न-चिन्ह लगाती हैं।
पुलिस को एक बड़ी चुनौती उसके अपने भीतर से मिल रही है। हमारे कहने का अभिप्राय यह है कि पुलिस के भीतर कुछ ऐसी काली भेड़ें मौजूद हैं जो उसकी छवि धूमिल कर रही हैं तथा अपराधों में वृद्धि का कारण भी बन रही हैं। उसके अपने वरिष्ठ अधिकारियों तथा कर्मचारियों के स्वयं अलग-अलग अपराधों में शामिल होने के मामले सामने आ रहे हैं। अक्तूबर महीने में पंजाब सतर्कता विभाग द्वारा अपने ही एक ए.आई.जी. आशीष कपूर को कुरुक्षेत्र की एक महिला तथा उसके परिवार को धोखाधड़ी के एक मामले में राहत देने का वायदा करके उससे एक करोड़ रुपये वसूलने के बाद उससे नज़रबंदी के दौरान दुष्कर्म करने आदि के गम्भीर दोषों में गिरफ्तार किया गया था। इस अधिकारी पर अपनी आय से अधिक सम्पत्ति बनाने संबंधी भी मामला दर्ज किया गया है। अब पुलिस शिकायत अथारिटी (सी.आई.ए.) ने उपरोक्त अधिकारी को क्लीन चिट देने वाले पंजाब पुलिस के तीन अन्य उच्च अधिकारियों के ़िखल़ाफ भी जांच करने के आदेश दिये हैं। यह पुलिस अधिकारी इस समय पटियाला जेल में बंद है।
पिछले दिनों कई अन्य पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों द्वारा भी अपराधों में शामिल होने के समाचार सामने आये हैं। यह बात अब जग-ज़ाहिर है कि मानसा सी.आई.ए. स्टाफ के प्रभारी प्रितपाल सिंह ने मूसेवाला हत्या कांड से संबंधित एक गैंगस्टर दीपक टीनू को भगाने में सहायता की थी। इसी तरह फिरोज़पुर जेल के डिप्टी सुपरिंटैंडैंट गुरचरण सिंह धालीवाल द्वारा जेल में गैंगस्टरों तथा अन्य दोषों में नज़रबंद अपराधियों को नशे तथा मोबाइल फोन उपलब्ध करने के दोष में गिरफ्तार किया गया था। यहीं बस नहीं, लुधियाना के एक सहायक एस.एच.ओ. हरजिन्द्र कुमार को भी पिछले दिनों 11 ग्राम हैरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके साथ मिल कर काम करने वाले ज़िला जालन्धर के एक गांव के दो अन्य दोषियों से भी 846 ग्राम हैरोइन पकड़ी गई थी। उपरोक्त पुलिस कर्मचारी उस गांव के दोषियों के साथ मिल कर नशा तस्करी करने का काम कर रहा था तथा स्वयं भी नशा करने का आदी बताया जा रहा है।
ये तो कुछ उदाहरण हैं जिनमें पुलिस के उच्च तथा जूनियर अधिकारी तथा कर्मचारी अलग-अलग मामलों में पकड़े गये हैं। ज्यादातर ऐसे मामले दबे ही रह जाते हैं। यह बात भी सफेद दिन की तरह स़ाफ है कि पुलिस में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। अक्सर अपने प्रभाव से बड़े लोग गम्भीर अपराध करके भी बच निकलते हैं तथा अनेक बार गरीब लोगों को झूठे मामलों में फंसा दिया जाता है तथा उन पर अत्याचार करके पुलिस द्वारा पैसों की भी वसूली की जाती है। बहुत-से  भिन्न-भिन्न किस्म के अपराधियों तथा माफिया गिरोहों के साथ पुलिस की मिली-भुगत के मामले भी बार-बार सामने आते रहते हैं।
हम मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में कार्य कर रही आम आदमी पार्टी की सरकार की इस बात पर प्रशंसा करते हैं कि उसने पंजाब पुलिस के सतर्कता विभाग को सक्रिय किया है तथा पिछले समय में बहुत-से सिविल तथा पुलिस से संबंधित उच्चाधिकारियों के खिल़ाफ भ्रष्टाचार तथा भिन्न-भिन्न अन्य गम्भीर दोषों के अन्तर्गत कार्रवाई भी की गई है परन्तु ज़रूरत इस बात की है कि यदि पंजाब पुलिस अपनी छवि बेहतर बनाना चाहती है तो उसे ऊपर से लेकर नीचे तक व्यापक स्तर पर पुलिस की स्क्रीनिंग करनी चाहिए।
जो पुलिस अधिकारी वैध-अवैध कार्य करके धन-दौलत एकत्रित कर रहे हैं या लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं, उनके खिल़ाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा जो पुलिस अधिकारी नशों की तस्करी करने वालों तथा गैंगस्टरों के साथ मिली-भुगत करके उन्हें जेलों में मोबाइल फोन तथा नशों सहित अन्य सामग्री पहुंचा रहे हैं, उनकी जांच-पड़ताल करके उन्हें तो पुलिस सेवा से भी हटा देना चाहिए। इससे न केवल पंजाब पुलिस को अपनी छवि बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी, अपितु लोगों को बेहतर पुलिस सेवाएं भी उपलब्ध की जा सकेंगी। मौजूदा स्थिति में अमन-कानून की स्थिति पर नियन्त्रण पाने तथा प्रदेश को अपराध रहित  बनाने हेतु ऐसे बड़े पगों की बेहद आवश्यकता है। आशा है कि पुलिस अपने घर को दुरुस्त करने हेतु भविष्य में कुछ बड़े पग ज़रूर उठाएगी।