भारत का विदेशों में बढ़ रहा प्रभाव


अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर पिछले कुछ समय से जिस तरह विश्व के ज्यादातर तथा बड़े देशों के साथ भारत के संबंध मज़बूत होते जा रहे हैं, उसे देश के भविष्य के लिए यह सुखद सन्देश ज़रूर कहा जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की मज़बूत पहचान बनती दिखाई दे रही है। चाहे चीन आज बड़ी आर्थिकता बनकर उभरा है परन्तु ज्यादातर देशों का भारत के प्रति समर्थन इसके अच्छे भविष्य का गवाह बन रहा है। भारतीय मूल के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत के साथ व्यापारिक समझौतों को लेकर जहां अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, वहीं चीन के साथ संबंधों में ब्रिटेन की दूरी बढ़ने का ज़िक्र भी किया है। खास तौर पर हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भविष्य की बड़ी सम्भावनाएं व्यक्त की जा रही हैं परन्तु इस क्षेत्र में हस्तक्षेप संबंधी बहुत-से देशों का ज़िक्र भी सुनक ने किया है जो उनकी भारत के साथ निकटता को दर्शाता है।
पिछले दिनों कनाडा ने भी भारत के साथ अपने बढ़ते आर्थिक संबंधों का विस्तार में ज़िक्र किया है तथा कहा है कि निर्माण तथा अन्य बड़ी आर्थिक सांझेदारी में वह भारत के साथ आगे बढ़ना चाहता है। इसी तरह पिछले दिनों आस्ट्रेलिया के साथ हुए भारत के मुक्त व्यापार समझौते को आस्ट्रेलिया की संसद ने स्वीकृति दे दी है। यह समझौता अप्रैल में हुआ था। आस्ट्रेलिया की संसद ने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए इसे दोनों देशों की बड़ी दोस्ती का परिणाम बताया तथा यह भी कहा कि ऐसे समझौते से दोनों देशों के आर्थिक विकास को उत्साह मिलेगा। इसी तरह कनाडा तथा भारत के मध्य विमानों के आवागमन को बढ़ाने संबंधी  समझौता हुआ है। कनाडा के उड्डयन मंत्री अलगाबरा ने कहा है कि इस नये समझौते से दोनों देशों में निवेश तथा व्यापारिक संबंध बढ़ने की बड़ी आशा की जा सकती है। न्यूज़ीलैंड ने भी पिछले दिनों भारत के साथ कारोबार, डिजिटल, शिक्षा तथा कृषि के क्षेत्र में द्वितीय संबंधों में बड़ी सम्भावनाओं के उजागर होने का ज़िक्र किया है। अमरीका ने भी दोनों देशों में रक्षा समझौते के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्रों में मिल कर काम करने की वचनबद्धता दोहराई है। इसी तरह ही अरब देशों में विशेष स्थान रखते सऊदी अरब ने भी भारत के साथ अपने सहयोग में वृद्धि की है। सऊदी अरब ने पिछले समय में भारत को बड़ी मात्रा में आक्सीजन भेजने हेतु भी सहायता की थी। इस समय सऊदी अरब भारत का चौथा बड़ा व्यापारिक भागीदार है। देश का 18 प्रतिशत तेल सऊदी अरब से ही आता है। भारत इस देश के साथ निर्यात बढ़ाने के लिए और भी समझौते सूचीबद्ध कर सकता है। इन सभी देशों ने चीन पर निशाना साधते हिन्द प्रशांत क्षेत्र में पैदा हुई स्थिति को चुनौतीपूर्ण मानते हुए भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। 
हम समझते हैं कि ऐसी स्थिति में भारत को जहां अपनी अर्थ-व्यवस्था को और मज़बूत करने का अवसर मिलेगा, वहीं इसे समर्थ देशों के साथ ऐसे समझौते ज़रूर करने चाहिए जो अपने ज़रूरतमंद लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर बनाने में सहायता कर सकें तथा भारत में बेरोज़गारी को कम करने में सहायक हो सकें। क्योंकि भारत की मूलभूत ज़रूरतें विकसित देशों के साथ बहुत अलग हैं तथा ऐसे समझौते करते हुए इसे अपने लोगों की ज़रूरतों को पूरी तरह ध्यान में रखना पड़ेगा।   मज़बूत अर्थ-व्यवस्था का लाभ समूचे रूप में सभी वर्गों  के लोगों तक पहुंचना चाहिए।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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