बड़ी गम्भीर समस्या बन गया है अतिक्रमण
देश के लिए अतिक्रमण कितनी बड़ी समस्या है, इसका अंदाज़ा सुप्रीम कोर्ट की दो सख्त टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अतिक्रमण हटाने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है। यह न्यायपालिका का काम नहीं है। राज्य सरकारें तत्काल प्रभाव से अतिक्रमण हटाएं। इस आदेश का कितना पालन हुआ, यह बताने और जताने की ज़रूरत नहीं है। इसी तरह दिसम्बर 2021 में शीर्ष न्यायालय को यहां तक कहना पड़ा था कि अवैध कब्जों की वजह से देश के बड़े शहर स्लम यानी झुग्गी-झोपड़ियों में परिवर्तित हो गए हैं। सवाल यह है कि आखिर देश के लिए यह इतना बड़ा रोग क्यों और कैसे बना? हमें इस प्रश्न का उत्तर भी जानना होगा। दरअसल घुसपैठ, पलायन, भू-माफिया, जनसंख्या विस्फोट, राजनीति और भ्रष्टाचार वे कारक हैं जिनसे देश के बड़े शहर झुग्गी-झोपड़ियों में बदलते जा रहे हैं और जिनकी वजह से अतिक्रमण को रफ्तार मिल रही है। अवैध कब्जों और अतिक्रमण से देश की अर्थव्यवस्था भी जुड़ी है। इनके कारण प्रतिदिन न जाने कितने हादसे होते हैं और सड़कों पर जाम लगते हैं। धन, ईंधन, ऊर्जा के साथ कीमती समय की बर्बादी होती है, प्रदूषण भी बढ़ता है। आजकल गांव से लेकर महानगरों तक अतिक्रमण देखा जा सकता है।
देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के सभी शहरों में तो सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जे कर बसी अवैध बस्तियों को नियमित करने का भी सिलसिला चल पड़ है। दिल्ली सरकार ने अक्तूबर 2019 में करीब 1800 अवैध झुग्गियों को वैध कर दिया था। करीब 40 लाख लोगों को घर का मालिकाना हक दिया गया था। इस कारण इन शहरों में एक झुग्गी माफिया पैदा हो गया है, जो कथित भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों से मिलकर अवैध कब्जे कराता है। आखिर यह सिलसिला कब तक जारी रहेगा? नि:संदेह अवैध कब्जे शहरों का रूप बिगाड़ने के साथ अन्य कई तरह की समस्याएं पैदा करते हैं, लेकिन इन्हे हटाने से ज्यादा ज़रूरी है, ऐसा होने न दिया जाए। यदि कहीं हो जाए तो सबसे पहले उसके लिए ज़िम्मेदार विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो। यह ठीक नहीं कि जब कोई घटना घट जाए तभी नगर निकाय अथवा सरकारें अतिक्रमण हटाने की ओर ध्यान दें। फिलहाल ऐसा ही हो रहा है। इस क्रम में अक्सर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हड़बड़ी में अथवा तय प्रक्रिया को अनदेखा करके की जाती है।
दिल्ली के 964 सरकारी पार्कों की करीब 70 एकड़ ज़मीन पर अवैध कब्जा हो गया है लेकिन नगर निगम अब तक इसे हटाने में नाकाम रहा है। तो जाहिर है अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है। अफसोस यह है कि इससे अब तक न तो निजात मिली है, न ही भविष्य में मिलती दिख रही है। (युवराज)