प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की सम्भावना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में 14 जनवरी के बाद जब हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अशुभ माने जाने वाले खरमास की अवधि खत्म हो जाएगी, बड़े फेरबदल होने की सम्भावना है। सूत्रों के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं, जिसमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) के भागीदार शिव सेना (शिंदे गुट) के नेताओं के अलावा जिन प्रदेशों में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जैसे कि त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम नागालैंड, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ से संबंधित कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। कुछ मंत्रियों को उनके बुरे प्रदर्शन के आधार पर मंत्रिमंडल से हटाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके प्रमुख मंत्रियों के समूह ने प्रत्येक कैबिनेट मंत्री को दिए गए विभाग में उनकी कारगुज़ारी के आधार पर एक रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है। 
‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर एक गीत 
भारत जोड़ो यात्रा पर आधारित एक गीत ‘अब नहीं तो कब...’ 2 जनवरी, 2023 को जारी किया गया। इससे महंगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई है, क्योंकि राहुल गांधी ने हमेशा यात्रा के दौरान इनका ज़िक्र किया है। जैसे कि गीत की पंक्तियां बताती हैं कि ‘परिवर्तन की हवा चल रही है’ तथा पूछा गया है कि ‘अब नहीं तो कब? बंद हो ऩफरत की राजनीति-अब नहीं तो कब? महंगाई का मटका फूटे-अब नहीं तो कब? बेरोज़गारी का चक्र छूटे-अब नहीं तो कब?..’ गीत जारी है। कांग्रेस ने टिप्पणी की कि यात्रा का उद्देश्य काफी सीमा तक पूरा हो गया था। के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि लोगों की चिन्ताओं को आवाज़ देने की कांग्रेस की परम्परा में यह एक महत्त्वपूर्ण नींव का पत्थर है। यात्रा पूरे देश में एकता का संदेश देने में काफी सीमा तक सफल रही है।
कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का नीति अधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक रायपुर में होगा, जिसमें राजनीति, अर्थ-शास्त्र, कृषि, शिक्षा तथा रोज़गार सहित अन्तर्राष्ट्रीय मामलों सहित अलग-अलग क्षेत्रों के साथ जुड़े प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस अधिवेशन में पार्टी की प्रमुख संस्थाओं जैसे कांग्रेस की सर्वोच्च कार्यकारी संस्था-कांग्रेस वर्किंग कमेटी तथा लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों संबंधी फैसला करने वाली शिखर की चुनाव संस्था-केन्द्रीय चुनाव आयोग के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि केन्द्रीय चुनाव सभा की स्थापना या तो चुनावों द्वारा की जाए या पार्टी अध्यक्ष द्वारा नामांकित की जाए। वर्तमान समय में पार्टी के बड़े फैसले लेने वाली संस्था एक परिवर्तनशील स्टीयरिंग कमेटी है, जो पार्टी के नव-अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पद सम्भालने के बाद बनाई गई थी।
 मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक
2024 के लोकसभा चुनावों से पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने बिहार में मुस्लिम वोट बैंक के विभाजन को रोकने के उद्देश्य से एक नई रणनीति अपनाई है। उन्होंने अलग-अलग सम्प्रदायों के मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ एक बंद कमरा बैठक की। नितीश कुमार ने उचित प्रभाव के साथ मुस्लिम बुद्धीजीवियों को फूट डालने वाली ताक्तों  के विरुद्ध पूरी तरह सतर्क रहने की अपील की तथा मुस्लिम समुदाय  को ए.आई.एम.आई.एम. सांसद असदुदीन ओवैसी की पार्टी से सावधान रहने की चेतावनी दी, जो उनके अनुसार भाजपा की ‘बी’ टीम है। नितीश भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान पर हैं तथा इसलिए उन्होंने सितम्बर में कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री तथा जनता दल सैकुलर नेता एच.डी. कुमारस्वामी, सी.पी.एम. के महासचिव सीताराम येचुरी, सी.पी.आई. के महासचिव डी. राजा, एन.पी.सी. नेता शरद पवार तथा समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव सहित अन्य अलग-अलग नेताओं से मुलाकात की थी। वह फिर से अपने अभियान हेतु नई चाल चलेंगे।
राहुल की यात्रा में शामिल हुए  छोटे दल
राष्ट्रीय लोक दल (आर.एल.डी.) तथा किसान संगठनों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना पूरा समर्थन देते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनकी भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया। राष्ट्रीय लोक दल (आर.एल.डी.) का स्थानीय नेतृत्व मार्च हेतु संख्या बढ़ा रहा था, जोकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए नये विकल्प के साथ-साथ नई सम्भावनाओं की ओर भी संकेत हैं। इसके अलावा पीस पार्टी के ध्वज तथा भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी दिखाई दिए। राहुल ने युवाओं, किसानों तथा कार्यकर्ताओं को न डरने की अपील की। प्रदेश में अपने तीन दिनों में राहुल की यात्रा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित थी, जो आर.एल.डी. का गढ़ है। (आई.पी.ए.)