समूची अर्थव्यवस्था को ही न ले डूबे हिंडनबर्ग का त़ूफान

 

24 जनवरी 2023 को जब समूचा देश 74वें गणतंत्र दिवस की जोर शोर से तैयारियां कर रहा था, उसी समय शेयर बाज़ार को हिला देने वाला एक वित्तीय हाहाकार भी अपने तांडव की तैयारियों में मशगूल था। अगले दिन यानी 25 जनवरी को इस तूफान ने थोड़ा सा अपना रौद्र रूप दिखाया, लेकिन गणतंत्र दिवस की तैयारी के चलते लोग इससे इस कदर नहीं डरे, न ही सन्नाटे में आए, जैसा 27 जनवरी 2023 को हुआ। जी हां, हम अडानी समूह को लेकर आयी हिंडनबर्ग रिपोर्ट की ही बात कर रहे हैं। 25 जनवरी को इसके तूफान ने जो माहौल बनाना शुरु किया था, 27 जनवरी को वह अपने विकराल रूप में आ गया। समूचा शेयर बाज़ार ताश के पत्ते की तरह हिलने लगा। 
28 लाख करोड़ रुपये वाले अडानी ग्रुप के बारे में अमरीका की इस रिसर्च फर्म हिंडबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि यह हेरफेर और एकाउंटिंग की धोखाधड़ी के बल पर टिका साम्राज्य है। हिंडनबर्ग ने यह भी दावा किया कि दो सालों तक उसके सैकड़ों रिसर्चर्स लाखों पेजों के दास्तावेज से गुजरे हैं, सैकड़ों वित्तीय विशेषज्ञों से आमने सामने बातें की हैं, दर्जनों अडानी समूह से जुड़े रहे तथा भारत के कारपोरेट जगत को नजदीक से जानने वाले लोगों से जानकारियां इकट्ठी की हैं और सोशल मीडिया से लेकर रेगुलर मीडिया तक हजारों लोगों की राय और लाखों मीडिया रिपोर्टों को खंगाला है। उस सबके आधार पर हम इस निष्कर्ष में पहुंचे हैं कि अडानी समूह पारिवारिक साजिशों, मनी लांड्रिंग, मुखौटा कंपनियों के द्वारा की गई चालबाजियों से फला फूला साम्राज्य है। इसके सारे शेयर ओवर वेल्यूड है। 
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक इस समूह के संस्थापक और इसके अध्यक्ष गौतम अडानी ने पिछले तीन सालों में 120 बिलियन अमरीकी डॉलर का शुद्ध मूल्य अर्जित किया है, जिसमें 100 बिलियन अमरीकी डॉलर तो पिछले तीन सालों में ही हासिल हुए हैं। खुलासे के मुताबिक इस दौरान अडानी समूह की कंपनियों को 819 प्रतिशत का लाभ हुआ है। हिंडनबर्ग ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी समूह की ज्यादातर संपत्तियां मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और कैरेबियाई देशों में स्थिति मुखौटा कंपनियों और टैक्स हैवेन गतिविधियों का नतीजा है। इस सनसनीखेज रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक बाजार में हेराफेरी करने का भी गंभीर आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि समूह की संपत्ति में एक बड़ा हिस्सा एकाउंटिंग की धोखाधड़ी का है। हिंडनबर्ग के इन खुलासों के बाद शेयर बाजार में अफरा-तफरी का तूफान आना ही था। इस रिपोर्ट के आने के पहले ही दिन यानी जब तक ज्यादातर लोगों को इस सबके बारे में पता ही नहीं था, अडानी समूह को 80 हजार करोड़ रुपये की चपत लग गई और वह हिचकोले खाने लगा।
अडानी समूह पर तूफान की इस मार ने दूसरी कंपनियों को भी नहीं बख्शा। कुल मिलाकर इस रिपोर्ट के आने के बाद पहले ही दिन में शेयर बाज़ार में करीब 2 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गये। लेकिन बात यहीं नहीं रूकी। गौतम अडानी की नेटवर्थ में ही अकेले 27 जनवरी 2023 तक करीब 2 लाख करोड़ की कमी आ चुकी थी। जो गौतम अडानी दुनिया के रहीसों में तीसरे नंबर पर थे, वह एक झटके में ही फिसलकर सातवें पायदान पर आ गये। यही नहीं 27 जनवरी 2023 को अडानी समूह पहली बार आईपीओ की तर्ज पर एफपीओ यानी फालो ऑन पब्लिक ऑफर लेकर आ रहा था। शायद कंपनी को यह सपने में भी उम्मीद नहीं रही होगी कि जिस तूफान ने उसे 25 जनवरी को ही अपनी गिरफ्त में ले लिया था, 27 जनवरी को वह उसे पकड़कर झिझोड़ देगा। 
वाकई 27 जनवरी का दिन तो किसी कयामत के तूफान से कम नहीं था। इस तूफान से अकेले इसी दिन अडानी समूह को 2 लाख करोड़ रुपये का और शाम होते तक यह समूह पिछले तीन दिनों में 4.50 लाख करोड़ रुपये के घाटे में आ चुका था। सबसे बड़ी बात यह है कि इसका खामियाजा अकेले इस समूह को ही नहीं भुगतना पड़ा बल्कि इसके चलते उन आम निवेशकों का भी बंटाधार हुआ, जिसकी खून पसीने की कमाई शेयर बाज़ार में लगी हुई थी। 106 पन्ने की इस रिपोर्ट के आने के बाद एलआईसी के, जिसमें शुद्ध रूप से आम लोगों का पैसा लगा हुआ है, 18,647 करोड़ रुपये डूब गये। 24 जनवरी को एलआईसी का जो पूंजीकरण 81,268 करोड़ रुपये था, वह महज दो दिन बाद घटकर सिर्फ 62,621 करोड़ रुपये रह गया। महज दो कारोबारी सत्र में इतनी बुरी हालत हो गई।
अडानी समूह के शेयर 5 से लेकर 27 प्रतिशत तक और अगर समग्रता में बात करें तो 20 प्रतिशत तक शेयर भाव गिर गये। हालांकि इस बीच अडानी समूह के वरिष्ठ अधिकारियों ने लंबी चुप्पी के बाद सामने आये और कहा कि हिंडनबर्ग की यह रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी और गुमराह करने वाली है। लेकिन इस पर हिंडनबर्ग ने अडानी समूह को चुनौती कि वह अमरीका में कोर्ट में आएं। दरअसल इस रिसर्च संस्था ने यह भी कहा कि अगर आप वाकई गंभीर हैं, तो कोर्ट में आइये इससे आपको वो दस्तावेज तो दिखाने ही पड़ेंगे, जिन्हें हमने गलत बताया है। हिंडनबर्ग ने अडानी समूह से 88 सवाल पूछे थे और इस समूह ने किसी भी सवाल का कोई भी जवाब नहीं दिया। सबसे खराब बात यह है कि हिंडनबर्ग ने जो आरोप अडानी समूह पर लगाएं हैं, लगभग उन सभी आरोपों पर हिंदुस्तान में भी बात होती रही है। लेकिन कभी भी उन बातों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिस तरह से हिंडनबर्ग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अथॉरिटीज ने अनदेखी की है, वह भी खतरनाक है। महज तीन दिनों में इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद शेयर बाजार की जो दुर्गति हुई है, वह अकेले शेयर बाजार की दुर्गति नहीं है बल्कि यह समूची भारतीय अर्थव्यवस्था पर अचानक लटक पड़ी तलवार है।
अब भी अगर इन आरोपों और इस रिपोर्ट के देखते हुए नियामक संस्थाएं गंभीरता से सारे मसले को नहीं लेतीं तो इससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में आर्थिक साख तो डांवाडोल तो होगी ही, इससे भारत की राजनीतिक और कूटनीतिक ताकत को भी धक्का लगेगा। हाल के सालों में भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है, लेकिन जिस तरह से पिछले तीन दिनों में विदेशी निवेशक अफरा-तफरी में भारत छोड़कर दूसरी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तरफ  रूख किया है, उसको देखते हुए लगता है कि अगर हिंदुस्तान की तमाम संस्थाएं और राजनीतिक स्टेब्लिसमेंट इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से नहीं लिया तो कहीं यह हमारे समूचे अस्तित्व पर ही सवालिया निशान न लगा दे।
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