दुर्भाग्यपूर्ण है पैदा हुआ विवाद


पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान में उपजे नये विवाद के और बढ़ने की सम्भावना बन गई है। राज्यपाल ने वर्ष 2021 के सितम्बर माह में अपने पद की शपथ ली थी। उस समय प्रदेश में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी सरकार चला रही थी। आम आदमी पार्टी की सरकार को बने केवल 10 माह हुए हैं परन्तु शुरू से ही इसका जिस तरह का राज्यपाल के साथ विवाद बना रहा है, उसे हम दुर्भाग्यपूर्ण समझते हैं। राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है। उनकी कार्यकारी शक्तियां सीमित होती हैं परन्तु इसके साथ-साथ भारतीय संविधान के अनुसार चुनी हुई तत्कालीन सरकार से यह अपेक्षा ज़रूर की जाती है कि वह सरकार द्वारा की जाने वाली अहम कार्रवाइयों हेतु राज्यपाल को अवगत करवाती रहे। इस संबंध में राज्यपाल भी सरकार से जानकारी ले सकते हैं। इस कारण मुख्यमंत्री जोकि प्रदेश के कार्यकारी प्रमुख होते हैं, द्वारा राज्यपाल के साथ सभी सरकारी गतिविधियों संबंधी सम्पर्क बनाये रखने की ज़रूरत होती है। यदि राज्यपाल चिट्ठी-पत्र द्वारा सरकार से कोई जानकारी मांगते हैं तो सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह ऐसी जानकारी उन्हें दे। इसी दौरान विपक्षी पार्टियां भी अपनी शिकायतों को पत्र द्वारा या मिल कर राज्यपाल को अवगत करवाती रहती हैं। विगत अवधि में लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के नेता किसी न किसी रूप में राज्यपाल को मिल कर सरकार की कारगुज़ारी संबंधी जानकारी देते रहे हैं। 
पूर्व  सरकारें भी तथा वर्तमान सरकार भी प्रदेश में नशों के बढ़ते रुझान को नियन्त्रित करने के वायदे के साथ बनी थीं। यह फैल चुकी एक ऐसी नकारात्मक क्रिया है, जो किसी भी तरह थमने का नाम नहीं ले रही। इसकी बजाय यह और फैलती ही दिखाई दे रही है। प्रदेश में नशों संबंधी प्रत्येक स्तर पर ऐसा जाल बुना जा चुका है जिसे पार कर पाना बेहद कठिन है। इस संबंध में राज्यपाल ने कई बार स्वयं भी सीमांत क्षेत्रों के दौरे किये तथा भिन्न-भिन्न वर्गों तथा संगठनों के साथ सम्पर्क किया। नशों के फैलने संबंधी भी उन्होंने हर पक्ष से काफी जानकारी लेने का यत्न किया। इनके साथ प्रदेश के बड़े अधिकारी भी उनके साथ गये थे। चाहिए तो यह था कि इस संबंध में मुख्यमंत्री राज्यपाल के साथ अगली कार्रवाई के लिए उनके द्वारा इकट्ठी की गई जानकारी लेते परन्तु ऐसा नहीं हुआ। परन्तु अब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को जो पत्र लिखा है, उसमें उनके द्वारा भगवंत मान को लिखे गए कई पहले पत्रों का भी ज़िक्र किया गया है जिनका उत्तर स. मान ने देना उचित नहीं समझा था। परन्तु अब राज्यपाल के इस आखिरी पत्र के उत्तर में मुख्यमंत्री ने शीघ्र तत्परता दिखाते हुये राज्यपाल को यह लिखा है कि उनका यह पत्र मीडिया के ज़रिये मिला है। जितने भी पत्र में विषय लिखे गये हैं, वे सभी स्टेट के विषय हैं... ‘मैं एवं मेरी सरकार संविधान के अनुसार 3 करोड़ पंजाबियों को उत्तरदायी है, न कि केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किसी राज्यपाल को। इसे ही मेरा उत्तर समझें।’ 
इस संबंध में हम यह कहना ज़रूरी समझते हैं कि यदि लोग किसी सरकार को एक निश्चित समय के लिए चुनते हैं तो उस समय में संविधान की भावनाओं को मुख्य रख कर सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री तथा उनके साथियों की होती है। यहीं बस नहीं, इसके अगले दिन मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पुन: पत्र लिखा जिसमें उन्होंने फिर दोहराया कि वह राज्यपाल को जवाबदेय नहीं तथा भारतीय संविधान के अनुसार मैं तथा मेरी सरकार 3 करोड़ पंजाबियों के प्रति उत्तरदायी है। इसी पत्र के दूसरे पैरे में उन्होंने लिखा, ‘आपने मुझे पूछा है कि सिंगापुर में ट्रेनिंग के लिए प्रिंसीपलों का चयन किस आधार पर किया गया है। पंजाब के निवासी यह पूछना चाहते हैं कि भारतीय संविधान में किसी स्पष्ट योग्यता के अभाव में केन्द्र सरकार द्वारा भिन्न-भिन्न प्रदेशों में राज्यपाल किस आधार पर चुने जाते हैं? कृपा करके यह बता कर पंजाबियों की जानकारी में वृद्धि की जाए।’ 
जहां तक भारतीय संविधान का संबंध है, उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि ‘मंत्रियों के समूह द्वारा लिये गए प्रदेश के सभी फैसलों के संबंध में राज्यपाल को अवगत करवाया जाना अनिवार्य है।’ इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री का आपस में सूचनाओं संबंधी मेल-मिलाप होना आवश्यक है, चाहे ये फैसले लेने का अधिकार लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार का होता है। यदि क्रियात्मक रूप में ऐसा नहीं किया जाता तो ऐसा न करना किसी भी सरकार की परिपक्व नीति नहीं हो सकती। आज प्रदेश सरकार में ऐसी परिपक्वता की कमी ही दिखाई देती है। यदि प्रदेश सरकार द्वारा ऐसी लापरवाही भरा दृष्टिकोण अपनाया जाता रहा तो यह प्रदेश के लिए बड़ा नुकसानदेह सिद्ध हो सकता है। इससे प्रदेश के विकास में बड़ी बाधाएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए वर्तमान सरकार को आगामी समय में सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए अधिक सचेत होकर चलने की आवश्यकता होगी। 


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द