दुनिया मछलियों की

सं स्कृति में व्याप्त विविधता और सौंदर्य उसके सृजन करने वाले की कुशलता की ओर इंगित करते हैं, इसकी विचित्रताएं, विलक्षणताएं यह बताती है कि सृजेता के उच्चतम आयाम मानवीय बुद्धि की सभी सीमाओं से परे हैं। उसकी यह अलौकिकता मानव में ही नहीं मछलियों में भी झलकती है।‘फ्यूगू’ मछली के बारे में कुछ ऐसा ही है। सामान्यत: पोटेशियम साइनाइड को ऐसा विष माना जाता है, जिसे सुई के नोंक बराबर भी यदि जीभ पर रखा जाए तो व्यक्ति की मृत्यु सुनिश्चित है। ‘फ्यूगू का विष इस जानलेवा सायनाइड से भी 275 गुणा अधिक तीव्र है। 
वैज्ञानिक अनुसंधानों के मुताबिक इस फ्यूगू का विष विश्व के सारे विषों में सबसे ज्यादा जहरीला है। फ्यूगू मछली की करीब 100 प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से सिर्फ 60 प्रजातियां जहरीली हैं, शेष नहीं। फ्यूगू हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में मिलती है। उत्तरी अमरीका व फ्लोरिडा के समुद्र में भी फ्यूगू की कुछ प्रजातियां पायी जाती है। सामान्यतया व्यस्क फ्यूगू ढाई-तीन फीट लंबी होती है। इसका वजन 10-12 किलो होता है। अपने छोटे आकार के बावजूद यह मछली पानी की सतह से कई फीट दूर बैठे शिकार पर सटीक निशाना लगाती है जिससे शिकार नीचे गिर जाता है। 6 फीट की दूरी तक इसका निशाना कभी बेकार नहीं जाता। कई बार तो आर्चर फिश को 12 फीट दूर बैठे शिकार को गिराते हुए देखा गया है।
एक मछली ऐसी भी है, जिसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल रखा है। उसका मस्तिष्क अपेक्षाकृत काफी अधिक सक्रिय है। यह मछली अफ्रीका के समुद्र में पायी जाती है। इसे ‘हाथी सूंड’  या ‘एलीफैंट नोज’ के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों का मत है कि 25 सेमी की छोटी सी इस मछली की खोपड़ी में स्थित नन्हा सा मस्तिष्क अत्यधिक सक्रिय होता है। यहां तक कि इसके कारण वह अंधेरे में भी अपना मार्ग ढूंढ़ लेती है और बाधाओं से साफ बच निकलती है।
वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि एलीफेंट नोज मछली में ऑक्सीजन की खपत का प्रतिशत मानव से तीन गुना अधिक है। यह भी आश्चर्य की बात है कि 25 सेमी के लगभग आकार वाली अन्य मछलियों की तुलना में इसका मस्तिष्क भी लगभग 3 गुना ज्यादा बड़ा है।मछलियों में विचित्रताएं ही नहीं, सौंदर्य भी होता है। स्वर्णमीन यानी कि गोल्डफिश ऐसा ही उदाहरण है। गोल्डफिश की सिर्फ रंग ही मनमोहक नहीं होता, बल्कि इसका रुप और आकार भी विचित्र एवं दिलचस्प होता है। इनमें से किसी का सिर शेर जैसा और पूंछ झालरदार और आंखें दूरबीन जैसी, तो किसी का मुंह घडे जैसा और पूंछ झालदार। कुल मिलाकर इन छोटी और खूबसूरत मछलियों का आकर्षण इतना ज्यादा है कि हर कोई इन्हें अपने घर के एक्वेरियम में सजाने की चाहत रखता है। इनमें से कुछ मछलियों को लायन हेड, बबल आइस, फेनटेल्स आदि नामों से जाना जाता है। 
सं स्कृति में व्याप्त विविधता और सौंदर्य उसके सृजन करने वाले की कुशलता की ओर इंगित करते हैं, इसकी विचित्रताएं, विलक्षणताएं यह बताती है कि सृजेता के उच्चतम आयाम मानवीय बुद्धि की सभी सीमाओं से परे हैं। उसकी यह अलौकिकता मानव में ही नहीं मछलियों में भी झलकती है।‘फ्यूगू’ मछली के बारे में कुछ ऐसा ही है। सामान्यत: पोटेशियम साइनाइड को ऐसा विष माना जाता है, जिसे सुई के नोंक बराबर भी यदि जीभ पर रखा जाए तो व्यक्ति की मृत्यु सुनिश्चित है। ‘फ्यूगू का विष इस जानलेवा सायनाइड से भी 275 गुणा अधिक तीव्र है। 
वैज्ञानिक अनुसंधानों के मुताबिक इस फ्यूगू का विष विश्व के सारे विषों में सबसे ज्यादा जहरीला है। फ्यूगू मछली की करीब 100 प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से सिर्फ 60 प्रजातियां जहरीली हैं, शेष नहीं। फ्यूगू हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में मिलती है। उत्तरी अमरीका व फ्लोरिडा के समुद्र में भी फ्यूगू की कुछ प्रजातियां पायी जाती है। सामान्यतया व्यस्क फ्यूगू ढाई-तीन फीट लंबी होती है। इसका वजन 10-12 किलो होता है। अपने छोटे आकार के बावजूद यह मछली पानी की सतह से कई फीट दूर बैठे शिकार पर सटीक निशाना लगाती है जिससे शिकार नीचे गिर जाता है। 6 फीट की दूरी तक इसका निशाना कभी बेकार नहीं जाता। कई बार तो आर्चर फिश को 12 फीट दूर बैठे शिकार को गिराते हुए देखा गया है।
एक मछली ऐसी भी है, जिसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल रखा है। उसका मस्तिष्क अपेक्षाकृत काफी अधिक सक्रिय है। यह मछली अफ्रीका के समुद्र में पायी जाती है। इसे ‘हाथी सूंड’  या ‘एलीफैंट नोज’ के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों का मत है कि 25 सेमी की छोटी सी इस मछली की खोपड़ी में स्थित नन्हा सा मस्तिष्क अत्यधिक सक्रिय होता है। यहां तक कि इसके कारण वह अंधेरे में भी अपना मार्ग ढूंढ़ लेती है और बाधाओं से साफ बच निकलती है।
वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि एलीफेंट नोज मछली में ऑक्सीजन की खपत का प्रतिशत मानव से तीन गुना अधिक है। यह भी आश्चर्य की बात है कि 25 सेमी के लगभग आकार वाली अन्य मछलियों की तुलना में इसका मस्तिष्क भी लगभग 3 गुना ज्यादा बड़ा है।मछलियों में विचित्रताएं ही नहीं, सौंदर्य भी होता है। स्वर्णमीन यानी कि गोल्डफिश ऐसा ही उदाहरण है। गोल्डफिश की सिर्फ रंग ही मनमोहक नहीं होता, बल्कि इसका रुप और आकार भी विचित्र एवं दिलचस्प होता है। इनमें से किसी का सिर शेर जैसा और पूंछ झालरदार और आंखें दूरबीन जैसी, तो किसी का मुंह घडे जैसा और पूंछ झालदार। कुल मिलाकर इन छोटी और खूबसूरत मछलियों का आकर्षण इतना ज्यादा है कि हर कोई इन्हें अपने घर के एक्वेरियम में सजाने की चाहत रखता है। इनमें से कुछ मछलियों को लायन हेड, बबल आइस, फेनटेल्स आदि नामों से जाना जाता है। 

(सुमन सागर)
 

#दुनिया मछलियों की