मानसून अधिवेशन की शुरुआत

दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एन.डी.ए. (नैशनल डैमोक्रेटिक अलायंस) की तीन दर्जन पार्टियों की हुई बैठक तथा बैंगलुरु में कांग्रेस सहित 26 विपक्षी दलों की हुई एकजुटता से आगामी वर्ष हो रहे लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक मैदान तैयार होना शुरू हो गया है। चाहे इन दोनों गठबंधनों में कई तरह के बदलाव होने की सम्भावना अभी भी बनी हुई है, क्योंकि बहुत-से अहम मुद्दे जो भिन्न-भिन्न प्रदेशों के साथ जुड़े हुए हैं, उन्हें लेकर इन भिन्न-भिन्न  दलों में कितनी समरसता दिखाई देगी, इस संबंध में अभी विश्वास के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता, परन्तु अभी से ही राजनीतिक माहौल गर्म होना ज़रूर शुरू हो गया है। इस गतिविधि का 20 जुलाई वीरवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून अधिवेशन पर भी प्रभाव देखा जा सकेगा। चाहे यह अधिवेशन अधिक लम्बा नहीं है तथा यह 11 अगस्त तक ही चलेगा। 23 दिनों में 17 बैठकें होने की सम्भावना है परन्तु दोनों ही पक्षों द्वारा इसमें उठने वाले अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयारियां कर ली गई हैं। पहले यह उम्मीद की जाती थी कि यह अधिवेशन नये संसद भवन में होगा परन्तु ऐसा सम्भव नहीं हो सका।
पिछले दिनों से जिस तरह केन्द्र सरकार की गतिविधियां जारी रही हैं, उनसे प्रतीत होता है कि इस अधिवेशन में समान नागरिक संहिता बिल लाया जा सकता है। इस संबंध में विचार-विमर्श के लिए संसदीय पैनल ने 4 जुलाई को एक बैठक भी बुलाई थी। भारत के लॉय आयोग ने इस संबंधी 28 जुलाई तक सुझाव भी मांगे हुए हैं। इस बिल संबंधी अभी तक  अधिकतर पार्टियों ने कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई, क्योंकि सरकार द्वारा अभी तक इसका कोई प्रारूप भी सामने नहीं लाया गया, परन्तु संसद में इस संबंध में कड़ी बहस होने की सम्भावना दिखाई देती है। इसके साथ ही प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित आई.ए.एस. अधिकारियों के तबादलों संबंधी केन्द्र द्वारा दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने तथा इस सन्दर्भ में उप-राज्यपाल की शक्तियों को अधिक करने के लिए जो अध्यादेश लाया गया था, उसके संबंध में भी संसद में बड़ी कमशकश होती दिखाई दे सकती है क्योंकि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल द्वारा देश भर की अन्य पार्टियों के नेताओं के साथ इस अध्यादेश का संसद में विरोध करने के लिए पिछले दिनों मुलाकातें की गई थीं। 
इस अधिवेशन में डाटा सुरक्षा बिल जिसके प्रारूप को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी है, को भी संसद के इस अधिवेशन में पेश किया जायेगा। इस बिल के दायरे में सभी व्यक्तिगत डाटा को लाया जाएगा। ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों का डाटा इस बिल में आ सकेगा। पिछले कई मास से जिस तरह के हालात मणिपुर में बने हुए हैं, उसने बड़ी चिन्ता पैदा की हुई है। इस बेहद गम्भीर मामले का समाधान न कर पाने के कारण प्रदेश की भाजपा सरकार की किरकिरी हुई है। इस मामले के संसद में उठने से केन्द्र सरकार को सुरक्षात्मक नीति अपनाने के लिए विवश होना पड़ सकता है। चाहे बुधवार को राजनीतिक दलों के नेताओं की सर्वदलीय बैठक इसलिए बुलाई गई थी ताकि संसद के इस अधिवेशन को निर्विघ्न ढंग से चलाया जा सके परन्तु हालात को देखते हुए इस बात की सम्भावना कम ही दिखाई देती है। पिछले कुछ अधिवेशनों की भांति यह मानसून अधिवेशन भी आपसी बहसबाज़ी तथा तकरार में ही समाप्त हो सकता है।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द