बड़े संकटों का सामना कर रहा है पंजाब

(कल से आगे)
 

4. पंजाब को दरपेश वर्तमान चुनौतियों में से निकालने के लिए विशेष कर कृषि में विभिन्नता लाने तथा कृषि आधारित उद्योग लगा कर अपने नौजवानों के लिए रोज़गार के साधन पैदा करने के लिए अधिक वित्तीय स्रोतों की ज़रूरत है। अपने सभी स्रोतों के उचित तथा दूरदर्शिता से उपयोग करने की आवश्यकता है। परन्तु गत तीन-चार दशकों में यहां जो भी सरकारें बनी हैं, उन्होंने वोट हासिल करने के लिए व्यापक स्तर पर मुफ्तखोरी पर आधारित योजनाएं चलाई हैं। 
राज्य के प्राकृतिक व अप्राकृतिक स्रोतों का उजाड़ा करवाया है। किसानों को बिजली-पानी मुफ्त देने, शहरों में चुंगी माफ करने, आटा-दाल मुफ्त देने, सभी महिलाओं के लिए बस का मुफ्त सफर करने, 90 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली मुफ्त देने तथा इस प्रकार की अन्य सरकारों के फिज़ूल खर्चों ने राज्य को दीवालिया करके रख दिया है। इस समय राज्य लगभग 3,50,000 करोड़ का ऋणी है। राज्य में नई बनी आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी इसी प्रकार के फिज़ूल खर्चों को न सिर्फ जारी रखा, अपितु इनमें और भी वृद्धि करती जा रही है। इसके परिणामस्वरूप इसने अपने कार्यकाल के डेढ़ वर्ष में भी लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का ऋण और चढ़ा दिया है। इस समय राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 49.7 प्रतिशत ऋण चढ़ चुका है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा. रणजीत सिंह घुम्मन का विचार है कि यदि यह सरकार इसी रफ्तार से ऋण लेती रही तो इसकी ओर से लिया गया ऋण दो वर्ष में एक लाख 64 हज़ार 423 करोड़ रुपये हो जाएगा। 2026-27 तक राज्य के सिर पर कुल ऋण 4,46,196 करोड़ रुपये हो जाएगा। एक प्रकार से इस समय राज्य ऋण के जाल में फंस चुका है। जो नया ऋण लिया जाता है, उसका बड़ा भाग भी पिछले ऋण का ब्याज देने या ऋण की किस्त मोड़ने पर ही लग जाता है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा रोज़गार के अन्य अवसर बढ़ाने तो एक तरफ रहे, उसके लिए अपने ज़रूरी खर्चे पूरे करना भी मुश्किल हो रहे हैं। 
वहीं सरकार द्वारा दिन-रात आम आदमी पार्टी की पूरे देश में चुनावों के लिए झूठी शान बनाने के लिए व्यापक स्तर पर समाचार पत्रों तथा टैलीविज़नों पर महंगी विज्ञापनबाज़ी की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक अब तक यह 750 करोड़ से अधिक राशि ऐसी विज्ञापनबाज़ी पर ही खर्च कर चुकी है। ऐसी स्थिति में राज्य का भविष्य क्या होगा? इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। 
क्या किया जाए?
हमें सबसे पहले यह समझने की ज़रूरत है कि उपरोक्त जो चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, उनका मुख्य कारण राज्य की अर्थव्यवस्था में आई जड़ता है। दशकों तक हमारी आर्थिकता को गेहूं-धान के फसली चक्कर तक सीमित करके रखा गया। कृषि आधारित तथा अन्य उद्योग लगा कर अपनी भावी पीढ़ी के लिए रोज़गार के अवसर पैदा नहीं किए गए। इसी कारण नौजवान पीढ़ी को आज यहां अपना कोई भविष्य नज़र नहीं आ रहा। पीढ़ी-दर पीढ़ी ज़मीन बांटी जाने के कारण अब परिवारों का गुज़ारा कृषि से नहीं होता। देश के किसानों में सबसे अधिक ऋण पंजाब के किसानों के सिर है। राज्य के कुल 25 लाख किसानों के सिर पर इस समय बैंकों का 73 हज़ार, 673 करोड़ ऋण है। इसमें शाहूकारों का ऋण भी जोड़ दिया जाए तो पंजाब का प्रत्येक किसान 2.95 लाख का ऋणी हो चुका है। इसीलिए किसानों द्वारा आत्महत्याएं की जा रही हैं। राज्य की कृषि को पांवों पर खड़ा करने तथा रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए कृषि आधारित उद्योगों को बड़ी प्राथमिकता देना समय की ज़रूरत है। 
दूसरी बात यह है कि राज्य सरकार सब प्रकार की फिज़ूल खर्ची बंद करके अपने शेष बचे स्रोतों को बेहतर स्वास्थ्य तथा शिक्षा सेवाएं देने की ओर केन्द्रित करे। इस उद्देश्य के लिए मुहल्ला क्लीनिक या स्कूल आफ एमीनैंस के नाम पर ब्रांड खड़े करने की आवश्यकता नहीं है, अपितु राज्य के सभी स्कूलों की इमारतों को बेहतर बनाने तथा उनमें ज़रूरत के अनुसार अध्यापक तथा अन्य स्टाफ नियुक्त करने तथा इसी प्रकार राज्य से सभी अस्पतालों तथा प्राइमरी स्वास्थ्य केन्द्रों में ज़रूरत अनुसार डाक्टर, नर्सें तथा फार्मासिस्ट नियुक्त करने की आवश्यकता है। समूचे तौर पर निम्न स्तर से स्वास्थ्य तथा शिक्षा ढांचे को बेहतर बनाने की शुरुआत होनी चाहिए। थोथी बयानबाज़ी तथा विज्ञापनबाज़ी से ये लक्ष्य प्राप्त नहीं किये जा सकते। इसी प्रकार राज्य के नौजवानों को रोज़गार  उपलब्ध करने के लिए सरकारी व गैर-सरकारी क्षेत्र में पूंजी निवेश वढ़ा कर उद्योग लगाने की आवश्यकता है। विशेषकर जैसे हमने पहले कहा है कि कृषि आधारित उद्योगों को प्राथंिमकता दी जानी चाहिए। 
जहां तक भू-जल के गिरते स्तर की बात है, इसके लिए परम्परागत तथा गैर-परम्परागत आधुनिक ढंग इस्तेमाल करके बरसात के पानी को अधिक से अधिक भूमि में रिचार्ज करवाया जाना चाहिए। घरों से लेकर बड़े उद्योगों में ऐसी योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू करनी चाहिएं। कंडी के क्षेत्र में भिन्न-भिन्न स्थानों पर चैक बांध बना कर, पानी को रोक कर उसे भूमि में रिचार्ज करने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके साथ ही नदियों के पानी में से पंजाब का बनता हिस्सा भी हर हाल में राज्य को मिलना चाहिए। 
नशों की विकराल होती जा रही समस्या जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करती जा रही है, उसे नियंत्रित करने के लिए जहां राज्य की पुलिस तथा अन्य सुरक्षा एजेंसियों को प्रतिबद्धता तथा तनदेही से कार्य करने की ज़रूरत है, वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तथा सामाजिक संगठनों को सिंह सभा लहर की भांति एक सामाजिक व धार्मिक लहर शुरू करके गांवों तथा शहरों में लोगों को नशों के विरुद्ध प्रेरित तथा एकजुट करने के लिए बड़े यत्न करने चाहिएं। नशों के आदी हो चुके नौजवानों से नशे छुड़वाने के लिए जहां आवश्यकता के अनुसार नशा छुड़ाओ केन्द्र खोलने की ज़रूरत है, वहीं ऐसे नौजवानों के आर्थिक तौर पर पुनर्वास के लिए समुचित योजनाएं बनाने की भी आवश्यकता है।
ऐसे सामूहिक यत्नों से ही हम पंजाब को तथा अपने नौजवानों को वर्तमान चुनौतियों में से बाहर निकाल सकते हैं। इन सभी सरोकारों के लिए राज्य में प्रतिबद्ध राजनीतिक नेतृत्व का होना बेहद ज़रूरी है। (समाप्त)