मंडल 2-0 पर पड़ सकता है बिहार जातीय सर्वेक्षण का प्रभाव!

ओबीसी का सशक्तिकरण 1990 में मंडल आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने से हुआ। तब से मंडल की सिफारिशों को लागू करने की लड़ाई जारी रखी गई है और इसका नेतृत्व लालू प्रसाद यादव जैसे लोगों ने किया है, जो अपनी हिन्दुत्व की राजनीति द्वारा जातीय आरक्षण की नीतियों को खत्म करने के लिए कमंडल की ताकतों के विरुद्ध पहरेदार हैं। बिहार जातीय सर्वेक्षण से पता चलता है कि प्रदेश की आबादी में पिछड़े वर्ग का सबसे बड़ा भाग है, जो 63 प्रतिशत से अधिक है। यदि जातीय जनगणना राष्ट्रीय स्तर पर होती है, जैसे कि राहुल गांधी तथा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने मांग की है तो ज़ाहिर तौर पर इसका परिणाम बिहार सर्वेक्षण से अधिक अलग नहीं होगा। वी.पी. सिंह की राह पर मज़बूती से चल कर और भाजपा के हिन्दुत्व के एजेंडे को प्रभावी ढंग से मोड़ कर नितीश कुमार की नज़र प्रधानमंत्री पद पर हो सकती है। जातीय जनगणना के मुद्दे का बिहार से ज़ोर पकड़ना और फिर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब तथा दिल्ली में चुनावों पर इसका प्रभाव पड़ने की सम्भावना है। इससे पहले वी.पी. सिंह द्वारा जातीय आधारित आरक्षण लागू करने से भाजपा की अखिल हिन्दू अपील को नुकसान पहुंचा और जाति आधारित क्षेत्रीय पार्टियों को भारी ताकत मिली, जिनमें से अधिकतर उनके सहयोगी थे। नितीश भी ऐसे समय में जातीय सर्वेक्षण लेकर आए हैं, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने हिन्दुत्व के अपने अखिल हिन्दू मुद्दे के साथ अपना वोट आधार मज़बूत किया है। बिहार सर्वेक्षण में वी.पी. सिंह के मंडल की भांति ही भाजपा की कड़ी मेहनत से बनाए गए हिन्दुत्व वोट बैंक को बांटने की समर्था है, जो कि संभावित तौर पर मंडल भाग-2 में बदल जाएगा। 
जातीय जनगणना और हिन्दुत्व के बीच होगी टक्कर 
2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मंच पूरी तरह तैयार है, बिहार विधानसभा ने 9 नवम्बर को सर्वसम्मति से पिछड़े वर्ग, अत्यन्त पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ा कर 65 प्रतिशत करने के लिए एक बिल पारित किया है। 10 प्रतिशत आर्थिक रूप में पिछड़े वर्ग (ई.डब्ल्यू.एस.) के आरक्षण से यह बिल बिहार में आरक्षण को 75 प्रतिशत तक बढ़ा देगा, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा से कहीं अधिक है। महाराष्ट्र में कार्यकर्ता मनोज जारांगे द्वारा यह मांग तेज़ी से उठाई जा रही है कि मराठों को कुनबी सर्टीफिकेट दिया जाए ताकि उन्हें अन्य पिछड़े वर्ग (ओ.बी.सी.) की श्रेणी के अधीन आरक्षण मिल सके। स्पष्ट है कि संसदीय चुनाव जाति जनगणना, आरक्षण, ओ.बी.सी. और हिन्दुत्व के मुद्दों पर लड़े जाएंगी। 
एक तरफ जहां भाजपा ने जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के मद्देनज़र हिन्दुत्व की लहर पर सवार होने की अपनी चुनाव रणनीति की योजना बनाई है और भाजपा एक बड़े वोट बैंक के रूप में महिलाओं को भी लुभाना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, उधव ठाकरे, अखिलेश यादव जैसे ‘इंडिया’ गठबंधन नेता भारत के दलितों, ओ.बी.सी. गरीबों की स्थिति का बेहतर मूल्यांकन करने के लिए देश व्यापी जाति गनगणना की मांग कर रहे हैं और महिला आरक्षण में ओ.बी.सी. कोटे की वकालत कर रहे हैं। इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार विपक्षी दल के ‘इंडिया’ गठबंधन में अपने कम होते ग्राफ को दोबारा जीवित करने में कामयाब रहे हैं तथा भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को उनके ओ.बी.सी. वोट आधार से वंचित करने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या कांग्रेस में शामिल होंगे वरुण गांधी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा भाजपा सांसद वरुण गांधी, जो चचेरे भाई हैं, ने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में एक संक्षिप्त बातचीत की। दोनों नेता माथा टेकने के लिए पहाड़ी पर बने मंदिर में गए थे।
 भाजपा की बैठकों से दूर रहने वाले वरुण गांधी के अपने बड़े चचेरे भाई के साथ देखे जाने से उनके भविष्य के राजनीतिक इरादों के बारे कुछ राजनीतिक गलियारों में कयास शुरू हो गए हैं। ऐसे प्रतीत होता है कि वरुण ने भाजपा के साथ तालमेल के सभी रास्ते बंद कर दिये हैं और केन्द्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए विद्रोही मुद्रा अपना ली है। चर्चा है कि वरुण के साथ कांग्रेस में शामिल होने के लिए कई लोगों ने सम्पर्क किया है और बातचीत चल रही है। हालांकि उनकी मां मेनका गांधी उनके स्वर्गीय पिता की पार्टी में शामिल होने की इच्छुक नहीं लगतीं। क्या वरुण कांग्रेस में शामिल होंगे या किसी अन्य राजनीतिक पार्टी को गले लाएंगे?
जल्द ही जे.डी. (एस.) और भाजपा नेता कांग्रेस में शामिल होंगे 
कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने यह कह कर राजनीतिक क्षेत्रों में सनसनी फैला दी कि बड़ी संख्या में भाजपा और जे.डी. (एस.) विधायक और वर्कर जल्द ही कांग्रेस में शामिल होंगे। जबकि जे.डी. (एस.) विधायकों ने हसन में बातचीत की और हसन के प्रसिद्ध हसनंबा मंदिर में वफादारी की शपथ ली। इस मौके जे.डी. (एस.) के कुल 19 विधायकों में 18 उपस्थित थे। 
दूसरी ओर डी.के. शिवकुमार ने नई दिल्ली में कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल सहित हाईकमान नेताओं के साथ मुलाकात की और उन्हें कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम से अवगत करवाया। शिवकुमार ने कहा कि हाईकमान ने नये कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सुझाव मांगें हैं, क्योंकि मौजूदा सतीश जराकीहोली, ईश्वर खंडरे तथा रामलिंगा रैड्डी इसे बोझ महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने संबंधित विभागों पर ध्यान देना होता है और इस बारे जल्दी ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कैबिनेट में फेरबदल तथा पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शैट्टर को कैबिनेट में शामिल करने की सम्भावना से इन्कार किया परन्तु कहा कि बोर्डों व निगमों में नियुक्तियां जल्द ही कर दी जाएंगी। (आई.पी.ए.)