खेल की भावना
जहां भारत में 5 अक्तूबर को शुरू हुए क्रिकेट के एक-दिवसीय विश्व कप मैचों की दुनिया भर में चर्चा चलती रही है, वहीं इन्होंने भारत के कद को और बढ़ाया है। लेकिन अहमदाबाद के स्टेडियम में फाईनल मैच के दौरान आस्ट्रेलिया द्वारा भारत को हरा दिए जाने से जहां करोड़ों भारतीयों को बेहद निराशा हुई, वहीं एक बार फिर इस बात का भी एहसास हुआ है कि आस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम बहुत मज़बूत है, जिसने विश्व भर में अपना सिक्का जमा रखा है। आज फुटबाल और क्रिकेट ऐसे खेल बन चुके हैं, जिनके विश्व कप मैचों को करोड़ों नहीं, अरबों लोग देखते हैं। अहमदाबाद का स्टेडियम जो विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम माना गया है, इसमें लोगों के बैठने की क्षमता 1 लाख 32 हज़ार की है। मैच वाले दिन इसमें तिल फैंकने की जगह भी नहीं थी। इस मैच को भारत सहित विश्व भर के अरबों लोगों ने देखा। देश में लगातार विश्व कप के होते आ रहे मैचों में से यह अंतिम मैच था। 5 अक्तूबर से 19 नवम्बर तक भारत के अलग-अलग स्टेडियमों में 4 दर्जन के करीब मैच खेले गये, जिनमें इस कप के लिए अलग-अलग देशों की टीमों ने हिस्सा लिया।
भारत की टीम ने शुरू से ही विश्व कप के इन मैचों में कमाल का खेल दिखाया। उसने लगातार आस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड की टीमों को हराकर फाईनल में जगह बनाई। अलग-अलग देशों के साथ हुए 10 मैचों में वह विजयी रहा। रोहित शर्मा, मोहम्मद शमी, विराट कोहली और उनके साथियों ने समय-समय आपनी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया। इसके लिए फाईनल तक पहुंचते हुए भारतीयों की भावनाओं में बड़ा उत्साह आ चुका था। उनके मन में फाईनल मैच जीत कर कप प्राप्त करने संबंधी जबरदस्त इच्छा पैदा हो गई थी। इसलिए इस मैच से पहले अलग-अलग धार्मिक स्थानों पर प्रार्थनाएं भी की गईं और मंदिरों में घंटियां भी बजाई गईं। प्रत्येक स्थान पर भारत के विजयी रहने के लिए पूजा की गई। भारत ने चाहे पिछले 10 मैच तो शानदार पारी खेलकर जीत लिए थे लेकिन आस्ट्रेलिया के साथ मुकाबला करना इस टीम के लिए आसान नहीं था, क्योंकि आस्ट्रेलिया इससे पहले 5 बार विश्व कप जीत चुका था। वर्ष 2003 में भी भारत और आस्ट्रेलिया में फाईनल मुकाबला हुआ था, जिसमें भारत हार गया।
जहां तक इस मैच की विशालता का संबंध है, एक अनुमान के अनुसार सिर्फ डिजिटल ब्राडकास्ंिटग के विज्ञापनों तथा स्पांसरशिप के माध्यम से लगभग 30 करोड़ डालर की आय हुई। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काऊंसिल (आई.सी.सी.) की आय लगभग 50 करोड़ डालर अनुमानित की गई, जिसका 30 प्रतिशत भाग भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बी.सी.सी.आई.) को मिलेगा। लगभग डेढ़ मास तक इस खेल के प्रति भारत में जो जुनून बना रहा, उसकी शिद्दत का तो अनुमान लगाना ही मुश्किल है। चाहे भारत फाइनल में हार गया, जिसने व्यापक स्तर पर लोगों में निराशा भी पैदा की है, परन्तु इन मैचों ने भारतीयों के भीतर क्रिकेट के लिए और भी बड़ा उत्साह पैदा किया है और इस खेल के प्रति भारतीयों के जुनून को भी और बढ़ाया है। हमें अंतिम परिणाम को खेल की भावना से ही लेना चाहिए। मैच के इस अंतिम परिणाम से भी बड़ी बात नौजवानों में खेलों के प्रति उत्साह पैदा होना है, जो देश के लिए सकारात्मक पक्ष कहा जा सकता है।
सदियों से भारत में भिन्न-भिन्न स्थानों पर अनेक खेल खेले जाते रहे हैं, इनमें से ही वर्तमान में हाकी, फुटबाल, वालीबाल तथा क्रिकेट आदि के खेल अग्रणी होकर उभरे हैं, जिन्होंने नौजवानों में इसके प्रति बेहद शौक पैदा किया है। खेल की ऐसी भावना का व्यापक स्तर पर प्रसार देश के लिए उत्तम कर्म माना जा सकता है, जिसे हर हाल में कायम रखना तथा और आगे बढ़ाना बेहद आवश्यक है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द