संविधान में चित्रित भारतीय संस्कृति का आलोक

संविधान किसी भी देश का सुचारू रूप से संचालन करने की रूप रेखा व कार्य निर्धारण करने का श्रेष्ठ सिद्धांत समुच्चय मौलिक कानून होता है जिसके अंतर्गत अमुक देश के नागरिकों को प्राप्त अधिकार व कर्त्तव्य निहित होते हैं। संविधान उस देश की संस्कृति का प्रतिबिम्ब कहा जा सकता है। ऐसे ही संविधान रूपी समुज्ज्वल प्रतिबिंब में यशस्वी भारतवर्ष की गौरवान्वित संस्कृति के सुलभ दर्शन प्रतीत होते हैं। 
 भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक के हृदय में  गौरवमयी परम सम्मान की प्रतिमूर्ति संविधान की मूलप्रति श्रेष्ठ महत्व रखती है। संविधान प्रति की बाहरी जिल्द पर स्वर्णिम देव पुष्प कमल व अन्य पुष्पों के मध्य में अंग्रेज़ी शब्दों में सुशोभित ‘भारतीय संविधान’ स्वतंत्र भारत का विजय-नाद है।
1. संविधान के आरंभिक प्रथम खंड मेें सिंधु घाटी की सभ्यता की मुहर में प्रतीक ‘बैल’ है।
शैव मत परम्परा से जोड़ते हुए शिव के गण नन्दी के रूप में जाना जाता है। नंदी धर्म, बल शक्ति का प्रतीक है। नन्दी चित्र के माध्यम से शक्ति व सुरक्षा का संदेश दिया गया है। 
2. संविधान के द्वितीय खंड में वैदिक संस्कृति की झलक सहज ही प्रकट होती है। वैदिक युग में गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत गुरुकुल आश्रमों में ही शिक्षा ग्रहण की जाती थी।
3. संविधान के तृतीय खंड के आरंभ में त्रेता युग के रामराज्य की दिव्य छवि प्रस्तुत की गयी है। चक्रवर्ती राजा भगवान श्री राम की सर्वोत्तम शासन व्यवस्था, अर्थनीति, धर्मनीति, समाजनीति की मर्यादाएं स्थापित करने का सुखद श्रेष्ठ जीवन ही रामराज्य कहलाता है। 
4. संविधान के चतुर्थ खंड के आरंभिक चित्र में द्वापरयुग के महाभारत महायुद्ध के रणभूमि के मध्य योगेश्वर श्री कृष्ण मनोविकार से ग्रस्त अर्जुन को गीता ज्ञान में कर्मयोग व सर्वनीति निर्देशक तत्वों का उपदेश करते हुए दर्शाये गए हैं। 
5. संविधान के पंचम खंड के आरंभ में चित्र दर्पण में महात्मा बुद्ध जीव जगत के प्राणियों को सत्य, शांति, अहिंसा त्याग और तप का उपदेश देते दिखाये गए हैं। 
6. संविधान के षष्ठम खंड के आरंभ में महापुरुष तपस्वी जैन तीर्थंकर भगवान महावीर का चित्र शोभनीय है। यह चित्र अहिंसा परमो धर्म की शिक्षा से ओत प्रोत होते हुए सभी वर्ण, जातियों के लिए समान रूप से धर्म के द्वार की उन्मुक्तता को स्पष्ट करता है। 
7. संविधान के सप्तम खंड के आरंभिक चित्र में बुद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए सम्राट अशोक दिखाये गए हैं।
8. संविधान के अष्टम खंड के आरंभ में पवनपुत्र हनुमान का चित्र है जिसमें वह वायु वेग द्वारा आकाश मार्ग से स्वामी की काज-सिद्धि के लिए जाते प्रतीत होते हैं।
9. संविधान के नवम खंड के आरंभिक चित्र में उत्तम न्याय के लिए प्रख्यात बेताल सिद्ध महाराज विक्रमादित्य बत्तीस मणिपुतलिका पायों के सिंहासन पर विराजमान हैं। श्रेष्ठ न्यायप्रणाली व्यवस्था की ओर प्रेरित करता यह चित्र जीवंत उदाहरण है न्यायप्रणाली के शौर्य और पराक्रम का। 
10. संविधान के दशम खंड के आरंभ के चित्र में नालंदा विश्वविद्यालय के माध्यम से तत्कालीन शिक्षा के क्षेत्र में भारतवर्ष की शिक्षा पद्धति को दर्शाया गया है। 
11. संविधान के एकादश खंड के आरंभ में उड़िया शैली में चित्रित महाराज भरत अश्व के साथ दिखाये गए हैं। यशस्वी, महा बलशाली, धर्मनीति के ज्ञाता महाराज भरत के नाम से ही ओजस्वी राष्ट्र का नाम भारतवर्ष हुआ।
12. द्वादश खंड के आरंभिक चित्र में भगवान शिव की नटराज छवि को दक्षिण भारतीय शैली में प्रस्तुत किया गया है।
13. संविधान के त्रयोदश खंड के आरंभ के चित्र में तपोबल से भागीरथ का गंगा को धरती पर लाना दर्शाया गया है। यह सूचक है कि भारतवर्ष की आर्थिक खुशहाली का आधार जल स्त्रोत है। 
14. संविधान के चतुर्दश खंड के आरंभिक चित्र में मुगल काल के अकबर दरबार का दृश्य दिखाया गया है। दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना करके अकबर ने हिंदू मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया।
15. संविधान के पंचदश खंड के आरंभ में शिवा जी मराठा व सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी का चित्र, अत्याचारों अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने व आततायियों से लोहा लेने के लिए तत्परता, बहादुरी और बलिदान का प्रतीक है।
16. संविधान के षोड्श खंड के आरंभिक चित्र में अंग्रेज़ों से लोहा लेने वाले मैसूर के टीपू सुल्तान और वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हैं जिनका शौर्य और पराक्रम नारी शक्ति व आत्म सम्मान का उत्तम दृष्टांत बयां करता है। 
17. संविधान के सप्तदश एवं अष्टादश 18 खंड के आरंभ में मानव समुदायों को जागृत करने वाले महापुरुष महात्मा गांधी का चित्र है। 
19. संविधान के नवदश खंड के चित्र में आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक व स्वतंत्रता सेनानी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस दर्शाये गये हैं जिनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारतवर्ष का राष्ट्रीय नारा बना। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि देने वाले सुभाष चन्द्र बोस ही थे। 
20. संविधान के इस खंड में विशाल हिमालय पर्वत का चित्र है जो भारतवर्ष की भौगोलिक विविधताओं के उपरांत भी राष्ट्र की अडिग एकता और अखंडता के साथ ही राष्ट्रीय अस्तित्व को दर्शाता है। 
21. संविधान के इक्कीसवें खंड में चित्रित थार मरुस्थल में ऊँटों का काफिला ज़िंदगी की कठिन, विषम व विकट परिस्थितियों में भी साहस एवं धैर्य बनाये रखते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। 
22. संविधान के बाईसवें खंड में समुद्री जहाज़ का चित्र है जो भारतवर्ष के समुद्री रास्तों से व्यापार और सुरक्षा की मज़बूत स्थिति को दर्शाता है।
संविधान की मूल प्रति की पिछली जिल्द पर अंतिम चित्र में पद्म विभूषित नंदलाल बोस ने अपनी चित्रकारी से स्वर्णिम पुष्प चक्र से स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए संदेश दिया है कि आज़ाद भारतवर्ष आज़ादी की नींव की ईंट बने शहीदों की शहादत को सदैव स्मरण रखते हुए विकास पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता रहेगा।