‘आप’ की दुर्दशा

चार राज्यों के चुनाव परिणामों से एक दिन पहले आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरदासपुर में पार्टी द्वारा की गई एक रैली में जोर-शोर से एक ऐलान किया था कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में पंजाब की सभी 13 सीटों सहित चंडीगढ़ की सीट भी जीतेगी। ऐसा कहते हुए उन्होंने इस बात का भी ध्यान नहीं रखा था कि ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से वह ‘आप’ देश भर में 28 पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। यह भी अंदेशा लगाया जाता रहा है कि आगामी इन चुनावों में इस गठबंधन की भावना के दृष्टिगत उनका सीटों के विभाजन के मामले में कांग्रेस के साथ समझौता हो सकता है। दिल्ली से यह बात उड़ती भी रही है, लेकिन प्रदेश की सभी लोकसभा सीटें जीतने के जोर-शोर से किए गये दावे के एक दिन बाद दूसरे राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आ गये। आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जोर-शोर से चुनाव लड़ा था। इनमें मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अपने सुप्रीमो की पूरी सेवा की गई थी। लगभग पिछले कई महीनों से पंजाब की कैबिनेट के बहुत से वज़ीर और विधायक इन राज्यों में डेरा लगाए बैठे थे। इन चुनावों के खर्च के लिए पंजाब के सरकारी खज़ाने का कई ढंगों से दुरुपयोग किया गया था। 
पहले कई चुनावों में की गई घोषणाओं के मुताबिक इन राज्यों में भी मुफ्त बिजली, महिलाओं को महीनेवार राशि, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल ऑफ ऐमीनैंस का प्रचार किया जाता रहा था, लेकिन ईमानदारी का दम भरने वाली इस पार्टी के पर्दे काफी समय पहले से खुलना शुरू हो गये थे। झूठे प्रचार का कुछ समय के लिए असर हो सकता है परन्तु कुछ समय बाद इस प्रचार पर चढ़े आवरण का रंग फीका पड़ना शुरू हो जाता है। तीन राज्यों में कई महीनों तक सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने के अतिरिक्त दिल्ली तथा पंजाब के बहुत-से साधनों का दुरुपयोग करने के बाद जो परिणाम सामने आया है, उसमें आम आदमी पार्टी फ्लाफ शो सिद्ध हुई है। ‘आरसी को कंगन क्या’ के मुहाविरे के अनुसार राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में इसकी जिस प्रकार शर्मनाक हार हुई है, उसका अनुमान लगाया जाना भी मुश्किल था। राजस्थान में इसे 0.38 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 0.93 तथा मध्य प्रदेश में 0.54 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हुए हैं। दूसरे अर्थों में इन तीनों ही राज्यों में वोट प्रतिशत एक फीसदी का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका। 
दूसरी ओर इस ‘दयानतदार’ पार्टी का हाल यह है कि इसका दिल्ली का उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा का बड़ा नेता संजय सिंह भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद हैं, जबकि इसका एक और मंत्री सत्येन्द्र जैन लम्बा समय जेल में रहने के बाद ज़मानत पर है। उच्च न्यायालयों में भी इनके द्वारा लगाई गई गुहार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसीलिए आज यह पार्टी विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। इस पार्टी की दिल्ली सरकार तो पहले ही अनेक विवादों में घिरी रही है, परन्तु विगत 20 मास में ही भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने भी कम समय में ही हीरो से ज़ीरो तक का स़फर तय कर लिया। आज पंजाब के लोग बेहद निराशा में विचरण कर रहे दिखाई दे रहे हैं। वे महसूस कर रहे हैं कि उनके द्वारा तलाश किये गए तीसरे विकल्प से वे पूरी तरह ठगे गए हैं। 
सरकार ने अब तक अपनी कथित उपलब्धियों का प्रचार करने के लिए अरबों रुपये ‘विज्ञापनबाज़ी’ पर खर्च किये हैं। क्रियात्मक रूप में लोग इसकी कारगुज़ारी देख कर पहले हैरान हुए थे और अब बुरी तरह से परेशान हुये दिखाई दे रहे हैं। ऐसे प्रभाव वाली सरकार का आगामी लोकसभा चुनावों में क्या हश्र होगा, इसका अनुमान लगाया जाना मुश्किल नहीं है। शायद लोगों के पास ऐसी निराशा में से निकलने का अब एकमात्र मार्ग ही बचा होगा, जो उनके मन को स्थिर करने में सहायक हो सकता है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द