जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकसित देश मुख्य भूमिका निभाएं

दुबई में संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में 30 नवम्बर से 12 दिसम्बर, 2023 तक आयोजित हो रहे सीओपी-28 विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के महत्वपूर्ण उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन को कारगर ढंग से रोकने के लिए औपचारिक संकल्पों की जगह, ज़िम्मेदारी की एक बड़ी और नई लकीर ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ के रूप में खींची है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उच्च स्तरीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने हमेशा महसूस किया है कि कार्बन क्रेडिट का दायरा बहुत सीमित है। एक तरह से यह फिलॉसफी व्यावसायिक तत्व से प्रभावित है।’ उन्होंने इस फिलॉसफी को संकल्पों के नए आयाम तक ले जाने के लिए आगे कहा ‘मैंने कार्बन क्रेडिट की व्यवस्था में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना की बड़ी कमी देखी है।’ जाहिर है प्रधानमंत्री मोदी ने यह कह कर दुनिया के बड़े और ताकतवर देशों को उनकी करनी और कथनी में भारी अंतर को रेखांकित करते हुए उन्हें आईना दिखा रहे थे, क्योंकि हम सब जानते हैं कि दुनिया पिछले तीन दशकों से जिस तरह से जलवायु परिवर्तन की भयावहता को लेकर रस्मी चिंता जता रही है, उससे जलवायु परिवर्तन में रत्तीभर का भी फर्क नहीं पड़ रहा, उलटे दिनोंदिन हालात बिगड़ ही रहे हैं।
इसी बात को अपने ढंग से इंगित करने के लिए सीओपी 28 समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल समस्या की भयावहता को नए सिरे से दर्ज कराया बल्कि स्पष्ट शब्दों में इसके लिए एक आउटलाइन देते हुए कहा कि अगर हम वास्तव में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए गम्भीर हैं, तो दुनिया को कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसद की कमी लाने का संकल्प लेना होगा, तभी दुनिया इस संकट से बच सकेगी।
 ग्रीन क्रेडिट इनिशिएटिव की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में यह भी कहा कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन घटाने पर तत्परता से काम किए जाने की ज़रूरत है। दुनिया के हर देश को इसके लिए अपने प्रयासों की सारी ताकत झोंक देनी होगी। वास्तव में यह जितना बड़ा संकट है, उसे देखते हुए इसका समाधान किसी एक देश या एक प्रयास से संभव नहीं होगा, इसे संभव बनाने के लिए सभी देशों को आगे बढ़कर इसमें भाग लेना होगा।
इस संबंध में मोदी ने सिर्फ  दुनिया को ही उपदेश नहीं दिया बल्कि एक तरफ जहां उन्होंने इस संबंध में अपने देश के प्रयासों को दुनिया के सामने रखा वहीं नए संकल्पों और ज़िम्मेदारियों में अपने लिए बड़ी चुनौती भी चुनी। उन्होंने कहा ‘आज भारत ने दुनिया के सामने इकोलॉजी और अर्थव्यवस्था के संतुलन का उत्तम उदाहरण पेश किया है। विश्व की 17 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद ‘ग्लोबल कार्बन एमिशन’ में हमारी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत से भी कम है।’ प्रधानमंत्री ने आगे यह भी कहा कि जब भी जलवायु कार्रवाई की बात आयी है, भारत ने न केवल बढ़-चढ़कर अपनी ज़िम्मेदारी निभाई है बल्कि जो कहा है उस पर सदैव कायम रहा है। उन्होंने उदाहरण पेश करते हुए कहा, ‘नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण, ऊर्जा संरक्षण, मिशन लाइफ जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हमारी उपलब्धियां धरती माता के प्रति हमारे लोगों की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं।
 सम्मेलन को संबोधित करते हुए भी मोदी ने अपने संकल्पों से दुनिया को अवगत कराते हुए कहा, ‘भारत 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन का शेयर बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। जो कि साल  2070 तक हमारे नेट ज़ीरो के लक्ष्य का दृढ़ संकल्प है।’प्रधानमंत्री मोदी ने साइलेंस ब्रेकिंग आह्वान करते हुए इस सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए अमीर और तकनीक से लैस विकसित देशों से प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान पर ज़ोर दिया। साथ ही जलवायु परिवर्तन की बेहद गंभीर चुनौती को देखते हुए मोदी ने पर्यावरण के लिए जीवनशैली ‘आंदोलन’ का भी समर्थन और इसके व्यापक स्वरूप का आह्वान किया है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर