मोदी का प्रभाव

पंजाब में 7वें तथा अंतिम चरण के चुनाव एक जून को होने जा रहे हैं। पहले 5 चरण पूरे हो चुके हैं तथा 6वें चरण के लिए मतदान 25 मई को होगा। इसलिए आगामी दिनों में राजनीतिक नेताओं का अधिक ध्यान पंजाब की ओर ही रहेगा। प्रधानमंत्री तथा भाजपा के अन्य नेताओं की इधर बढ़ रहीं गतिविधियों को इस सन्दर्भ में ही देखा जा सकता है।  लोकसभा में संख्या के पक्ष से पंजाब का ज्यादा महत्त्व नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसकी 543 सीटों में से सिर्फ 13 हैं तथा एक सीट चंडीगढ़ की है परन्तु सीमांत प्रदेश होने के कारण तथा और अनेक कारणों के दृष्टिगत देश में इसका महत्त्व बना रहा है। विभाजन के समय पंजाब की धरती का ज्यादातर भाग पाकिस्तान में चला गया था तथा इधर बचे प्रदेश में से भी बड़े भाग हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश में चले गये थे। इसलिए सीटों की संख्या तथा क्षेत्रफल के पक्ष से इसका महत्त्व ज़रूर कम है परन्तु पिछले समय में इस छोटे-से प्रदेश की उपलब्धियां उल्लेखनीय तथा गौरवशाली रही हैं। जिस समय देश को खाद्य वस्तुओं की ज़रूरत थी, उस समय इस प्रदेश में हरित क्रांति आई, जिसने अनाज के पक्ष से देश की झोली भरी रखी, परन्तु समय व्यतीत होने से यह प्रदेश अनेक पक्षों से बेहद पिछड़ गया। इसकी कृषि में स्थिरता आ गई। यहां कृषि आधारित उद्योगों को उत्साहित नहीं किया गया। धीरे-धीरे उद्योग तथा व्यापार भी यहां से  पलायन करता गया। यह आर्थिक रूप से पूरी तरह दब गया। 
यदि इन लोकसभा चुनावों की बात करें तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अब तक यहां तीन चुनावी रैलियां की हैं, पहली पटियाला में, दूसरी गुरदासपुर के दीनानगर में तथा तीसरी जालन्धर में। नि:संदेह उनकी इन रैलियों ने प्रदेश के लोगों में चुनावों के पक्ष से विशेष उत्साह पैदा किया है। भाजपा का लम्बी अवधि के बाद प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ने का अनुभव भी नया है। यह देखने वाली बात होगी कि इन चुनावों में वह कितना सफल रहती है, परन्तु अब तक प्रदेश की चुनावी गतिविधियों के दौरान इसकी चुनाव-योजनाबंदी ज़रूर प्रभावित करने वाली दिखाई दे रही है। इसके साथ ही पार्टी ने विशेष रूप से यह यत्न किया है कि वह यहां के ज्यादातर समुदायों को अपने साथ लेकर चलने का यत्न करे, जिसमें वह बड़ी सीमा तक सफल भी हो रही है। अकेले चुनाव लड़ते हुये उसने दृढ़ इच्छा-शक्ति का प्रकटावा किया है। नि:संदेह प्रदेश में उसके मत प्रतिशत में भारी वृद्धि होने की सम्भावना है।
प्रधानमंत्री ने इन चुनावों में विशेष दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने श्रद्धालु मन को गहनता से ढूंढने का यत्न भी किया है। करतारपुर गलियारे के लिए किये गये अपने सौहार्दपूर्ण यत्नों के साथ-साथ उन्होंने भारत में छोटे साहिबज़ादों की शहादत को उजागर करने के लिए ‘वीर बाल दिवस’ मनाने के लिए अपनी सरकार की ओर से लिये गये फैसले का भी ज़िक्र किया है, जिससे देश भर में छोटे साहिबज़ादों की कुर्बानी का सभी को पता चल सका है। श्री नरेन्द्र मोदी पंजाब भाजपा में अलग-अलग तरह की ज़िम्मेदारियां निभाते रहने के कारण लम्बा समय पंजाब में विचरण करते रहे हैं तथा उस समय की सक्रियता के कारण वह इस धरती को तथा पंजाबियों को बड़ी सीमा तक जानते भी हैं। उनका इस धरती तथा गुरु साहिबान के साथ विशेष प्रेम तथा सम्मान भी हमेशा बना रहा है। इसलिए चुनावी रैलियों के दौरान उन्होंने पंजाब के मूलभूत ढांचे के विकास की बात पर ज़ोर दिया है। 
इसके साथ ही उन्होंने जो मामले छुये हैं उनसे भी इन्कार नहीं किया जा सकता। दो वर्ष पूर्व ‘आप’ नेताओं ने जो वादे तथा दावे किये थे तथा जो सपने दिखाए थे वे आज धूमिल पड़ते प्रतीत होते हैं। दावों तथा वादों की हवा पूरी तरह निकल चुकी है। श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में बढ़ रहे नशों के कारोबार की बात भी की है। प्रदेश सरकार की असफलताओं के बारे में बताते हुए लगातार बढ़ रहे ऋण की बात भी की है तथा यह भी कि यहां का ज्यादातर उद्योग अन्य प्रदेशों में चला गया है तथा कारोबार ठप्प होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो सरकार नशों पर तुरंत नुकेल डालने की बात करती थी, आज उसके शासन में नशों की भरमार हो चुकी है। यहां ड्रग माफिया, शूटरों तथा गैंगस्टरों का राज दिखाई दे रहा है तथा यह भी कि यह सरकार पंजाब से नहीं, अपितु दिल्ली दरबार से चलती है। कुछ वर्षों में ही प्रदेश के विकास को पूरी तरह ब्रेक लग चुकी है तथा सरकार की कारगुज़ारी को देखते हुए प्रदेश का भविष्य धूमिल होता दिखाई देने लगा है। प्रधानमंत्री ने पंजाबियों के डावांडोल हो रहे विश्वास को मज़बूत करने का वादा किया है। आज प्रदेश की डावांडोल होती नाव को बड़े सहारे की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री द्वारा पंजाब से किये गये वादे आगामी समय में प्रदेश के लिए कितना सहारा बन सकेंगे, यह देखने वाली बात होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द