बीमारियों को दूर रखने तथा शुद्ध वातावरण के लिए हर्बल पौधे लगाएं

बागवानी विभाग के पूर्व उप-निदेशक डा. स्वर्ण सिंह मान के अनुसार हर्बल पौधे लगाने से बीमारियां थम जाती हैं। ये पौधे घरों व घरों की बगीचियों में भी लगाए जा सकते हैं। इससे घर स्वच्छ रहेगा तथा घर में हरियाली का वातावरण रहेगा। घरों के भीतर वायु प्रदूषण कम होगा। तुलसी तथा नीम आदि से होकर जब हवा घर में से गुज़रती है तो वातावरण को शुद्ध तथा स्वस्थ बनाती है। इनकी महक से छोटे-मोटे कीड़े-मकौड़े भी घर में नहीं आते। इन पौधों से घर में ही कई रोगों का उपचार किया जा सकता है, जैसे हर्बल पौधे का कढ़ी पत्ता, धनिया, पुदीना, तुलसी, सौंफ, अजवाइन आदि भोजन को तो स्वादिष्ट बनाते ही हैं, शरीर के रोगों को भी दूर भगाते हैं। डा. मान कहते हैं कि हर्बल बगीची आय बढ़ाने का भी एक अच्छा साधन है और किसान इसे अपने खेतों में भी लगा सकते हैं। अलग-अलग किस्म के हर्बल पौधों के गुण इस प्रकार हैं :-
आंवला : इसमें विटामिन ‘सी’, बी कम्पलैक्स, लोहा तथा कैल्शियम फास्फोरस मिलता है। इसका फल शुगर तथा रक्तचाप के मरीज़ों के लिए बड़ा लाभदायक है।
तुलसी : इसके पत्तों में मलेरिया के कीटाणु नष्ट करने की शक्ति है। इसके पत्तों का पानी पीने से पेट की बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इसके काढ़े के उपयोग से सिर दर्द, ज़ुकाम तथा बुखार से बचाव रहता है। 
ब्रह्मी : इसके पत्तों का कढ़ा हुआ दूध पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और यह दिमाग को भी ताकत पहुंचाती है। रक्त साफ करने, सांस की बीमारी, मिर्गी तथा कई प्रकार की त्वचा की बीमारियों तथा कमज़ोरी दूर करने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।
पुदीना : सांस तथा पेट की बीमारियों के लिए लाभदायक है। इसे साबुन या टुथ पेस्ट में इस्तेमाल किया जाता है। इससे इत्र भी तैयार किया जाता है। यह भोजन को स्वादिष्ट तथा खुशबूदार बनाने में सहायक होता है। इसकी चटनी का इस्तेमाल भोजन को पचाने में सहायक होता है। 
अश्वगंधा : इसकी जड़ों को कमज़ोरी दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके पत्ते खाने से मोटापा कम होता है। इसके इस्तेमाल से जोड़ों का दर्द तथा दिमागी कमज़ोरी दूर होती है और भूख बढ़ती है। इसके फल तथा बीज उच्च रक्तचाप में आराम पहुंचाते हैं। यह थायराइड, बैक्टीरिया, एलर्जी तथा शुगर की बीमारियों के लिए भी लाभदायक है।  
घृत कुमारी (एलोविरा) : इसे शृंगार का सामान बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह चेहरे को साफ करने तथा सब्ज़ी, आचार बनाने के लिए भी योग्य है। इसे जुलाई में मुंडेरों पर लगाया जा सकता है।
कढ़ी पत्ता : यह त्वचा की एलर्जी तथा शुगर के मरीज़ों के लिए लाभदायक है। इसे भी जुलाई में मुंडेरों पर लगाया जा सकता है।
मेहंदी : यह बालों को रंगने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसे हाथों की खूबसूरती के लिए भी उपयोग किया जाता है। मेहंदी का लेप सिर पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है। 
स्टीविया : इसका महत्व इस में पाई जाने वाली मिठास के कारण है। इसके पत्तों में चीनी से 30 गुणा अधिक मिठास होती है। एक्सट्रेक्ट (अर्क) में आम चीनी से 300 गुणा ज़्यादा मिठास होती है। यह शुगर रोगियों के लिए दवा भी है। 
सफेद मूसली : इसे मर्दाना शक्ति बढ़ाने के लिए बनाई जाने वाली दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी बिजाई आज कल मुंडेरों पर की जा सकती है। अजवाइन : अजवाइन का इस्तेमाल करने वाले लोग स्वस्थ्य रहते हैं। यह शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाती है। भोजन पचाने में सहायक होती है। पेट दर्द तथा पेट के अफरेवें में लाभदायक है। 
सौंफ : इससे पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है। बच्चों का पाचन ठीक करने में सौंफ का अर्क आम इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ के तेल का इस्तेमाल भी स्वाद के लिए किया जाता है। 
बेल : इसका फल दस्त, आंतों के अल्सर तथा डायरिया के उपचार हेतु इस्तेमाल किया जाता है। इसका शरबत तथा जूस दिमाग को ताज़गी, दिल को ताकत तथा शरीर को ठंडक प्रदान करता है। इसमें विटामिन ए, बी, कार्बोहाइडे्रट तथा अन्य दवाइयों वाले गुण पाए जाते हैं। पेट की बीमारियों के लिए इसका इस्तेमाल बहुत लाभदायक है। इसका उपयोग पेट संबंधी दवाईयों में विशेष रूप से किया जाता है।
सहजन : इसके फूल, फलियां तथा जड़ें उपयोग में लाई जाती हैं। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-सी तथा पोटाशियम मौजूद होता है। यह ब्लड प्रैशर, एलर्जी तथा आंखों के लिए लाभदायक है। इसे भी जुलाई में सफलतापूर्वक लगाया जा सकता है।
पौधों का गमलों में लगाना : जुलाई में गमलों में पहले लगे पुराने पौधों को निकाल कर गमले को नये सिरे से खाद (रूड़ी) तथा मिट्टी के मिश्रण से भर कर नये पौधे लगाएं। हल्की बरसात में पौधों को आंगन में रख दें। इससे पौधों में निखार आएगा। 
ये हर्बल पौधे बागवानी विभाग तथा पीएयू की नर्सरियों से प्राप्त किए जा सकते हैं। निजी क्षेत्र में भी कई नर्सरियां हर्बल पौधे बेचती हैं।