भाजपा ने मोहन लाल बड़ौली को सौंपी हरियाणा की कमान

सोनीपत जिले के राई विधानसभा हल्के से भाजपा विधायक मोहन लाल बड़ौली को भारतीय जनता पार्टी हरियाणा इकाई का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। इस समय वह विधायक और भाजपा के प्रदेश महासचिव थे। भाजपा ने उन्हें इस बार सोनीपत संसदीय क्षेत्र से लोकसभा उम्मीदवार भी बनाया था लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी के मुकाबले चुनाव हार गए थे। अब भाजपा ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बना कर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। अभी तक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी संभाल रहे थे। 4 महीने पहले जब नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, उस समय वह कुरुक्षेत्र से सांसद और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष थे। सीएम बनने के बाद नायब सिंह करनाल उपचुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। उन पर दोहरी जिम्मेदारी होने के कारण प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मोहन लाल बड़ौली को सौंपी गई है। ब्राह्मण समाज से संबंधित 61 वर्षीय मोहन लाल पेशे से किसान और व्यापारी हैं। भाजपा ने उन्हें 2020 में सोनीपत जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। माना जा रहा है कि ब्राह्मण समाज को खुश करने के लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मोहन लाल बड़ौली को दी गई है। पिछले 35 साल से वह आरएसएस से जुड़े हुए हैं और अब उनके कंधों पर पार्टी को तीसरी बार वापस प्रदेश की सत्ता में लाने की जिम्मेदारी है। भाजपा ने ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री बनाकर और ब्राह्मण समाज से प्रदेशाध्यक्ष बनाकर 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। 
सभी को खुश करने में लगी भाजपा
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह इन दिनों प्रदेश के हर वर्ग को खुश करने के प्रयासों में लगे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा प्रदेश की 10 में से 5 सीटें हारने के बाद अब मुख्यमंत्री नायब सिंह समाज के उन सभी वर्गों को किसी न किसी बहाने खुश करने की कोशिश में हैं। हरियाणा में गांवों के सरपंच सरकार से ई-टैंडरिंग को लेकर नाराज चल रहे थे। मुख्यमंत्री सैनी ने सरपंचों की नाराजगी दूर करते हुए उन्हें 21 लाख रुपए तक के काम बिना टैंडर के करवाने के अधिकार देने के साथ-साथ उनकी कई अन्य मांगें भी स्वीकार करके न सिर्फ उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है बल्कि यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार किसी भी वर्ग से बेवजह टकराव नहीं चाहती। इतना ही नहीं, अब भाजपा सरकार ने छात्रों को भी खुश करने का प्रयास किया है। सरकार ने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को 150 किलोमीटर तक बस पास सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है। इससे पहले छात्रों को 60 किलोमीटर तक ही बस की सुविधा थी। इतना ही नहीं, अब बस पास छमाही आधार पर भी जारी किए जाएंगे ताकि छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए। इसके साथ ही राज्य सरकार ने प्रदेश की विभिन्न नगर पालिकाओं व स्थानीय निकायों की भूमि पर 20 वर्ष से ज्यादा बतौर किराएदार और लीज़धारक रह रहे लोगों को मालिकाना हक देने के लिए एक बार फिर 15 दिनों के लिए पोर्टल खोल दिया है ताकि जो लोग अभी तक आवेदन नहीं कर पाए थे, वे नए आवेदन करके मालिकाना हक हासिल कर सकें। इतना ही नहीं, प्रदेश सरकार ने समाज के अनेक अन्य वर्गों को भी कई प्रकार की सुविधाएं देकर उन्हें राज़ी करने का प्रयास किया है। 
इनेलो-बसपा गठबंधन की उम्मीद
इनेलो विधायक व पार्टी के प्रधान महासचिव अभय चौटाला द्वारा बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच पिछले दिनों हुई मुलाकात के बाद प्रदेश में इनेलो व बसपा के बीच फिर से विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन होने की संभावना ने जोर पकड़ लिया है। 1998 में भी हरियाणा में इनेलो व बसपा का गठबंधन हुआ था। बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन करके पहली बार अम्बाला लोकसभा सीट जीती थी। 2017 में भी इनेलो व बसपा में गठबंधन था लेकिन चौटाला परिवार के दोफाड़ होने और इनेलो पार्टी में दरार आने के बाद इनेलो-बसपा गठबंधन भी टूट गया था। अब यह गठबंधन एक बार फिर सिरे चढ़ पाएगा या नहीं, यह तो समय बताएगा, लेकिन इस गठबंधन को लेकर प्रदेश में चर्चाओं का बाजार खूब गर्म है। प्रदेश में एक तरफ जहां इनेलो-बसपा गठबंधन होने की उम्मीद बनी है, वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व ‘आप’ के बीच हुआ गठबंधन टूट गया है। हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस हरियाणा में विधानसभा चुनाव अपने बलबूते पर लड़ेगी और किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा। कांग्रेस से गठबंधन टूटने के बाद आम आदमी पार्टी के अनेक नेता भी धीरे-धीरे पार्टी छोड़कर अन्य दलों में जाने लगे हैं। 
भाजपाई बने राणा व देसूजोधा
हरियाणा के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा व कालांवाली आरक्षित सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके राजेंद्र सिंह देसूजोधा फिर से भाजपा में शामिल हो गए हैं। इन दोनों नेताओं ने 2014 का विधानसभा चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़ा था। उस समय श्याम सिंह राणा विधायक चुने गए थे और वह मनोहर सरकार में मुख्य संसदीय सचिव बने थे। दूसरी तरफ राजेंद्र देसूजोधा 2014 में कालांवाली से विधानसभा चुनाव हार गए थे। 2014 में कालांवाली से अकाली दल के बलकौर सिंह विधायक बने थे। 2019 में भाजपा ने दोनों नेताओं को टिकट नहीं दी थी और टिकट न मिलने पर दोनों ही नेता भाजपा को छोड़ गए थे। श्याम सिंह राणा इनेलो में शामिल हो गए थे और राजेंद्र देसूजोधा अकाली दल में शामिल हुए थे। अकाली दल ने देसूजोधा को कालांवाली से उम्मीदवार भी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। 2019 के चुनाव में बलकौर सिंह भाजपा में शामिल होकर भाजपा टिकट पर कालांवाली से चुनाव लड़े थे, लेकिन चुनाव हार गए थे। इस बार इनेलो ने जो आधा दर्जन उम्मीदवारों की टिकट घोषित की थी, उनमें श्याम सिंह राणा का नाम भी शामिल था, लेकिन वह अब इनेलो छोड़कर भाजपा में वापस शामिल हो गए हैं। 
दूसरी तरफ राजेंद्र देसूजोधा भी वापस भाजपा में आ गए हैं। इन दोनों नेताओं को वापस भाजपा में लाने का श्रेय मुख्यमंत्री नायब सिंह को मिल रहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह इससे पहले कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी और उनके समर्थकों को भी भाजपा में शामिल करवाकर कांग्रेस को गहरा झटका दे चुके हैं। प्रदेश सरकार व भाजपा इस समय पूरी तरह से चुनावी मोड में हैं और कि पार्टी के नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुन: सक्रिय करने में जुटी हुई हैं। इसके साथ ही परिवार पहचान पत्र और प्रॉपर्टी आईडी जैसी योजनाओं से खफा लोगों को भाजपा राहत प्रदान करने के प्रयासों में भी लगी हुई है। लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिला व उपमंडल मुख्यालयों में राहत कैंप शुरू करवाए हैं। इन राहत कैंपों में लोगों की शिकायतों का मौके पर ही हाथाें-हाथ निपटारा किया जा रहा है। भाजपा हर हालत में हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए है। हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे कैसे रहेंगे, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव बेहद रोचक व संघर्षपूर्ण होने की उम्मीद है।
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