विफलताओं की दास्तान

पिछले कुछ वर्षों से पंजाब की पिच्छलगामी चाल थमने का नाम नहीं ले रही। इसकी बजाय इसकी गति और भी तेज़ होती जा रही है। अब इस बात का भी पता नहीं चल रहा कि आखिर पंजाब का बनेगा क्या? पिछले कुछ वर्षों से इस प्रदेश के आधारभूत निर्माण के कार्य लगभग ठप्प हुए पड़े हैं। इन क्षेत्रों में जो पहले निर्माण हो चुके हैं, अब वे भी खंडहर बनते जा रहे हैं। सरकार की ़गलत योजनाबंदी के कारण केन्द्र ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपनी ओर से डाली जाने वाली राशि रोक ली है, जो प्रदेश सरकार की विफलताओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसी कारण गांवों तथा शहरों की सड़कें टूट-फूट गई हैं। इसी कारण लोग भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मिलती आम सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। हर क्षेत्र में पीछे रह जाने तथा नुक्सान उठाने का अब एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है, जैसे कि केन्द्र की योजना के अनुसार प्रदेश में बनाये जा रहे या इसमें से गुज़रते हाईवे प्रोजैक्टों का रुक जाना।
पिछले कई वर्षों से केन्द्र ऐसी योजनाएं प्रदेश सरकार से सांझी करता आ रहा है। इनके लिए आवश्यक भूमि प्राप्त करने के लिए उसकी ओर से बड़ी धन-राशि का प्रबन्ध भी कर दिया गया था, परन्तु प्रदेश सरकार एवं प्रशासन की ढुल-मुल नीतियों ने अब तक इन प्रोजैक्टों को पूरा नहीं होने दिया। केन्द्र की ओर से ऐसे राष्ट्रीय-मार्ग की सात योजनाएं पंजाब को दी गई थीं, जिनमें दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रैस-वे (जो पंजाब के क्षेत्र से ही गुज़रना था) दूसरा, होशियारपुर-ऊना राष्ट्रीय मार्ग तथा तीसरा, होशियारपुर-फगवाड़ा राष्ट्रीय मार्ग का निर्माण किया जाना था, परन्तु प्रदेश सरकार की ओर से इन्हें पूर्ण करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी न कर सकने के कारण अब केन्द्र ने इन योजनाओं को बंद करने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही लुधियाना-रोपड़-खरड़ राष्ट्रीय मार्ग, दक्षिणी लुधियाना बाईपास राष्ट्रीय मार्ग, अमृतसर-टांडा राष्ट्रीय मार्ग एवं लुधियाना-बठिंडा राष्ट्रीय मार्ग के निर्माण में भी पंजाब सरकार की ओर से आवश्यक सहयोग न मिलने के कारण इन चार प्रोजैक्टों को रद्द करने की तैयारी लगभग पूर्ण कर ली गई है। इन योजनाओं पर केन्द्र ने 52,000 करोड़ की धन-राशि खर्च करनी थी, जो अधर में लटक गई है। 
कुछ दिन पहले नैशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एन.एच.ए.आई.) के चेयरमैन ने पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर अपनी नाराज़गी प्रकट की थी तथा यह भी लिखा था कि क्यों न सरकार के ढीले रवैये को देखते हुए इन प्रोजैक्टों को बंद कर दिया जाए? इससे पहले केन्द्र सरकार के सड़क एवं यातायात मंत्री नितिन गडकरी ने भी एक बैठक में इसका गम्भीर संज्ञान लिया था। बैठक में पंजाब सरकार के एक संबंधित मंत्री भी शामिल थे। केन्द्रीय मंत्री ने उसे इसलिए भी कड़ी फटकार लगाई थी तथा कहा  था कि पंजाब के भीतर चल रहे हाईवे प्रोजैक्ट प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण निर्धारित समय पर पूरे नहीं हो पा रहे। प्रशासन की इस विफलता का भिन्न-भिन्न वर्गों की ओर से गम्भीर नोटिस लिया गया है। पूर्व केन्द्र मंत्री विजय सांपला ने यह आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार प्रदेश के विकास की कीमत पर नैशनल हाईवे प्रोजैक्टों को खत्म करने पर उतारू है। नि:संदेह इन योजनाओं को पूर्ण करने से पंजाब आर्थिक पक्ष से भी मज़बूत होगा तथा तेज़ी से विकास के मार्ग पर भी चलेगा।
इस संबंध में अब अमृतसर से चुने गए सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी अपनाए गए ऐसे रवैये पर पंजाब सरकार की कड़ी आलोचना की है तथा कहा है कि केन्द्र सरकार की ओर से ऐसे कुछ प्रोजैक्ट रद्द कर दिए गए हैं एवं अन्य प्रोजैक्टों को पूर्ण करने में सहायक होने के लिए पंजाब सरकार को दो मास का समय दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सिफ़्ती के घर अमृतसर का विकास काफी सीमा तक पर्यटकों पर निर्भर करता है। इसलिए यदि दिल्ली का स़फर मात्र 4 घंटे का रह जाए तो लाखों की संख्या में और पर्यटक भी यहां आ सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन प्रोजैक्टों के लिए पैसा पहले ही खज़ाने में पड़ा है, परन्तु सरकार इन प्रोजैक्टों को भी पूरा नहीं करवा रही। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की ओर से अमृतसर को दी गई ब़ागबानी यूनिवर्सिटी तथा पट्टी-मक्खू रेल के प्रोजैक्ट भी अधूरे पड़े हैं जबकि केन्द्र सरकार से इनके लिए पैसा भी आ चुका है। इस संबंध में पंजाब के संबंधित मंत्री ने चाहे इस बात को माना है तथा साथ यह भी कहा है कि केन्द्र की ओर से शुरू किए इन प्रोजैक्टों में प्रदेश सरकार पूरा सहयोग देगी। इससे पहले भी समय-समय पर प्रदेश प्रशासन की बेरुखी तथा विफलता के कारण हज़ारों करोड़ों के प्रोजैक्ट प्रदेश से छिन गए हैं जिनका प्रदेश को भारी नुक्सान उठाना पड़ा है। नि:संदेह अब ऐसी विफलताओं के कारण पंजाबवासियों की ओर से प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करना होगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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