पंजाब के प्रति चिंतित थे बनवारी लाल पुरोहित
पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित द्वारा पांच माह पहले दिया गया इस्तीफा अंतत: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर कर लिया है। पुरोहित ने सितम्बर 2021 को अपना पद संभाला था। इस वर्ष फरवरी में उन्होंने अपने पद से इस्तीफे का पत्र राष्ट्रपति को भेज दिया था। चाहे उन्होंने इस इस्तीफे में अपने निजी कारण लिखे थे लेकिन इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की कार्यशैली से बहुत निराश और नाराज़ थे। वह अकसर कहते थे कि राज्य सरकार संवैधानिक ढंग-तरीके के साथ नहीं चलाई जा रही। इसका ज़िक्र वह अकसर मुख्यमंत्री को अपनी ओर से लिखे पत्रों में भी करते रहे थे।
श्री पुरोहित ने लगभग तीन वर्ष पहले अपना पद संभाला था। आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले उन्होंने दो मुख्यमंत्रियों कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी के साथ भी काम किया था, लेकिन उस समय के दौरान उनको अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारियां निभाते हुए किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आई थी, लेकिन ‘आप’ सरकार बनते ही मुख्यमंत्री द्वारा अपनाए तौर-तरीकों और कार्यशैली को उन्होंने इसलिए पसन्द नहीं किया था क्योंकि उनके अनुसार यह सरकार बिना किसी तालमेल के और बिना संवैधानिक परम्पराओं की परवाह किये निरंकुश ढंग के साथ चलाई जा रही थी। यहां तक कि समय-समय पर उनके द्वारा अपने अधिकारों की सीमाओं में रहते हुए मुख्यमंत्री को जो पत्र लिखे जाते रहे, उनका भी जवाब अकसर नदारद रहता था। विधानसभा का बुलाया सैशन भी नियमों पर पूरी तरह से नहीं उतरता जिसके लिए दोनों पदाधिकारियों में तकरार पैदा हो गया था। मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल के अधिकारों को दरकिनार करते हुए दो विश्वविद्यालयों के वाईस चांसलरों की नियुक्ति की घोषणा ने भी आपसी तकरार को बढ़ा दिया था। विशेष सत्र, जिसकी सही ढंग से राज्यपाल से स्वीकृति नहीं ली गई थी, में पारित किए गए चार विधेयकों की समहति को राज्यपाल की ओर से रोके जाने पर पैदा हुए मामले को भी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया था। विगत तीन वर्षों से श्री पुरोहित ने पंजाब में उठे गम्भीर मामलों जैसे रेत-बजरी की अनधिकृत निकासी तथा नशों के बढ़ते प्रचलन के प्रति कई बार गम्भीर चिन्ता व्यक्त की थी, किन्तु इस संबंध में सरकार ने अक्सर अनदेखी वाली नीति अपनाए रखी।
श्री पुरोहित द्वारा समय-समय पर किए गए सीमांत ज़िलों के दौरे भी मुख्यमंत्री को कभी रास नहीं आए। उसने अक्सर इन दौरों के संबंध में आलोचनात्मक टिप्पणियां कीं और यहां तक भी कहा कि राज्यपाल इन दौरों के लिए सरकारी हैलीकाप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रदेश का संवैधानिक प्रमुख होने के नाते वह ऐसी सुविधा का इस्तेमाल कर सकते थे, परन्तु उन्होंने मुख्यमंत्री की टिप्पणी के बाद अपने दौरों के लिए सरकारी हैलीकाप्टर न इस्तेमाल करने की घोषणा कर दी थी, जिसने उठे तकरारों को और भी बढ़ा दिया था। अक्तूबर 2022 में चंडीगढ़ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए राज्यपाल द्वारा आयोजित किए गए समारोह में मुख्यमंत्री के नहीं पहुंचने पर श्री पुरोहित ने यह टिप्पणी भी की थी कि मुख्यमंत्री अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारियों का पालन नहीं कर रहे। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अक्सर चुने हुए तथा मनोनीत किये गये प्रतिनिधियों की बात बार-बार करते रहे जबकि श्री पुरोहित राज्यपाल के पद को भी संविधान के अनुसार स्थापित किया गया कहते रहे थे। नि:संदेह कुछेक बातों को छोड़ कर तीन वर्ष के समय में श्री बनवारी लाल पुरोहित ने प्रदेश के लोगों में अपना बेहद अच्छा प्रभाव छोड़ा है। उनकी ओर से अक्सर पंजाब के बिगड़ते हालात तथा पंजाब के भिन्न-भिन्न मुद्दों के संबंध में अपनी ओर से निरन्तर चिन्ता व्यक्त की जाती रही। उनके द्वारा अपनी सीमाओं में रहते हुए पंजाब के प्रति दिखाई गई चिन्ता के लिए तथा सीमांत क्षेत्रों के लोगों के मसलों को सुलझाने के लिए उनकी ओर से की गई कोशिशों के लिए पंजाब तथा पंजाबी उनके सदा ऋणी रहेंगे।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द