पक्ष-विपक्ष को टकराव की राजनीति से दूर रहना चाहिए

वर्तमान में संसद में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच अनर्गल, बेलगाम बोल के कारण दिन पर दिन आपसी टकराव की स्थिति बढ़ती जा रही है जो लोकतंत्र के हित में कदापि नहीं है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों को जनता ने जनमत आपस में टकरा कर संसद काल का स्वर्णिम अवसर गंवाने के लिये नहीं दिया बल्कि  सकारात्मक बहस कर देशहित में सही कदम उठाने के लिये दिया है। सत्तापक्ष यदि मनमानी करता है, जनहित में उचित कदम नहीं उठाता है तो विपक्ष को विरोध करने की पूरी शक्ति जनता ने दे रखी है। विपक्ष की मांग पर पहल करना सत्तापक्ष का नैतिक दायित्व है, परन्तु आजकल दोनों का नज़रिया ही बदल गया है जिस की वजह से आपसी टकराव की स्थिति दिन पर दिन बढ़ती जा रही है जिसमें जनता के द्वारा चुने गये जनप्रतिधि सांसद के बेलगाम बोल आग में घी का काम कर रहे हैं।
   अभी हाल हीं में संसद में चल रही चर्चा के दौरान विपक्ष नेता राहुल गांधी द्वारा जातीय जनगणना कराये जाने के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का किसी की भावना को ठेस पहुंचाने वाला बयान कि जातीय जनगणना की बात करने वाले को अपनी जाति का ही पता नहीं, आपसी टकराव का कारण बन गया है। ऐसे बयान जो किसी की भावना को ठेस पहुंचाएं, जनप्रतिनिधियों को उनसे बचना चाहिए।
    जनता ने इस बार सत्ता पक्ष का जनमत का आकड़ा पहले से कम कर दिया है तथा विपक्ष को पहले से ज्यादा जनमत देकर मज़बूत विपक्ष बनने का सुअवसर दिया है। इस बात को विपक्ष को नज़रअदांज़ नहीं करना चाहिए। सत्ता पक्ष को मालूम है कि आज सत्ता वैसाखी पर टिकी है जो कभी भी धराशायी हो सकती है। उसके सामने एक मज़बूत विपक्ष सीना ताने खड़ा है। इस तरह के हालात में लोकतंत्र तभी सही रह सकता जब सांसद अपनी मर्यादा में रहें, अनर्गल बोल से बचें। पक्ष-विपक्ष टकराव की राजनीति से दूर रहें। सत्ता पक्ष के सही कदम पर विपक्ष समर्थन देकर सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए, सत्ता पक्ष भी विपक्ष की बात सुन कर विचार करे एवं उस पर अमल करेष तभी जनादेश का सही सम्मान हो सकेगा, लोकतंत्र सही ढंग से चल सकेगा। सत्ता तो आज इधर है तो कल उधर, इस यथार्थ को सभी को समझना होगा। देश एवं जनहित में ज़रूरी है कि पक्ष व विपक्ष आपसी टकराव की राजनीति से दूर रहें। (अदिति)