मानवता के लिए बड़ा खतरा बन रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र

पहले जापोरिजिया और अब कुर्स्क में परमाणु ऊर्जा संयंत्र खतरे में हैं, जो अत्यधिक चिंता का विषय हैं। संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने 27 अगस्त को रूस के कुर्स्क परमाणु संयंत्र के दौरे के दौरान चेतावनी दी कि स्थिति बहुत गंभीर है क्योंकि यह संयंत्र युद्ध क्षेत्र से मुश्किल से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। 
आईएईए ने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए खतरे के बारे में कई चेतावनियां जारी की हैं, खासकर रूसी सेना द्वारा दक्षिणी यूक्रेन में जापोरिजिया परमाणु संयंत्र पर कब्ज़ा करने के बाद। आईएईए प्रमुख ने चेतावनी दी कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर कभी भी हमला नहीं किया जाना चाहिए। यह एक अत्यंत गंभीर चेतावनी है जो आईएईए प्रमुख के मुंह से निकली है। थ्री माइल आइलैंड, चेरनोबिल और फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र आपदाओं की भयानक यादें हमें उन क्षेत्रों में और उसके आसपास के क्षेत्रों में जीवन और बुनियादी ढांचे के भारी नुकसान की याद दिलाती हैं, साथ में विकिरणों के दीर्घकालिक परिणाम की भी। इसलिए वैश्विक समुदाय न केवल चिंतित है बल्कि भयभीत भी है कि अगर यूक्रेन में युद्ध और बढ़ता है, तो परमाणु दुर्घटना के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है। 
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी संप्रभुता या क्षेत्र को खतरा हुआ तो उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह बयान 5 जून, 2024 को दिया जब वे रूस द्वारा 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद पहली बार अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के वरिष्ठ सम्पादकों से व्यक्तिगत रूप से मिले।  रूस-यूक्रेन क्षेत्र के अलावा गाज़ा में महिलाओं और बच्चों पर चल रहा इज़रायली आज़मण दिल दहला देने वाला है। गाज़ा के नागरिकों को इधर-उधर धकेला जा रहा है। इज़रायली सुरक्षा बलों ने उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने या मौत का सामना करने के लिए कहा है, लेकिन तथाकथित सुरक्षित स्थानों पर भी हमले किये जाते हैं और बच्चों और महिलाओं को बिना किसी दोष के मार दिया जाता है। 7 अक्तूबर से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर कुल 890 हमले दर्ज किये हैं, जिनमें से 443 गाज़ा में और 447 पश्चिमी तट पर हुए हैं।
 हर गुज़रते दिन के साथ युद्ध का क्षेत्र लेबनान की ओर बढ़ रहा है। यह एक गंभीर ख़तरा है क्योंकि ईरान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ रहा है। इज़राइल पहले से ही एक परमाणु हथियार रखने वाला देश है और ईरान के पास भी परमाणु शक्ति है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट के एक अति-दक्षिणपंथी सदस्य अमीचाई एलियाहू ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से इन्कार नहीं किया है। उनके बयान को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इज़राइल ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के फैसलों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है। कोई आश्चर्य नहीं कि इज़राइल को ऐसे मामलों में अमरीका का समर्थन प्राप्त है। यह सर्वविदित है कि युद्ध के समय मानव कल्याण के मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। युद्धों का मतलब सैन्य औद्योगिक परिसरों के लिए बहुत बड़ा मुनाफा है। कहा जाता है कि वर्तमान सैन्य गतिविधि के कारण पर्यावरण को होने वाला नुकसान कुल पर्यावरणीय गिरावट का लगभग 5.4 प्रतिशत है। परमाणु हथियारों की मौजूदगी ही एक बड़ा खतरा है। 
अगर इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं भी किया जाता है, तो भी इनके रख-रखाव में शामिल लागत का प्रभाव स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सामाजिक ज़रूरतों पर किये जाने वाले निवेश पर पड़ता है। परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान (आईसीएएन) ने इन हथियारों के उत्पादन और रख-रखाव पर बर्बाद किये गये धन की उपयोगिता की तुलना करते हुए आंकड़े पेश किए हैं। आईसीएएन ने कहा कि दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियां लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं, जबकि परमाणु हथियार संपन्न देशों ने 2023 में अपने परमाणु शस्त्रागार को आद्यतन करने पर 91.4 अरब अमरीकी डॉलर बर्बाद कर दिये। 
देशों और समाजों को किसी खतरे का अहसास होना चाहिए। स्थायी शांति और परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रस्तावों को पारित करना और उन्हें लागू करना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का प्राथमिक कर्त्तव्य है। जी-20, जो शक्तिशाली देशों का एक समूह है, को परमाणु निरस्त्रीकरण सुनिश्चित करना चाहिए। असैन्य समाज को भी नौ परमाणु संपन्न देशों पर परमाणु हथियारों के निषेध पर बहुपक्षीय संयुक्त राष्ट्र संधि (टीपीएनडब्ल्यू) में शामिल होने के लिए पहले से कहीं अधिक मजबूती से अपनी आवाज़ उठानी होगी। (संवाद)

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