भाजपा को उलटा पड़ गया है शैलजा वाला दांव

भाजपा द्वारा सांसद शैलजा को लेकर कांग्रेस पर आक्रामक रुख अपनाने और कांग्रेस को कथित तौर पर दलित विरोधी पार्टी होने का जोर-शोर से चलाया गया अभियान अब बूमरैंग करते नज़र आ रहा है यानि भाजपा को शैलजा वाला दांव उलटा पड़ गया है। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के सभी छोटे-बड़े नेताओं ने एक पखवाड़े तक लगातार दिन-रात यही अभियान चलाए रखा कि कांग्रेस ने पार्टी की सबसे बड़ी व वरिष्ठ दलित नेता शैलजा का अपमान किया है और कांग्रेस की मानसिकता ही दलित विरोधी है। यह बात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पार्टी के हरियाणा प्रभारी व सह प्रभारी से लेकर सभी नेता 10 दिन तक यही राग अलापते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो शैलजा को भाजपा में शामिल होने का न्यौता भी दे दिया। इतना ही नहीं, इसी मुद्दे को लेकर यहां तक खबरें छपवाई गईं कि शैलजा कांग्रेस छोड़कर 25 सितम्बर को नरेंद्र मोदी की हरियाणा में होने वाली रैली में भाजपा में शामिल होंगी। टिकटों के बंटवारे और शैलजा समर्थक उम्मीदवारों के मुकाबले कांग्रेस नेताओं द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने और नारनौंद में शैलजा समर्थक डा. अजय चौधरी की बजाय हुड्डा समर्थक जस्सी पेटवाड़ को टिकट मिलने के बाद जस्सी के समर्थकों द्वारा शैलजा के बारे में जाति सूचक अपमानजनक बातें कहने के बाद यह सारा मामला तूल पकड़ गया था। शैलजा कुछ दिनों तक चुनाव प्रचार में नज़र नहीं आई थीं। इसी को लेकर भाजपा नेताओं ने हरियाणा चुनाव का रुख मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए शैलजा का मुद्दा उठाकर कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले किये, तथापि इस दौरान शैलजा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 
शैलजा ने अटकलों पर लगाया विराम
अब कुमारी शैलजा जब मीडिया के समक्ष आईं तो उन्होंने भाजपा नेताओं को न सिर्फ आड़े हाथों लिया बल्कि यह कहकर उनका मुद्दा उठाने वाले नेताओं पर तंज कसा कि जो लोग शैलजा को लेकर ऐसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उनके मुकाबले शैलजा का राजनीतिक जीवन कहीं ज्यादा बड़ा और लंबा है। उन्होंने भाजपा नेताओं को यह कहकर नसीहत भी दी कि भाजपा वाले कांग्रेस के मामलों पर टीका-टिप्पणी करने की बजाय अपना घर संभालें क्योंकि आए दिन भाजपा के बड़े नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आ रहे हैं। 
शैलजा ने यह कहकर सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया कि जिस तरह उनके पिता स्व. चौधरी दलबीर सिंह कांग्रेस के तिरंगे झंडे में लिपटकर इस दुनिया से रुख्सत हुए थे, उसी तरह शैलजा भी कांग्रेस के तिरंगे झंडे में लिपटकर इस दुनिया से रुख्सत होगी। शैलजा के यह कहने के साथ ही उनको लेकर लगाई जा रही तमाम अटकलों पर विराम लग गया है। शैलजा ने यह भी कहा कि वह पार्टी प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के लिए पूरे प्रदेश में जाएंगी और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगाएंगी। अब शैलजा 26 सितम्बर को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ असंध से कांग्रेस उम्मीदवार शमशेर गोगी के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगी और उसी दिन टोहाना में कांग्रेस प्रत्याशी परमवीर सिंह और हिसार से कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास राड़ा के समर्थन में बैठकें करेंगी। 
बड़ी नेता हैं शैलजा
कुमारी शैलजा हरियाणा से पांच बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं यानि वह कुल 6 बार सांसद बनी और वह 31 साल की उम्र में वह केंद्र सरकार में मंत्री बनी। उसके बाद वह डा. मनमोहन सिंह की सरकार में भी दो बार राज्यमंत्री और फिर केंद्रीय केबिनेट मंत्री रह चुकी हैं। शैलजा हरियाणा कांगे्रस कमेटी की अध्यक्ष भी रही हैं और इस समय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव हैं। कुमारी शैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह सिरसा से 4 बार सांसद बने थे और कि वह हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहने के अलावा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। चौधरी दलबीर सिंह और कुमारी शैलजा की गिनती देश के बड़े दलित नेताओं में होती है। शैलजा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह हरियाणा के सिरसा से 3 बार और अम्बाला संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद बनीं। वे 1991 में सबसे कम उम्र की सांसद बनी। 1996 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव इकट्ठे हुए थे। उस समय सिरसा संसदीय क्षेत्र की सभी 9 विधानसभा सीटों पर जहां कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव हार गए लेकिन उसी दिन एक साथ पड़े वोटों में लोगों ने लोकसभा के लिए शैलजा को चुनाव जितवा दिया। 
सरकार के कामकाज पर होगी वोटिंग
इस बार हरियाणा विधानसभा के चुनाव भाजपा की पिछले 10 सालों की सरकार के कामकाज पर होंगे और लोग भाजपा सरकार की कार्य प्रणाली पर वोट डालेंगे। लेकिन भाजपा नेता अपनी सरकार के 10 सालों के कामकाज पर वोट मांगने की बजाय मुद्दों को भटकाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। भाजपा नेता अपनी सरकार के 10 साल के कामकाज का कोई जिक्र नहीं कर रहे और उससे पहले 2005 से 2014 तक प्रदेश में रही कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार के मामले उठाकर कांग्रेस को घेरने में लगे हुए हैं। भाजपा नेता यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि प्रदेश की जनता भाजपा सरकार के कामकाज से न सिर्फ नाराज़ है बल्कि सरकार के खिलाफ गुस्से में है। अब भाजपा द्वारा मनोहर लाल खट्टर सरकार और केंद्र सरकार के कामकाज का कहीं उल्लेख नहीं किया जाता। 
नाराज़गी के चलते बदला था मुख्यमंत्री
भाजपा नेताओं ने लोगों की नाराज़गी को पहले से ही भांप लिया था और इसी के चलते लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से 3 दिन पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर उनके स्थान पर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया था। सैनी के मुख्यमंत्री बनते ही आचार संहिता लागू हो गई और वह कोई काम कर ही नहीं पाए। लोकसभा चुनाव में लोगों का गुस्सा भाजपा सरकार के प्रति देखने को मिला और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जहां प्रदेश की सभी 10 सीटों पर रिकार्ड तोड़ वोटों के अंतर से चुनाव जीता, वहीं उस समय भाजपा को प्रदेश की 79 विधानसभा सीटों पर लीड मिली थी। उसके 4 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा मात्र 40 सीटों पर सिमट गई थी। वहीं अब 2024 के चुनाव में भाजपा 10 में से 5 लोकसभा सीटें हार गई है और विधानसभा चुनाव में भी लोगों की भाजपा के प्रति नाराज़गी कायम है। 
हरियाणा का किसान पहले से ही सरकार से नाराज़ हैं, वहीं जंतर-मंतर पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महिला खिलाड़ियों के साथ हुए दुर्व्यवहार से प्रदेश के खिलाड़ी भी नाराज़ है। अग्निवीर योजना को लेकर सैनिक परिवारों में नाराज़गी है। कर्मचारियों की नियमित भर्ती की बजाय ठेके पर भर्ती करने, पुरानी पैंशन स्कीम लागू न करने और अन्य मामलों को लेकर जहां कर्मचारी नाराज़ हैं, वहीं प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र और ई-पोर्टल के कारण ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी वोटर भी सरकार के खिलाफ गुस्से में हैं। इसी के चलते, इस बार भाजपा को हरियाणा में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और भाजपा नेता सरकार के पिछले 10 साल के कामकाज के मुख्य मुद्दों से ध्यान हटा कर लोगों का ध्यान अन्य मुद्दों की तरफ ले जाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। 

-मो.-9855465946