दूसरे चुनाव चरण के बाद

देश में हरियाणा तथा जम्मू-कश्मीर राज्यों के विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल रही है। जम्मू-कश्मीर चाहे अभी तक केन्द्र शासित प्रदेश ही है परन्तु यहां हो रहे चुनाव कई कारणों के दृष्टिगत विशेष महत्त्व रखते हैं। यहां ये चुनाव तीन चरणों में करवाने की घोषणा की गई थी। पहले एवं दूसरे चरण के चुनाव पूर्ण हो चुके हैं। तीसरे चरण के चुनाव एक अक्तूबर को होंगे। इस चरण में 40 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें 6 कठुआ ज़िले में, 3 सांबा ज़िले में, 11 जम्मू क्षेत्र में, 4 उधमपुर और 16 कश्मीर घाटी में आते हैं। इससे पहले 2 चरणों के चुनाव 18 सितम्बर तथा 25 सितम्बर को हुए थे। इन चुनावों का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि विधानसभा के चुनाव 10 वर्ष बाद हो रहे हैं और इससे भी खास बात यह है कि अगस्त, 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म करने की घोषणा कर दी गई थी। मोदी सरकार की ओर से लिए गए फैसले को जहां साहसिक माना गया था, वहीं इससे पहले जनसंघ तथा अब भाजपा की वर्षों पुरानी इच्छा भी पूरी हुई। देश के विभाजन के समय जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उस समय इस प्रदेश को विशेष अधिकार दिए जाने का विरोध किया था। उसी समय से ही यह महत्त्वपूर्ण  मुद्दा पहले जनसंघ और बाद में भाजपा की ओर से चुनाव के समय अपनी ओर से जारी किए गए घोषणा-पत्रों में भी शामिल किया जाता रहा है।
लगभग 35 वर्ष पहले इस क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा हथियारबंद लड़ाई शुरू की गई थी, जिसके तहत पाकिस्तान से प्रशिक्षित कई आतंकवादी संगठनों के आतंकियों को सीमा पार से इस क्षेत्र में भेजा जाता था ताकि जम्मू-कश्मीर में गड़बड़ पैदा करके इसे पाकिस्तान में शामिल किया जाये क्योंकि पहले ही इसके एक बड़े भाग पर विभाजन के समय पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर लिया था। इस परोक्ष लड़ाई में अब तक 40,000 से भी अधिक मौतें हो चुकी हैं। आज भी पाकिस्तानी सेना की ओर से प्रशिक्षित आतंकवादियों को इधर हथियार देकर गड़बड़ फैलाने के लिए भेजा जा रहा है परन्तु इसके बावजूद इस राज्य के विशेष अधिकारों को पहले खत्म करना एवं अब यहां पर चुनाव करवाना बड़ा एवं ज़ोखिम भरा काम ज़रूर है। इसलिए ही यहां इन चुनावों के लिए तीन चरण निश्चित किए गए थे। यह सन्तोषजनक बात है कि पहले दो चरणों के चुनाव बिना किसी बड़ी गड़बड़ के पूर्ण कर लिए गए हैं और तीसरे चरण के लिए भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही है। पहले चरण में 61 प्रतिशत तथा दूसरे चरण में 57 प्रतिशत मतदान हुआ है। श्रीनगर में चाहे लगभग 30 प्रतिशत मतदान हुआ है परन्तु इसके मुकाबले कश्मीर के गांदरबल में 62.5 प्रतिशत तथा बडगाम ज़िले में 62.9 प्रतिशत मतदान हुआ है।
इन चुनावों में दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा और कांग्रेस मुख्य गुट बन कर चुनाव मैदान में उतरी हुई हैं एवं दो स्थानीय पार्टियां नैशनल कान्फ्रैंस एवं पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी भी मुकाबले में हैं। यहां कांग्रेस और नैशनल कान्फ्रैंस मिल कर चुनाव लड़ रही हैं। पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी एवं भाजपा अकेले तौर पर मैदान में उतरी हैं। चुनावों में मुख्य मुद्दे इस केन्द्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के साथ-साथ बेरोज़गारी, विकास कार्यों में कमी, बिजली के बढ़े हुए रेट एवं बड़ी संख्या में जेलों में बंद युवाओं की रिहाई बने हुए हैं। जहां स्थानीय पार्टियों ने धारा 370 को बहाल करने की घोषणा की है, वहीं कांग्रेस इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठा रही है। भाजपा नेताओं ने भी अपने चुनाव प्रचार में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की हुई है परन्तु इस संबंधी किसी निश्चित समय की घोषणा नहीं की। नि:संदेह इस क्षेत्र में हर पक्ष से अभी अनेक कार्य किए जाने शेष हैं परन्तु इसके साथ-साथ वहां विधानसभा के चुनाव सफलतापूर्वक करवाना इसलिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है, क्योंकि अभी तक इन चुनावों में किसी भी तरह की व्यापक स्तर पर हिंसा होने के समाचार नहीं मिले। ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी समय में जम्मू-कश्मीर अपनी पुरातन परम्पराओं के अनुसार कश्मीरियत की भावना के साथ आगे बढ़ता हुआ विकास के मार्ग पर चलने को प्राथमिकता देगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द