क्या हरियाणा के नतीजे भाजपा के लिए इम्युनिटी बूस्टर बनेंगे ?

2024 के लोकसभा चुनावों में जिस तरह उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को झटका लगा था, उससे कहीं अधिक कांग्रेस को हरियाणा के विधानसभा चुनावों में झटका लगा है। लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस को 5-5 सीटों पर विजय मिली थी, तब से यह समझा जाने लगा था कि हरियाणा में अब की बार कांग्रेस का सत्ता में आना सुनिश्चित है। मतों की गिनती से पहले और शुरू के पहले घंटों में लगभग रुझान ऐसा ही था जैसे कि विभिन्न सर्वेक्षणों में दिखाया गया था। लेकिन उसके बाद जब एक बार भाजपा आगे निकली तो अंत तक वही स्थिति बनी रही। हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर एक नया इतिहास रच दिया है। भाजपा ने अपनी जीत को विकास और नीतियों की जीत बतलाया है जबकि कांग्रेस ने इसे तंत्र की जीत और लोकतंत्र की हार कहा है। कांग्रेस कुछ भी कहे लेकिन इस चुनाव ने बता दिया है कि भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग के सामने कांग्रेस मात खा गई।
हरियाणा में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है। लगभग 52 साल बाद कोई पार्टी ऐसा करने में कामयाब हुई है। ऐसे में अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर वह क्या वजह है, जिससे हरियाणा में भाजपा के हाथ जीत लगी है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 48 सीटों पर जीत मिली है, वहीं कांग्रेस के खाते में 37 सीटें आई हैं। इसके अलावा आइएनएलडी को 2 और 3 सीटें अन्य के खाते में हैं। हरियाणा में भाजपा को मिली जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा  मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोगों ने एक बार फिर कमाल कर दिया और कमल-कमल कर दिया। दूसरी तरफ  राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी की गुटबाजी रही है। दूसरी तरफ भाजपा जाट बनाम गैर-जाट करने की अपनी रणनीति में सफल रही। फिलहाल राज्य में कांग्रेस की हार के पीछे यही वजह बताई जा रही है।
जाट बहुल वाली सीटों पर यह दावे किए जा रहे थे कि भाजपा को इन सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि जाट बहुल सीटों पर भी भाजपा को उतना अधिक नुकसान होता नहीं दिख रहा है जितनी आशंका की गई थी। कांग्रेस ने इस बार बेरोज़गारी का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठाया था। भाजपा प्रचार के दौरान दावा करती आई थी कि हरियाणा की पूर्व हुड्डा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 85 हज़ार सरकारी नौकरियां दी थीं जबकि भाजपा सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस से लगभग दो गुणा यानी एक लाख 47 हज़ार सरकारी नौकरियां दी हैं। 
उधर नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर में बहुमत प्राप्त कर लिया है। अनुच्छेद-370 हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनावों में घाटी में नेशनल कान्फ्रैंस को उम्मीद से अधिक सफलता मिली है। जम्मू क्षेत्र में भाजपा को उम्मीद के विपरीत सीटें मिली हैं। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कान्फ्रैंस को मतदाताओं ने प्राथमिकताब दी है। कांग्रेस घाटी और जम्मू क्षेत्र में कहीं भी अपनी छाप छोड़ने में असफल रही है। मुस्लिम और हिन्दू दोनों वर्गों के मतदाताओं ने कांग्रेस के विकल्प के रूप में घाटी में नेशनल कान्फ्रैंस और जम्मू क्षेत्र में भाजपा को प्राथमिकता दी। भाजपा को मुस्लिम मतदाता ने पूरी तरह से ठुकरा दिया है। कांग्रेस हरियाणा में अपनी हार के लिए तंत्र को दोषी ठहरा रही है। जम्मू-कश्मीर में अपनी दयनीय स्थिति को किसे दोषी ठहराएगी। कांग्रेस को नकारात्मक व तुष्टीकरण की राजनीति को छोड़ कर सकारात्मक नीति अपनानी होगी। 
कांग्रेस ने हरियाणा में किसान, जवान और पहलवानों के मुद्दे के साथ-साथ जातिवाद का मुद्द भी उठाया। भाजपा ने विकास व प्रदेशहित की बात की। भाजपा सकारात्मक राजनीति कर रही थी और कांग्रेस नकारात्मक राह पर थी। लोगों ने सकारात्मक सोच को अपना समर्थन दिया। 
उपरोक्त सभी मुद्दों से अलग जिस मुद्दे ने मतदाता को प्रभावित किया या जिसने मतदाता को भाजपा के लिए मत देने के लिए बाध्य किया, वह था कांग्रेस का इज़राइल का विरोध करना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इज़राइल के साथ खड़े थे और कांग्रेस हिजबुल्ला, हमास तथा हूती जैसे आतंकवादियों के साथ कथित तौर पर सहानुभूति दिखा रही थी। कांग्रेस की यह नीति मतदाता विशेषतया हिन्दू मतदाताओं को राष्ट्रविरोधी लगी, उसने राष्ट्रहित में भाजपा को अपना मतदान किया।
स्थानीय मुद्दों के अलावा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों ने भी जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणामों को प्रभावित किया है। यह बात घाटी में नेशनल कान्फ्रैंस को मिली जीत से भी समझी जा सकती है। घाटी में हमास व हिजबुल्ला के साथ नेशनल कान्फ्रैंस सहानुभूति रखती है, भाजपा विरोध करती है। लोकसभा चुनाव में आंशिक सफलता पाने के बाद विपक्ष जो नैरेटिव गढ़ रहा था और भाजपा की लोकप्रियता में कमी की बात प्रचारित कर रहा था, अब उस पर लगाम लगना तय है। हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणामों ने भाजपा को राहत दी है और आने वाले अन्य प्रदेशों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को लाभ मिल सकता है और कांग्रेस समेत विपक्ष की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भाजपा की लोकप्रियता को कमतर आंकना गलत होगा।  
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