इस बार कौन होगा हरियाणा विधानसभा का स्पीकर ?

हरियाणा विधानसभा का नया अध्यक्ष कौन बनेगा? विधानसभा अध्यक्ष रहे ज्ञानचंद गुप्ता इस बार पंचकूला से चुनाव हार गए हैं। चर्चा है कि घरौंडा क्षेत्र से तीसरी बार चुने गए  हरविंदर कल्याण को स्पीकर की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित 14 मंत्री हो गए हैं और अब कानून के मुताबिक इससे ज्यादा मंत्री नहीं बनाये जा सकते। पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि कल्याण को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ऐसे में कल्याण का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए चल पड़ा है। दूसरा नाम पूर्व मंत्री मूलचंद शर्मा का भी है। शर्मा पिछले मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री थे। शर्मा और महिपाल ढांडा को छोड़ कर नायब मंत्रिमंडल के सभी मंत्री चुनाव हार गए। ढांडा को अब राज्य मंत्री से पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है, लेकिन मूल चंद शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।  ऐसे में इन चर्चाओं को बल मिला है कि विधानसभा के 25 अक्तूबर से शुरू होने वाले सत्र में नए स्पीकर का चुनाव हो जाएगा। कल्याण और शर्मा में से किसी एक को सर्व-सम्मति से स्पीकर चुन लिए जाने की सम्भावनाएं हैं। नया स्पीकर कौन होगा, यह जानने के लिए 25 अक्तूबर तक इंतजार करना होगा। 
डॉ. कादियान प्रोटेम स्पीकर
 बेरी विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक चुने जा चुके डॉ. रघुबीर सिंह कादियान एक बार फिर नव- निर्वाचित विधायकों को सदन में शपथ दिलाएंगे। डॉ. कदियान सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। हुड्डा सरकार के दौरान वह विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। डॉ. कादियान इससे पहले देवीलाल सरकार में सहकारिता राज्य मंत्री की ज़िम्मेदारी भी निभा चुके हैं।  मौजूदा सदन में सात बार विधायक चुने जाने वाले सदस्यों में परिवहन मंत्री अनिल विज भी हैं। सदन में इस समय वह भाजपा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। उन्हें मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री नायब सैनी के बाद दूसरे नम्बर पर शपथ दिलाई गई है। विभागों का बंटवारा करते हुए उन्हें परिवहन मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई है। विज ने मंत्री बनते ही न केवल बस में सफर कर यात्रियों की समस्याएं समझीं है, बल्कि लापरवाही के मामले में परिवहन विभाग के एक अफसर को निलम्बित भी कर दिया । खट्टर और सैनी सरकार में मंत्री बनने के बाद सात बार के सबसे वरिष्ठ विधायकों में डॉ. कादियान ही हैं। विधायकों को शपथ दिलाने से पहले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय उन्हें प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाएंगे। इसके बाद सदन के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव कर लिया जाएगा। 
 अभय चौटाला की कमी 
हरियाणा विधानसभा में इस बार इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला की कमी खलेगी। चौटाला अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सदन में अपनी बात रखने के दौरान वह अक्सर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता से भिड़ जाते थे। स्पीकर की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए वह लगातार सदन में अपनी बात रखते थे, लेकिन इस बार ऐलनाबाद क्षेत्र से वह कामयाब नहीं हो पाए। अभय सिंह चौटाला पिछले सदन में इनेलो के एकमात्र विधायक थे, लेकिन जनहित के मुद्दों को लेकर वह अकेले ही काफी थे। बिना किसी की परवाह किए बड़े बेबाक अंदाज में वह लोगों से जुड़े मुद्दे उठाते रहते थे। केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने विधायक  पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर उप-चुनाव में जीत दर्ज कर वह फिर से सदन में पहुंच गए थे। 
इस बार ऐलनाबाद क्षेत्र में उनका मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार भरत सिंह बेनीवाल से था और इस लड़ाई में बेनीवाल जीत गए। बेनीवाल पहले भी एक बार विधायक रह चुके हैं। भले ही अभय चौटाला चुनाव हार गए हों, लेकिन उनके बेटे अर्जुन चौटाला ने रानियां क्षेत्र से इनेलो के टिकट पर जीत दर्ज की है। अर्जुन चौटाला के साथ ही डबवाली क्षेत्र से इनेलो के टिकट पर अभय चौटाला के चचेरे भाई आदित्य देवीलाल भी जीत कर विधानसभा में पहुंच गए हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अर्जुन और आदित्य जनहित के मुद्दों पर सदन में नायब सरकार को घेरने की कोशिश करते रहेंगे।
श्रुति चौधरी की किस्मत 
 पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री श्रुति चौधरी की किस्मत अच्छी है कि पहली बार विधायक बनते  ही कैबिनेट मंत्री भी बन गई हैं। श्रुति मंत्री पद संभालते ही एक्शन में हैं। उन्होंने अफसरों की पहली ही बैठक में तेवर दिखा दिए। उन्होंने अफसरों से कह दिया है कि विकास परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं करने वालों के प्रति उनका रुख नरम नहीं रहेगा। काम में लापरवाही बरतने वाले अफसरों को उन्होंने सीधे सुधर जाने की नसीहत दे दी। श्रुति चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं, जो न केवल हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गई हैं, बल्कि मंत्री पद पर पहुंची हैं। चौधरी बंसीलाल चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे थे और उनकी गिनती हरियाणा के विकास पुरुष के तौर पर की जाती है। बंसीलाल के बेटे और श्रुति चौधरी के पिता सुरेंद्र चौधरी भी हरियाणा में मंत्री रहे हैं। श्रुति की मां किरण चौधरी दिल्ली विधानसभा की डिप्टी स्पीकर और हरियाणा में मंत्री रह चुकी हैं। अब श्रुति को भी मंत्री पद की ज़िम्मेदारी मिल गई है। किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति थोड़े समय पहले ही कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुई थीं। यह फैसला उनके लिए फायदेमंद साबित भी हुआ। किरण चौधरी भाजपा के टिकट पर राज्यसभा में चली गईं और बेटी हरियाणा में उनकी तरफ  से खाली की गई तोशाम सीट से जीत कर विधायक बन गईं। पहली बार विधायक बनते ही नायब सैनी सरकार में अब कैबिनेट मंत्री भी हो गई हैं। इससे पहले वह भिवानी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर सांसद भी रह चुकी हैं। 
राव तुलाराम की चौथी पीढ़ी
 दक्षिण हरियाणा ने लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी को अटेली क्षेत्र से जीत दिलाने और कैबिनेट मंत्री बनवाने में कामयाब रहे हैं। उनकी बेटी आरती राव चौथी पीढ़ी की सदस्य हैं। राव परिवार ने लम्बे समय से अपनी राजनीतिक विरासत को संभाले रखा है। अहीरवाल क्षेत्र के राजा राव तुलाराम ने देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ  लड़ाई लड़ी थी। राव तुलाराम के बेटे राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री और कई बार केंद्र में मंत्री रहे हैं। उनके पोते राव इंद्रजीत सिंह चौथी बार केंद्र में मंत्री हैं। राव तुलाराम की पड़पौत्री आरती राव भी पहली बार विधायक बनते ही नायब सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दी गई हैं। उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह भी हरियाणा में बंसीलाल और भजनलाल सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। इस बार लोकसभा चुनावों में हरियाणा की दस में से पांच सीटें हार जाने पर भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर फिर से सरकार बना पाना मुश्किल माना जा रहा था, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह को पार्टी ने दक्षिण हरियाणा में अपनी पसंद के उम्मीदवार चुनने की छूट दी और परिणाम उम्मीद से बढ़ कर आये। एक नांगल चौधरी क्षेत्र से डॉ. अभय सिंह यादव की सीट को छोड़ कर भाजपा ने इस क्षेत्र में बम्पर जीत हासिल की और यही वजह है कि आरती राव को मंत्रिमंडल में आसानी से जगह भी मिल गई। 
कैप्टन का यू-टर्न 
हरियाणा के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने यू-टर्न ले लिया है। कांग्रेस पार्टी छोड़ने की घोषणा के बाद उन्होंने कहा है कि वह कांग्रेस में ही रहेंगे। कैप्टन का कहना है कि भाजपा नेताओं ने उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने उनकी ऑफर को ठुकरा दिया है। 
 अजय सिंह यादव ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद एक्स पर खुलकर अपनी बात रखी थी। कांग्रेस हाईकमान को अपना इस्तीफा भेजने के बाद, उन्होंने दो पोस्ट के माध्यम से पार्टी की वर्तमान स्थिति और नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। अपनी पोस्ट में राहुल गांधी को टैग करते हुए उन्होंने लिखा, ‘मैं आत्मसम्मान में विश्वास करता हूं, क्योंकि किसी पद पर बने रहना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आप बिना किसी बाधा के पार्टी के लिए कितना कुछ कर सकते हैं। 1988 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद, उस समय पार्टी के नेताओं के साथ खुलकर बातचीत होती थी। स्वर्गीय राजीव गांधी और सोनिया गांधी तक से संवाद बना रहता था, लेकिन हाल ही में, राहुल गांधी के आस-पास कुछ गुट बन गए हैं, जिस कारण वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को उनसे दूर कर दिया गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि कैप्टन छह बार रेवाड़ी क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। भजनलाल और हुड्डा सरकार में मंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें पिछड़े वर्ग का अध्यक्ष बनाया हुआ था। उनके बेटे चिरंजीव राव पिछली बार विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार हार गए। उन्होंने स्वयं कहा था कि कांग्रेस सरकार बनी तो वह डिप्टी चीफ  मिनिस्टर की शपथ लेंगे। बेटे की हार से निराश कैप्टन ने चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर दी लेकिन फिर पार्टी के कहने पर मान भी गए। 

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